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बिना अमले के पंजाब भाषा के लिए लड़ाई लड़ रहा है भाषा विभाग

हाल बेहाल है भाषा विभाग का
Raj Kishor Kalra Ji
मात्र 4 जिलों में तैनात है जिला भाषा अधिकारी
उप निर्देशकों के 6 पदों में से 4 खाली
फाजिल्का, 16 फरवरी ( Harish Monga) : भाषा विभाग पंजाब के पास मातृ भाषा के विकास के लिए न सैनापति हैं न ही सिपाही और राज्य के आधा दर्जन जिलों में भाषा कार्यालय ही स्थापित नहीं किए गएं है। इसी कारण ही भाषा विभाग खोज कार्यो में पूरी तरह प्रभावित हो रहा हैं।
विभाग के सूत्रों के हवाले से रिक्त पड़े पदों का विवरण देते हुए शिक्षा शास्त्री राज किशोर कालड़ा ने बताया कि राज्य के 22 जिलों में कार्य चलाने के लिए जिला भाषा अधिकारियों के केवल 15 पद स्वीकृत हैं। इस दुर्भाग्यपूर्ण पहलू व्यक्त करते हुए राज किशोर कालड़ा ने बताया कि इन स्वीकृत पदों में से मात्र 4 जिलों में ही जिला भाषा अधिकारी कार्यरत हैं। शेष जिलों में खोज अधिकारियों को अतिरिक्त कार्यभार देकर कार्य चलाया जा रहा है।
नए बने 7 जिले मुक्तसर, नवां शहर, मोगा, बरनाला, फाजिल्का, पठानकोट व मोहाली में जिले बनने से अब तक भाषा कार्यालय स्थापित ही नहीं किए गए जा सके। इन जिलों में कोई अन्य पद भी स्वीकृत नहीं किया गया हैं। इन अधिकारियों की कमी के कारण एक-एक अधिकारी को 3-4 जिलों का अतिरिक्त कार्यभार दिया हुआ है।
शिक्षा शास्त्री ने कहा कि यदि खोज कार्यो की बात करें तो भाषा विभाग के पास खोज अधिकारियों के 27 पद स्वीकृत हैं, इनमें से 11 पद रिक्त पड़े हैं। इस प्रकार भाषा विभाग में खोज सहायकों के 60 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 80 प्रतिशत अर्थात 53 पद रिक्त पड़े हैं। भाषा विभाग के पास वर्तमान में 10 सहायक निर्देशक कार्य कर रहे हैं जबकि इन पदों की संख्या 26 है अर्थात 16 पद रिक्त पड़े हैं। इसी प्रकार उप निर्देशक के आधा दर्जन स्वीकृत पदों में से 4 पद रिक्त हैं। विभाग में बड़ी संख्या में खाली पदों के होने का मुख्य कारण 1995 अर्थात 20 वर्षो से कोई नई भर्ती न करना है। इसी कारण विभाग द्वारा कोई साहितिक कार्यक्रम भी नहीं किया जाता। श्री कालड़ा ने यह भी बताया कि भाषा विभाग में जो स्टैनोग्राफी की ट्रेनिंग करवाई जाती है वह भी इन हालातों में प्रभावित हो रही है। वर्तमान में स्टैनाग्राफी इंस्ट्रक्टरों के 18 पदों में से 6 पद रिक्त पड़े हैं।
श्री कालड़ा ने उक्त स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए कहा कि पंजाब सरकार ने 2008 में पंजाबी भाषा को प्रफुल्लित करने के लिए कई कदम उठाए लेकिन विभाग में विभिन्न अधिकारियों व कर्मचारियों के पद रिक्त होने के कारण पंजाबी भाषा का विकास नहीं हो रहा। उन्होंने पंजाब सरकार से मांग की है कि रिक्त पड़े पदों को अविलंब भरा जाए, 7 जिलों में भाषा कार्यालय खोलकर नियमों के अनुसार नए पद स्वीकृत करे और पंजाबी भाषा के विकास के लिए आवश्यक फंड भी उपलब्ध करवाए जाएं।
इस संबंधी जब भाषा मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि विभाग में खाली पड़े पदों पर भर्ती करने के लिए प्रक्रिया चल रही है और नई भर्ती होने के पश्चात इन 7 जिलों में भाषा कार्यालय खोल दिए जाएंगे।
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