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सनातन क्रिया : सूक्ष्म कोश का अनुभव

जिस प्रकार  सृष्टी में प्रत्येक वस्तु परतों में है, चाहे वह पेड़ हो अथवा पृथ्वी, वातावरण, या फिर प्याज ही , उसी प्रकार हमारा शरीर भी परतों से बना है। इस लेख में हम अपनी एक सूक्ष्म परत को समझेंगे जो हमारे स्थूल शरीर के सबसे निकट  है, जिसे  प्राणमय कोश  अथवा ‘औरा’ के नाम से  भी जाना जाता है। यही कोश स्थूल शरीर का सञ्चालन करता है, और इसी कोश को  दिव्य दृष्टि द्वारा देख,  एक क्लेयरवॉयन्ट आपके शरीर की सम्पूर्ण स्थिति  का आकलन कुछ क्षणों में ही कर लेता है।

स्थूल शरीर को क्रियाशील करता है  प्राण,  यही प्राण संपूर्ण सृष्टि का आधार भी  है, जिसके बिना हम या किसी भी अन्य वस्तु का अस्तित्व संभव ही नही।   परंतु यह  प्राण है क्या?

एक छोटे से प्रयोग द्वारा इसे समझते है

१. अपनी आँखें बंद करके किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं ।

२. अब अपने हाथों को  रगड़, अपनी हथेलियों को अपनी नाभि के स्तर पर एक दूसरे के आमने सामने रखें ।

अपनी हथेलियों सहित अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें ।

३ अब  अपना सारा ध्यान अपनी हथेलियों के केंद्र में ले जाएं , और वहाँ अपना ध्यान रखते हुए,  हथेलियों को एक दूसरे से दूर और फिर  धीरे धीरे एक दूसरे के निकट लाएं। इस दौरान अपनी हथेलियों में  होने वाली किसी भी प्रकार की अनुभूति को ध्यान में रखें ।

४.  इस प्रक्रिया को कुछ देर तक दोहराएं।  अपनी हथेलियों के केन्द्र में अापको जो भी अनुभव हो, उसको नॉट कर लें।  अब धीरे धीरे अपनी आँखें खोलें ।

आप में से कुछ लोगों ने  निश्चित रूप से कुछ न कुछ अवश्य अनुभव किया होगा। मुझे अपना अनुभव लिखें।

अभी के लिए, मैं आपको यह अवश्य बता सकता हूँ कि आपने अभी जो कुछ भी अनुभव किया है, वह आपके स्वयं का पहला अनुभव है , प्राण का अनुभव, जिससे यह  स्थूल शरीर और इसके बाहर की परतें निर्मित है ।

हम सभी ने कभी न कभी महापुरुषों के चित्र अवश्य देखें होंगे जिनमें उनके  सिर के अास पास  स्वर्ण आभा होती है और उनके स्थूल शरीर  के चारों ओर दिव्य श्वेत रौशनी। यही होता है प्राणमय कोश , जिसका आपने अभी अभी अनुभव किया है ।

ध्यान आश्रम में कुछ साधकों को आध्यात्मिक चिकित्सा की सिद्धि प्राप्त है।  वे अपनी चेतना से इस सूक्ष्म परत में प्रवेश कर स्थूल शरीर में परिवर्तन कर सकते हैं । परंतु इन उच्च क्रियाओं को सीखने के लिए आपका शरीर सनातन क्रिया का नियमित अभ्यास कर तथा सेवा और दान  कर, संतुलन की स्थिति में होना अावश्यक हैं।

योगी अश्विनी ध्यान फाउंडेशन मार्गदर्शक तथा वैदिक विज्ञान के  विशेषज्ञ हैं । ‘ सनातन क्रिया – डी एसेंस ऑफ़ योग’ में उन्होंने आज के मानव के लिए अष्टांग योग के विज्ञान का सम्पूर्णता से उल्लेख किया है । अधिक जानकारी के लिए www.dhyanfoundation.com या  dhyan@dhyanfoundation.com पर संपर्क करें

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