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हिन्दी अध्यापक परिषद ने पंजाब सरकार पर लगाये हिन्दी भाषा के अनदेखी के आरोप

फाजिल्का, 31 जनवरी: हिन्दी अध्यापक परिषद् पंजाब ने राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पंजाब सरकार द्वारा हिन्दी राष्ट्रीय भाषा व सरकारी स्कूलों में राष्ट्र भाषा हिन्दी की पोस्टें खत्म न करने की मांग की  है। अपने लिखे गए मांगपत्र में परिषद के पदाधिकारियों धर्मेन्द्र गुप्ता, रोशन वर्मा, सोहन लाल मनचंदा, भारत भूषण, सादिल सुखीजा, भगत सिंह, संदीप कुमार, संजीव कुमार, राजेश शर्मा, हरभजन सामा व अन्य अध्यापकों ने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा समूचे पंजाब में राष्ट्र भाषा हिन्दी को योजनाबद्ध तरीके से सरकारी स्कूलों में से खत्म करने के प्रयास की और ध्यान दिलाना चाहते है। पंजाब की शिक्षा मंत्री श्रीमती अरूणा चौधरी और शिक्षा सचिव श्री कृष्ण कुमार ने हाल ही में पंजाब के सभी सरकारी मिडल स्कूलों में से हिन्दी विषय के अध्यापको के पद् न रखने का आदेश पारित किया है। यहीं नहीं पंजाब के समस्त सरकारी स्कूलों में अब हिन्दी को विकलपत विषय भी बना दिया गया है। अगर मिडल स्कूलों में प्रशिक्षित हिन्दी अध्यापक नहीं होगें तो लाखों गरीब विद्यार्थी राष्ट्र भाषा को सीखने से वंचित रह जायेगें। जबकि दूसरी भाषा है। अगर पंजाब के लाखों विद्यार्थी हिन्दी से दूर कर दिये जायेगें तो वह आने वाले समय में अपनी राष्ट्र भाषा का लाभ नहीं ले पायेगें और आजीवन हिन्दी के मूल्यवान ज्ञान से वंचित रह जायेगें। यहीं नहीं राष्ट्र भाषा को पढ़ाने के लिए बहुत ही कम पीरीयड रखे गये है। पंजाब सरकार की हिन्दी की यह अनदेखी का समाज में बहुत ही गलत संदेश जा रहा है। और सरकार के प्रति अविश्वास की भावना पैदा हो रही है। जिन हिन्दी अध्यापको के बच्चे छोटें हैं और माता पिता बजुर्ग है उनको मोजूदा स्टेशनों से उजाडकऱ 200 से 250 किलोमीटर दूर भेजा जा रहा है। जिससे उनका पारिवारिक व समाजिक जीवन बुरी तरह से तहस नहस हो जायेगा। उन्होंने मांग की कि पंजाब में राष्ट्र भाषा हिन्दी और हिन्दी अध्यापको को बचाने के लिए तुरंत संज्ञान लेकर पंजाब के सरकारी मिडल स्कूलों में हिन्दी अध्यापको के पद खत्म न किए जायें तांकि पंजाब के सरकारी स्कूलों में लाखो गरीब विद्यार्थी राष्ट्र भाषा हिन्दी भी निर्बाध रूप से पढ़ व सीख सके और हिन्दी अध्यापको के पदं सरकारी स्कूलों में बने रह सके।

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