माइग्रेनकाआयुर्वेदिकउपचार : योगी अश्विनी
माइग्रेनकाआयुर्वेदिकउपचार
योगी अश्विनी
आयुर्वेद में अर्धावभेद(अर्थात शीश के आधे हिस्से में दर्द) और अनंतवात(अर्थात शीश में एकांगी दर्द होना), ये दो अवस्थाएँ माइग्रेन (अर्धशीर्षि) से मेल खाती हैं| क्रोध, निराशा, अवसाद, मानसिक संघर्ष, अपच, कोई विशिष्ट भोजन अथवा मौसम, इनमें से कोई भी कारण माइग्रेन को सक्रिय कर सकता है| कुछ ब्लड प्रेशर या दमे की दवाइयों के पार्श्व प्रभाव से भी माइग्रेन ट्रिगर हो जाता है| इस लिए किस कारण से आपका माइग्रेन सक्रिय होता है, इस पर गौर आपको स्वयं ही करना पड़ेगा| कारण जो भी हो, बढ़ा हुआ पित्त दोष ही इसकी मूल वजह है|असंतुलित पित्त दोष पाचन क्रिया में बाधा उत्पन्न करता है जिसके द्वारा निर्मित आम, मनोवह स्रोत्रों ( मानसिक प्रणालियों) में इकठ्ठा हो जाता है, जिसके परिणाम माइग्रेन होता है|
माइग्रेन से बचने के लिए किसी भी प्रकार की अति से बचें| आपकी जीवन शैली का आधार ‘अति सर्वत्र वर्जयेत्’ अर्थात हर चीज़ में संयम व संतुलन होना चाहिए | दर्दनिवारक दवाइयों के सेवन से बचें क्योंकि वे इस समस्या को और बढ़ा देती हैं; उनके प्रभाव के कम होते ही सरदर्द की आवृति बढ़ जाती है, तथा इस लिए भी क्योंकि फिर आप इस समस्या के मुख्य कारण पर ध्यान न देकर दर्द और दर्दनिवारक दवाइयों के दुष्चक्र में फंसकर रह जाते हैं| ऐसा करने के बजाए, आप एक अँधेरे कमरे में शांति से लेट जाएँ और अपनी गर्दन और/अथवा माथे पर आइस पैक रखें| इसके अलावा आप अदरक को पीसकर उसका लेप अपने माथे पर भी लगा सकते हैं|
स्वाथ्य टिप्पणी # कुछ और आराम पाने हेतु गिलोय(टीनोस्पोरा कोर्डीफोलिया) का रस निचोड़कर १ छोटे चम्मच शहद के साथ सेवन करें| इसके अलावा तीन ग्राम धनिये के बीज, पाँच ग्राम लैवेंडर फूल, पाँच काली मिर्च के बीज और पाँच बादाम लीजिए|ध्यान रहे की बादामों को रातभर पानी में भिगोकर, उनके छिलके निकाल कर ही उनको पीसें | पानी के साथ इस मिश्रण को पीसकर और छानकर सूर्योदय से पूर्व इसका सेवन करें|
'सनातन क्रिया – एजलेस डाइमेंशन' नामक पुस्तक में मैंने कुछ ऐसी तकनीकों की जानकारी दी है जो न केवल शरीर को शुद्ध और डिटॉक्स कर देती हैं अपितु शरीर को संतुलन में लाकर रोगमुक्त बना देती हैं| नाड़ी शोधनं प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर की नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है और प्राण के प्रवाह में सुधार आता है, जिससे तनाव कम होता है और सरदर्द से भी राहत मिलती है एवं शरीर स्वस्थ व तेजस्वी बन जाता है|
योगी अश्विनी ध्यान फाउंडेशन के मार्गदर्शक हैं एवं वैदिक विज्ञानों के विशेषज्ञ हैं|उनकी पुस्तक ‘'सनातन क्रिया – एजलेस डाइमेंशन' चिरयौवन के विषय पर एक थीसिस के रूप में प्रख्यात है| अधिक जानकारी के लिए www.dhyanfoundation.com पर जाएँ अथवा dhyan@dhyanfoundation.com पर संपर्क करें