पंजाब के लोग पंचायत चुनावों से पहले मुंशी प्रेमचंद के पंच परमेश्वर को याद करें
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पंजाब के लोग पंचायत चुनावों से पहले मुंशी प्रेमचंद के पंच परमेश्वर को याद करें
गुलामी और अंग्रेजी राज के दिनों में भी हमारे देश में पंचायत और पंचों का गौरव कम नहीं हुआ। जिसे भी पंच सरपंच चुना जाता उन पंचों में परमेश्वर के दर्शन किए जाते थे और वे भी एकदम निष्पक्ष भाव से सारे गांव, समाज की सेवा करते थे। अफसोस है कि अब जितना लड़ाई झगड़ा पार्लियामेंट के चुनाव में भी नहीं होता उससे ज्यादा पंचायत चुनाव में होता है और एक दो नंबर के नोटों की भी बरसात होती है। पंजाब में जो अमीरी का और नोटों का नंगा प्रदर्शन इस बार हुआ वैसा पहले कभी नहीं हुआ। सरपंच पद खरीदने के लिए दो दो करोड़ रुपये की भी बोली लगी। अच्छी पंचायत तो वह कही जाएगी जहां के सारे झगड़े गांव की चौपाल पर ही सुलझ जाएं। थाने तक भी न जाना पड़े, लेकिन अफसोस यह है कि शहरों से ज्यादा गांवों में चुनाव बाद की दुश्मनी चलती है और लंबे समय तक लोग आपस में गुटबाजी रखते हैं, संघर्ष करते हैं।
मेरा पंजाब के पंचायत ड्यूटी में लगे सभी सरकारी अधिकारियों से भी यह निवेदन है कि वे किसी पार्टी के अधिकारी न बनें, लोकसेवक हैं लोकसेवक बने रहें और जीतने वाले पंच सरपंचों से भी यही अपील है कि चुनाव लड़ने से पहले चाहे वे एक पक्ष होंगे लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे गांव के हर व्यक्ति के संरक्षक बन जाएं। याद रखना होगा राम जी के देश में गुरुनानक जी के संदेशों को मानने वाले अगर निष्पक्ष होकर गांव की सेवा नहीं करते तो उन्हें भगवान श्रीराम और गुरुनानक देव जी का नाम लेने का भी कोई अधिकार नहीं।
लक्ष्मीकांता चावला
-Received through email on October 6, 2024. Views are peronsal.