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उच्च शिक्षा के प्रसार हेतु ग्रामीण व सीमावर्ती क्षेत्रों में खुलेंगे 11 सरकारी कालेज

उच्च शिक्षा के प्रसार हेतु ग्रामीण व सीमावर्ती क्षेत्रों में खुलेंगे 11 सरकारी कालेज
पूर्व में चल रहे 48 सरकारी कालेजों में 60 प्रतिशत प्राध्यापकों के पद रिक्त
लड़कियों के 50 सरकारी कालेज खोलने का भी प्रस्ताव

 

स्फाजिल्का, 23 नवम्बर: पंजाब के ग्रामीण व सीमावर्ती क्षेत्र में 11 नए सरकारी कालेज खोले जाएंगे। इन कालेजों में आगामी शैक्षणिक सत्र से कक्षाएं आरंभ हो जाएंगी। सरकार ने राज्य में लड़कियों के 50 सरकारी कालेज खोलने का भी प्रस्ताव तैयार किया है। नए कालेज खोलने के लिए सरकारी कालेजों खुलने से कालेजों की संख्या 48 से 59 हो जाएगी। उच्च शिक्षा विभाग के हवाले से जानकारी देते हुए शिक्षा शास्त्री राज किशोर कालड़ा ने बताया कि इन 11 नए खुलने वाले कालेजों की इमारतों का निर्माण कार्य 31 मार्च तक पूरा होने का लक्ष्ण निर्धारित किया गया है। यह कालेज आरंभ करने का उद्देश्य पिछड़े व ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च शिक्षा को प्रफुल्लित करना है। उन्होंने बताया कि तीन से अधिक कालेजों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। नए शुरू हो रहे कालेजों में सरकारी कालेज पठानकोट, सरकारी कालेज फरीदकोट, सरकारी कालेज धर्मकोट, सरकारी कालेज बहादुरगढ जिला मानसा, सरकारी कालेज फिल्लोर, सरकारी कालेज मूनक, सरकारी कालेज बरनाला व सरकारी कालेज धूरी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी कालेज आरंभ करने के लिए 13850 करोड़ व्यय किए जा रहे हैं। पठानकोट कालेज का भवन निर्माण का कार्य 95 प्रतिशत पूरा हो चुका है व धर्मकोट कालेज का काम भी 80 प्रतिशत के करीब पूरा होने वाला है।
सरकार के इस निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिक्षा शास्त्री श्री कालड़ा ने कहा कि ‘अग्गा दौड़ पिछा चौड़’ वाली कहावत सच्च साबित हो रही है। इसका प्रमाण देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में वर्तमान में 48 सरकारी कालेज चल रहे हैं। इन कालेजों में 60 प्रतिशत से अधिक प्राध्यापकों के पद रिक्त पड़े हैं और 13 कालेज ऐसे हैं जिनमें स्थायी प्रिंसिपल नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 3 से 4 कालेजों में तो एक ही स्थायी प्राध्यापक से कार्य चलाया जा रहा है। 5 सरकारी कालेज ऐसे हैं जहां दो प्राध्यापक हैं। 3 से 4 प्राध्यापकों वाले कालेजों की संख्या आधी दर्जन से भी अधिक है। इन 48 कालेजों में 1873 पद स्वीकृत हैं और 1100 से अधिक पद रिक्त पड़े हैं। अध्यापन का कार्य अस्थायी तौर पर गेस्ट फेकल्टी प्राध्यापकों को पीटीए फंड से बहुत कम वेतन देकर चलाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गांवों व छोटे कस्बों में लड़कियों को उच्च शिक्षा प्रदान करने हेतु सरकारी कालेज खोलने का भी प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। विभाग द्वारा कहां-कहां नए कालेज खोलने हैं, का चयन करने हेतु कमेटी भी बना दी गई है और इसकी दो बैठकें भी हो चुकी हैं। श्री कालड़ा ने कहा कि उच्च शिक्षा को बढावा देने के लिए जिस तरह सरकार योजनाएं तैयार कर रही है वह तभी सफल होंगी जब सरकार द्वारा पूर्व में चल रहे कालेजों व अब खोले जा रहे कालेजों में स्थायी प्राध्यापकों व प्रिंसिपलों की नियुक्ति करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा 1996 से कोई नई भर्ती नहीं की गई इसी कारण ही यह दयनीय स्थिति बनी हुई है।

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