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सही दृष्टिकोण ले जाता है सफलता की ओर : राज किशोर कालड़ा

 

जीवन एक संघर्ष है। प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहिता है। जिसमें सफल होने के लिए मनुष्य को सख्त परिश्रम करना पड़ता है। सफलता ऐसी वस्तु नहीं जो आसानी से प्राप्त हो सके, पर दृढ़ निश्चय से किया गया परिश्रम कभी भी असफल नहीं होता है। सफलता के लिए आवश्यक है कि समय के साथ चला जाए। समय को निरर्थक न जाने दिया जाए। बुद्धिमान व्यक्ति कहते हैं कि हम समय को बर्बाद करते व बाद में समय हमें बर्बाद कर देता है।
हमें अतिरिक्त समय का सदुपयोग करना चाहिए, संसार में सबसे कठिन कार्य खाली समय का सदुपयोग करना होता है। सफलता के लिए सदैव व्यस्त रहना चाहिए। किसी मनुष्य के अतिरिक्त समय के उपयोग को देखकर उसके भविष्य बारे अनुमान लगाया जा सकता है। अधिकतर लोग खाली समय मिलने से प्रसन्न होते हैं, क्योंकि वे जीवन के प्रति लम्बी और दूर की नहीं सोचते। हमें अपने अतिरिक्त समय का सत्कार करना चाहिए। जो मनुष्य अपने अतिरिक्त समय का आधा भाग भी ज्ञान और अनुभव प्राप्त करने में लगाता है। वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। यदि बुढ़ापे में बिना किसी चिंता व आराम से जीना चाहते हैं तो वे अपनी युवा अवस्था को अपनी योग्यता व अपनी समथर्य बढ़ाने में लगाएं, क्योंकि ये जीवन का सबसे बढिय़ा एवं महत्वपूर्ण पड़ाव होता है।
बुद्धिमान व्यक्ति अपने जीवन में उस कीमती क्षण या समय को व्यर्थ नहीं जाने देता जिसके प्रयोग से वह उन्नति प्राप्त करता है। यह बात भी सही है कि हम ऐशों आराम को छोडऩा भी नहीं चाहते, पर जीवन मेमं ऐशो आराम ही सब कुछ नहीं होता। ऐशो आराम में जीवन बर्बाद करना मुर्खता होती है। कुछ समय मनोरंजन के लिए निकाला जा सकता है। जो व्यक्ति अपने जीवन में महत्वपूर्ण मामलों के प्रति गंभीरता से सोच विचार नहीं करते वह अपने साथियों से पीछे रह जाते हैं।
कार्य ओर ज्ञान प्रति सही दृष्टिकोण इंसान को सफलता की और ले जाता है। मनुष्य का मानसिक विकास इस बात पर निर्भर करता है कि उसने अपने खाली समय का प्रयोग किस तरह किया। अतिरिक्त उलझनों से बचने के लिए अपने खाली समय को किसी कार्य में लगाना चाहिए। अतिरिक्त समय में जो व्यक्ति स्वयं का सर्वेक्षण कर अपनी कमियों को दूर करने का प्रयत्न करता है, उसकी उन्नति निश्चय होती है।
जीवन में सफलता के लिए अतिरिक्त समय का सही प्रयोग करना चाहिए क्योंकि एक खाली समय ही है जो जिंदगी को बना भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है। इस लिए ‘लकीर का फकीर’ बनने की उपेक्षा सृजक बनने का प्रयत्न करना चाहिए। अतिरिक्त समय का योग्य प्रयोग करने वाले सफलता की चोटी पर पहुंच जाते हैं।
राज किशोर कालड़ा
बस्ती हजूर ङ्क्षसह फाजिल्का।

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