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तो आप बिना धन •े भी धनवान बन स•ते हैं!

तो आप बिना धन •े भी धनवान बन स•ते हैं!

RAJ KISHORE KALRA PHOTO
आप आश्चार्य •रेंगे •ि क्या बिना पैसे •े भी •ोई धनवान हो स•ता है? ले•िन सच समझिए इस संसार में ऐसे अने• मनुष्य हैं, जिन•ी जेब में ए• पैसा नहीं है या जिन•ी जेब ही नहीं है, फिर भी वह धनवान हैं और इतने बड़े धनवान •ी उन•ी क्षमता दूसरा •ोई नहीं •र स•ता। जिस•ा शरीर स्वस्थ है, ह्रदय उदार है और मन पवित्र हैं, यथार्थ में वही धनवान है। स्वास्थ्य शरीर चांदी से भी •ीमती है, उदार ह्रदय सोने से मूल्यावान है और पवित्र मन •ी •ीमत रत्नों से अधि• है। दधीचि, वशिष्ठ, व्यास, बाल्मी•ि, तुलसीदास, सूरदास, रामदास, •बीर आदि बिना पैसे •े अमीर थे। वह जानते थे •ि मनुष्य •ा सब आवश्य• भोजन मुख्य द्वारा ही अंदर नहीं जाता और जीवन •ो आनंदमय बनाने वाली सब वस्तुएं पैसे से खरीदी जा स•ती है। ईश्वर ने जीवन रूपी पुस्त• •े प्रत्ये• पुष्ठ पर अमूल्य रहस्यों •ो अं•ित •र रखा है, यदि हम चाहें, तो उन•े पहचान•र जीवन •ो प्र•ाशपूर्ण बना स•ते हैं। ए• विशाल ह्रदय और उंच्च आत्मा वाला मनुष्य झौपड़ी में भी रत्नों •ी जगमगाहट पैदा •रेगा। जो सदाचारी और परोप•ार में प्रावृत है, वह इस लो• में भी धनी है और परलो• में भी। भले ही उस•े पास द्रव्य •ा अभाव हो। यदि आप विनयशील, प्रेमी, निस्वार्थ और पवित्र हैं, तो विश्वास •ीजिए •ि आप आनंद धन •े स्वामी हैं।
जिस•े पास पैसा नहीं, वह गरीब ही •हा जाएगा, परंतु जिस•े पास •ेवल पैसा ही है, वह उससे भी अधि• •ंगाल है। क्या आप ज्ञान और सवगुणों •ो धन नहीं मानते? अष्टाव•्र आठ जगहों से टेढे थे और गरीब थे। महाराज जन• •ी सभा में अपने गुणों •ा परिचय दिया तो राजा उन•े शिष्य हो गए। द्रोणाचार्य जब घृताराष्ट्र •े राज दरबार में पहुंचे तब उन•े शरीर पर •पड़े भी न थे, पर अने• गुणों ने उन्हें राज•ुमारों •े गुरु •ा सम्मानपूर्ण स्थान दिलाया। महात्मा डायोगनीज •े पास पहुंच•र दिग्विजेयी सि•ंदर ने निवेदन •िया-&#39&#39महात्मन! मैं आप•े लिए क्या वस्तु उपस्थित •रूंÓÓ उसने उत्तर दिया- &#39&#39मेरी धूप •ो मत रो• और ए• और खड़ा हो जा वह चीज मुझ से मत छीन, जो तू मुझे नहीं दे स•ताÓÓ इस पर सि•ंदर ने •हा- &#39&#39यदि मैं सि•ंदर नहीं होता तो डायगनीज ही होना पसंद •रताÓÓ गुरु गोबिंद सिंह और ह•ी•त राय, छत्रपति शिवाजी, राणा प्रताप आदि ने धन •े लिए अपना जीवन उत्सर्ग नहीं •िया था। माननीय गोखले से ए• बार ए• संपन्न व्यक्ति ने पूछा- &#39&#39आप इतने राजनाय• होते हुए भी गरीबी •ा जीवन क्यों व्यतीत •रते हैं। ÓÓउन्होंने उतर दिया- मेरे लिए बहुत है। &#39&#39पैसा •माने •े लिए जीवन जैसी महत्वपूर्ण वस्तु •ा अधि• भाग नष्ट •रने में मुझे •ुछ भी बुद्धिमता प्रतीत नहीं होतीÓÓ
फ्रै•लिन से ए• बार उन•ा धनी मित्र यह पूछने गया •ि मैं अपना धन •हां रखूं? उन्होंने उत्तर दिया •ि तुम अपनी थैलियों •ो अपने सिर •े अंदर उल्ट लो, अर्थात उन•े बदले ज्ञान वृद्धि •र लो तो •ोई भी उस धन •ो चुरा न ले जाएगा।
शिक्षाविद
राज •िशोर •ालड़ा
बस्ती हजर सिंह, फाजिल्•ा
94633-1304

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