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आइए आज विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सब मिलकर प्रकृति के संरक्षण का संकल्प लें : दीपक शर्मा 

आइए आज विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सब मिलकर प्रकृति के संरक्षण का संकल्प लें : दीपक शर्मा 
विश्व पर्यावरण दिवस ‘ पर विशेष
आइए आज विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सब मिलकर प्रकृति के संरक्षण का संकल्प लें : दीपक शर्मा
पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है । इस दिन लोगों को जागरूक करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । इन कार्यक्रमों के ज़रिये लोगों को पेड़-पौधे लगाने, पेड़ों को संरक्षित करने, हरे पेड़ न काटने, नदियों को साफ़ रखने और प्रकृति से खिलवाड़ न करने जैसी चीजों के लिए जागरुक किया जाता है ।
यहां से हुई इस दिन को मनाने की शुरुआत
वैसे तो विश्व पर्यावरण दिवस वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मनाया गया था लेकिन विश्व स्तर पर इसके मनाने की शुरुआत 5 जून 1974 को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई थी । जहां इस दिन पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था और इसमें 119 देशों ने भाग लिया था । इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का गठन किया गया था साथ ही प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था । यह सम्मेलन 5 जून से 16 जून तक आयोजित किया गया था और इस दिन के लिए स्लोगन रखा गया था “केवल एक पृथ्वी” ।
दुनियाभर में आ रही प्राकृतिक आपदाओं ने इस बात पर सोचने को विवश कर दिया है कि प्रकृति का न केवल नुकसान से बचाना होगा, बल्कि जो नुकसान हम पहुंचा चुके हैं, उसकी भी भरपाई करनी होगी।
हर साल एक नई थीम का चयन किया जाता है और लोगों से आग्रह किया जाता है कि वे उसके अनुरूप पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद करें। इस बार की थीम ‘Ecosystem Restoration’ है, जिसका हिंदी में मतलब है- पारिस्थितिक तंत्र पुनर्बहाली। आसान शब्दों में कहा जाए तो इसका मतलब है कि पृथ्वी को एक बार फिर से अच्छी अवस्था में लाना।
ऐसे कर सकते हैं मदद
पारिस्थितिक तंत्र की बहाली के लिए क्षतिग्रस्त या नष्ट हो चुके पारिस्थितिक तंत्र को फिर से उसकी रिकवरी में सहायता करनी होगी। पारिस्थितिकी तंत्र को कई तरह से बहाल किया जा सकता है। पौधे लगाकर, नदियों को प्रदूषित होने से बचाकर, कटाव नियंत्रण, गैर-देशी प्रजातियों और खरपतवारों को हटाकर, देशी प्रजातियों का पुनरुत्पादन, वनों की कटाई को रोकना, भूमिगत जल का कम दोहन, लक्षित प्रजातियों और वनस्पति के लिए आवास व सीमा सुधार आदि करके हम पारिस्थितिक तंत्र की बहाली में मदद कर सकते हैं।
दस सालों तक होना है काम
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आज पृथ्वी का पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह से बिगड़ गया है। आंकड़े बताते हैं कि दुनिया के 45% वन्यजीव और 12% पौधों की प्रजातियों में कमी आई है। वर्तमान में पृथ्वी की ऐसी दशा हो गई है, जहां न केवल पर्यावरण को नुकसान होने से बचाना है, बल्कि पूर्व में हो चुके नुकसान की भी भरपाई करनी है। इसे ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2021-30 को पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक’ के रूप में घोषित किया है। इसका उद्देश्य एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना है, जहां इंसानी जिंदगियों समेत सभी प्रकार के प्राणी प्रकृति की छत्रछाया में सुरक्षित रह सके।
आइए हम सभी मिलकर भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने, अपने आस-पास स्वच्छता रखने तथा पृथ्वी को हरी-भरी व सुन्दर बनाने का संकल्प लें।

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