प्राण वह शक्ति है जो इस सृष्टि के कण कण में विद्यमान है। – आसन शृंखला: प्रारंभिक – २
आसन शृंखला: प्रारंभिक – २
योगी अश्विनी
प्राण वह शक्ति है जो इस सृष्टि के कण कण में विद्यमान है। फिर चाहे वह सजीव प्राणि हो या निर्जीव वस्तु, सभी में प्राण है7 अंतर केवल प्राण के कंपन की आवृत्ति का है, जिसके कारण जीवों अथवा वस्तुओं को भिन्न भिन्न स्वरुप प्रदान होता है 7 हमारा शरीर भी इसी प्राण शक्ति से संचालित होता है अतः शरीर को स्वस्थ एवं रोगमुक्त रखने हेतु शरीर में प्राणों का मुक्त प्रवाह अत्यंत आवश्यक है 7 सनातन क्रिया में दिए गए प्रारंभिक आसन प्राणिक शरीर के सभी अवरोधों को दूर करने में सक्षम है7 ये आसन शरीर के विभिन्न जोड़ों पर कार्य करते हैं, जहाँ अवरोध उत्पन्न होने पर शरीर में रोगों का आगमन होता है7 आप अगर गौर करेंगे तो पाएंगे कि जोड़ों में दर्द, वृद्धावस्था की ओर बढ़ने के प्रथम लक्षणों में से एक है, जो कि प्राण के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न होने का ही परिणाम होता है7
पिछले लेख में हमने टखने के जोड़ के अवरोधों को हटाने हेतु कुछ चक्रानुक्रमों का अभ्यास किया था7 इस लेख में हम घुटने के जोड़ के आसनों पर चर्चा करेंगे 7
अपने पैर सीधे फैलाकर बैठें7 अपनी पीठ सीधी रखें और आपके दोनों पैरों और एड़ियों को जोडें7 अपनी हथेलियों को ज़मीन पर कूल्हों के समीप इस तरह रखें, जिसमें आपके हाथों की उँगलियाँ आपके शरीर से विपरीत दिशा में हों 7
धीरे से श्वास अंदर लेते हुए अपने दाहिने घुटने को जमीन की ओर दबाएँ7 सात गिनने तक इसी अवस्था में में बैठे रहें7 अब श्वास को बाहर छोड़ते हुए, अपने दाहिने घुटने को धीरे-धीरे विश्राम अवस्था में ले आएं 7 यह प्रक्रिया सात बार दोहोराएँ7 यही प्रक्रिया बाएँ घुटने के साथ करें और फिर दोनों घुटनों को एक साथ करें 7
इसके बाद, पीठ सीधी रखते हुए अपने दाहिने घुटने को अपने सीने के समीप लाएँ। अपनी दाहिनी जाँघ को दोनों हाथों से पीछे से आलिंगन करते हुए दाहिने घुटने का सात बार चक्रानुक्रम करें, पहले घड़ी की सुई की दिशा में और फिर उसकी विपरीत दिशा में 7 हर आधे चक्रानुक्रम के दौरान श्वास को अंदर लें तथा शेष आधे चक्रानुक्रम के दौरान श्वास को बाहर छोड़ें7 यही प्रक्रिया अपने दूसरे पैर के घुटने पर भी दोहोराएँ7 अब दोनों घुटनों का एक साथ चक्रानुक्रम करें7 आधे चक्रानुक्रम के दौरान श्वास अंदर लें और शेष आधे चक्रानुक्रम के दौरान श्वास बाहर छोड़ें7
ये आसान से प्रतीत होनेवाले चक्रानुक्रम आपके शरीर के विभिन्न कोशों को संतुलित कर आपके शरीर की विभिन्न प्रणालियों की कार्यक्षमता को बढ़ाने हेतु अत्यंत सक्षम हैं7 अधिक लाभ के लिए इन आसनों को करते समय अपनी आँखें बंद रखें तथा अपना पूर्ण ध्यान शरीर के भीतर उस भाग पर रखें , जिसका चक्रानुक्रम किया जा रहा है7
योगी अश्विनी जी ध्यान फाउंडेशन के मार्गदर्शक है7 222.स्रद्ध4ड्डठ्ठद्घशह्वठ्ठस्रड्डह्लद्बशठ्ठ.ष्शद्व. पर उनसे संपर्क किया जा सकता है