Ferozepur News

चतुर्थ दिवस (ईश्वर दर्शन के बिना भक्ति एवं मुक्ति सम्भव नहीं है

Ferozepur, 16-6-2018: श्री शीतला माता मंदिर में चल रही पांच दिवसीय श्री राम कथा के चतुर्थ दिवस सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या प्रज्ञाचक्षु साध्वी सुश्री शचि भारती जी ने कहा कि माता शबरी को मतङ्ग मुनि की कृपा से ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति हुई तत्पश्चात ही शबरी भक्ति की पराकाष्ठा को प्राप्त कर पाई। माता शबरी ने अपने गुरु की एक आज्ञा कि एक दिन तेरी कुटिया में स्वयं प्रभु आएंगे पे दृढ़ता से चलकर प्रभु श्री राम की प्रतीक्षा की। शबरी की प्रतीक्षा में अथाह विश्वास और धैर्य था। उसके इन्तजार में प्रभु मिलन की तीव्र और निश्छल प्यास थी जो समय आने पर प्रभु दर्शनों से पोषित हुई। किन्तु आज मानव के पास ब्रह्म ज्ञान नहीं होने के कारण वह अपने श्रद्धा विश्वास पर अड़िग नहीं है। इसलिए सर्वप्रथम मानव को चाहिए कि वह ईश्वर दर्शन को अर्थात ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करे। क्योंकि ईश्वर को जाने बिना उस पर पूर्णरूपेण समर्पण सम्भव नहीं है। शास्त्र भी कहते है।

जाने बिनु न होई परतीति, बिनु परतीति होइ नहीं प्रीति।

प्रीति बिना नहीं भगति दृढ़ाई, जिमि खगपति जल कै चिकनाई।।

भाव की ईश्वर को जाने बिना विश्वास नहीं हो सकता विश्वास के बिना भगति में प्रेम नहीं उपज सकता और बिना प्रेम के उपजे भगति ठीक वैसे ही है जैसे जल और तेल का मिश्रण। इसलिये प्रत्येक मानव को ईश्वर दर्शन कर भक्ति पथ पर चलना चाहिए इसी में उसका कल्याण एवं मुक्ति है। 

 

स्वामी शशिशेखरानंद जी ने कथा के अंत में कहा कि कथा नेत्रहीन एवं विकलांग वर्ग की सहायतार्थ की जा रही है कथा प्रांगण में नेत्रहीनों एवं विकलांग वर्ग पर आधारित लघु चलचित्र भी दिखाया गया एवं इनके द्वारा बनाये गए उत्पाद का स्टाल भी लगाया गया है। स्वामी जी ने सभी से इनके द्वारा बनाये गए उत्पाद इस्तेमाल करने का विशेष अनुरोध भी किया।

 

कथा के चतुर्थ दिवस यजमान हरीश गोयल, प्रधान राम बाग़ कमेटी, डी पी धवन, डी एम पनसब (रिटा) ने पूजन कर प्रभु आशीष को प्राप्त किया।

 

कार्यक्रम में कमल शर्मा, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बीजेपी, देवेंद्र बजाज, जिलाध्यक्ष बीजेपी, ज़ोरा सिंह, पार्षद कैंट बीजेपी, अरुण पुग्गल, विजय आनन्द, देवेंद्र नारँग, राजीव धवन, जे एस कुमार, पंजाब केसरी, मंजीत सिंह, हलचल न्यूज़ चैनल,  डॉ परविंदर सिकरी, प्रधान श्री कृष्ण मंदिर, गो सेवा मिशन के सदस्य, ब्राह्मण सभा के सदस्य, आदि ने ज्योति प्रज्वलित की रस्म को अदा कर प्रभु आशीष को प्राप्त किया। 

 

कथा में प्रत्येक दिवस की तरह प्रसाद रूप में लंगर का प्रबंध भी रहा जिसमें बड़े-छोटे, ऊंच-नीच के भेद को भुलाकर सभी ने एक पंक्ति में बैठकर भोजन ग्रहण किया।।

Related Articles

Back to top button