Ferozepur News

  • E-Punjab Web PortalTraining to Nodal Schools to introduce paperless working in Govt. Schools

    ਸਰਕਾਰੀ ਸਕੂਲਾਂ ਨੂੰ ਡਾਕ ਫ੍ਰੀ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਈ-ਪੰਜਾਬ ਵੈਬ ਪੋਰਟਲ ਦੀ ਕਰਵਾਈ ਟ੍ਰੇਨਿੰਗ ਮਿਤੀ 11-04-2016(ਫਿਰੋਜ਼ਪੁਰ) ਸਰਕਾਰੀ ਸਕੂਲਾਂ ਵਿਚ ਚੱਲ ਰਹੇ…

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  • Jobless Linemen to register protest on April 25 at Bathinda

    Family members also to join Jobless Linemen to register protest on April 25 at Bathinda Give employment instead of harassing…

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  • रेलवे सुरक्षा बल कर्मचारियों को ट्रेन से मिली 3 माह की बच्ची

    रेलवे सुरक्षा बल कर्मचारियों को ट्रेन से मिली 3 माह की बच्ची जानकारी ना मिलने पर बच्ची को रैड क्राश…

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  • Farmer who attempted to commit suicide dies during treatment at hospital, in Ferozepur

    Another farmer dies in accident, earlier attempts suicide two times Farmer who attempted to commit suicide dies during treatment at…

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  • ਬੁਢਾਪਾ, ਵਿਧਵਾ, ਆਸ਼ਰਿਤ ਅਤੇ ਅਪੰਗ ਪੈਨਸ਼ਨ ਲਾਭਪਾਤਰੀਆਂ ਦਾ ਡਾਟਾ ਹੋਵੇਗਾ ਸ਼ੋਸਲ ਸਕਿਊਰਿਟੀ ਪੋਰਟਲ ਤੇ ਫੀਡ : ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ

    ਬੁਢਾਪਾ, ਵਿਧਵਾ, ਆਸ਼ਰਿਤ ਅਤੇ ਅਪੰਗ ਪੈਨਸ਼ਨ ਲਾਭਪਾਤਰੀਆਂ ਦਾ ਡਾਟਾ ਹੋਵੇਗਾ ਸ਼ੋਸਲ ਸਕਿਊਰਿਟੀ ਪੋਰਟਲ ਤੇ ਫੀਡ : ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਫਿਰੋਜਪੁਰ 7…

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  • Jat Reservation Sangharsh Samiti Punjab extends support to Saini Society for BC status

    Jat Reservation Sangharsh Samiti Punjab extends support to Saini Society for BC status Ferozepur, May 13, 2016 : The momentum…

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  • Senior Citizen Forum to start Marriage Bureau in Ferozepur

    Senior Citizen Forum to start Marriage Bureau in Ferozepur Ferozepur, May 22, 2016:  Senior Citizen Forum – a think tank…

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  • Satwant Kaur Johal, Member Punjab Mahil Commission visits Women Cell in Ferozepur

    Women Cell runs without lady counselor Satwant Kaur Johal, Member Punjab Mahil Commission visits Women Cell in Ferozepur Ferozepur, May…

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  • Army’s Golden Arrow Division celebrates Int’l Yoga Day

    Army’s Golden Arrow Division celebrates Int’l Yoga Day Ferozepur, June 21, 2016:  The Golden Arrow Division of Army celebrated International…

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  • योग एक सम्पूर्ण और स्पष्ट विज्ञान हजारों वर्ष पूर्व वैदिक ऋषियों द्वारा अभ्यास और गुरु-शिष्य परम्परा की प्राचीन प्रथा के माध्यम से अपनी प्राचीन रूप में हमें दिया गया है

    योग एक सम्पूर्ण और स्पष्ट विज्ञान हजारों वर्ष पूर्व  वैदिक ऋषियों द्वारा अभ्यास और गुरु-शिष्य परम्परा की प्राचीन प्रथा के माध्यम से अपनी प्राचीन रूप में हमें दिया गया है । यदयपि व्यक्तियों की जीवन शैली एक बड़े  परिवर्तन के दौर से गुजर रही है ।फिरभी योग के नियम आज भी वही हैं। योग तेजी से साँस लेने के व्यायाम के बारे में नहीं है, या अपने आप को बन्धनों मे बांधना नहीं है , यह स्वयं की एक सुंदर यात्रा है।साधक द्वारा योग का लाभ तभी अनुभव किया गया है जब वेअपनी संपूर्णता में अभ्यास किया जाता है  । जैसे एक मरीज को डॉक्टर के नुस्खे से  लाभ तभी होगा जब मरीज ​​उसकी दवा संपूर्णता से लेता है , वैसे ही योग एक दिव्य नुस्खे के रूप में देखाजाना चाहिए , जो व्यक्तियो की  सुविधा के अनुसार बदला नहीं जा सकता  । इन प्रथाओं का लाभ लेने के लिए आपको  उन्हें नियमित रूप से अभ्यास करना होगा  है क्योंकि आप बीमारीको सिर्फ डॉक्टर के पर्चे पढ़ने से इलाज नहीं कर सकते इसके अलावा, आपको दवा  लेने की   जरूरत होती है।   योग साधारण शब्दों में कहें , जीवन के सभी क्षेत्रों का और आत्मिक संयोग है। इसके लिए  दुनिया त्याग कर और पहाड़ों पर जाने की जरूरत नहीं है । साधक एक गृहस्थ का जीवन व्यतीतकर सकते हैं , परिवार और समाज के प्रति  अपनी सभी जिम्मेदारियों को क्रियान्वित करते हुए  ।   हम सनातन क्रिया की विशिष्ट प्रथाओं पर एक श्रृंखला शुरू कर रहे हैं । जो शुद्ध रूप में अष्टांग योग है, ध्यान फाउंडेशन में साधक वर्षो से अभ्यास कर रहे  है और शारीरिक, भावनात्मक ,मानसिक और वित्तीय स्तर पर लाभान्वित हुए है I ये अभ्यास  देश भर में सैकड़ों लोगों के साथ साझा किया गया है और जो लोग अपने अभ्यास के साथ नियमित रूप से कर रहे हैं उन मेंसकारात्मक परिवर्तन देखा गया है। यहां यह महत्वपूर्ण बात है कि यह सभी लोगों  नौकरी और व्यवसाय में समाज के जिम्मेदार पदों पर  है। और अपने परिवारों की भी देखभाल कर रहे है l   हम पहले कदम  के साथ शुरू करते हैं। उदर संबंधी श्वसन । 1. एक अटल लेकिन मुलायम सतह पर अपनी रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधे कर  बैठ जाओ । वातावरण  स्वच्छ,  हवादार लेकिन जादा ठंडा ना हो । सुनिश्चित करें कि आप अपनीपीठ को बिना किसी सहारे बैठे हैं। अपनीआँखें बंद कर और अपनी नाक से साँस लेना शुरू करते हैं। पूरे आसन के दौरान अपने मुँह से  साँस नहीं लेनी है ।   अबअपने पेट की ओर अपने ध्यान को ले जाओ । बहुत धीरे धीरे और बिना झुके साँस छोड़ो,साँस छोड़ते हुए अपने पेट को अंदर खींचो । अपनी सांस को बिना रोके  , धीरेधीरे साँस लेना शुरू करते हैं और हवा के  पेट मे  भरने के साथ अपने पेट का विस्तार शुरू करते हैं। एक बार जब आप अपने पेट की पूरी क्षमता से साँस भर लेते है , फिर साँसछोड़ना शुरू करते हैं। जबतक संभव हो उदर की इस साँस लेना और साँस छोडने की प्रक्रिया को दोहराएँ सीधे रीढ़ की हड्डी के साथ और तनाव के बिना । धीरे-धीरे सांस लेने की गति को कमकर अपनी सांस की गहराई बढ़ाये ।       आज के तनाव भरे जीवन मे  हम सब एक तेज गति से साँस ले रहे हैं । शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक तनाव से  हमारे शरीर की चयापचय बढ़ जाती है। चयापचय, सीधे शब्दों में कहेंऊर्जा की दर है जो  हमारे शरीर की कोशिकाओं द्वारा खपत की जाती है । इस तनाव के कारन  तेजी से सेल क्षीणता की ओर जाता है । यह सरल साँस लेने की तकनीक चयापचय कम कर देताहै  जिससे शरीर की सेल की जीवन अवधि बढ़ती है , लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह व्यक्ति की क्षमता को कम किये बिना।  …

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