शांति विद्या मंदिर में सहज पाठ सिखाया गया
शांति विद्या मंदिर में सहज पाठ सिखाया गया
फिरोज़पुर, अगस्त 20, 2022: आज शांति विद्या मंदिर में सहज पाठ सिखाने के लिए स्कूल की मैनेजिंग कमेटी ने श्री सहज पाठ सेवा समिति से भाई रणजीत सिंह और भाई राजपाल सिंह जी को आमंत्रित किया। जिन्होंने स्कूल के छात्रों को सहज पाठ किसे कहते हैं,इसे किस तरह से करना चाहिए, इससे हमें क्या लाभ है इन सभी विषयों के बारे में बताया। उन्होंने छात्रों को समझाते हुए कहा कि सहज पाठ का अर्थ है -पाठ को धीरे-धीरे समझ कर करना और उसमें दी गई शिक्षाओं पर अमल करना।
उन्होंने कहा कि जो ईश्वर को मानता है वह ईश्वर से सब्र, संतोष, भरोसा ,नाम दान और गुण मानता है। आजकल अधिकांश लोग सोशल मीडिया की तरफ जा रहे हैं और मोबाइल का प्रयोग अधिक कर रहे हैं। इसके साथ-साथ समाज में नशा, भ्रष्टाचार और अनेक बुराइयों ने जन्म ले लिया है। इन सब बुराइयों का एक ही कारण है – अज्ञानता। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने हमें मनुष्य के रूप में जन्म दिया है और हमें इसके लिए उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए। उन्होंने नाभा की एक लड़की हरजिंदर कौर का उदाहरण देते हुए कहा कि वह बहुत गरीब परिवार की लड़की थी जो पशुओं का चारा काट कर, उसे बेचकर अपना घर का गुजारा चलाती थी।लेकिन फिर भी वह पाँच मिनट ईश्वर के नाम के लिए जरूर निकालती और उसको जीवन देने के लिए उसका शुक्रिया अदा करती थी।उसी लड़की ने अपनी मेहनत, लगन और ईश्वर के आशीर्वाद से आगे चलकर राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड मेडल लिया और पंजाब सरकार की तरफ से ₹ चालीस लाख का इनाम भी उसे दिया गया। उन्होंने कहा जो लोग ईश्वर का नाम लेते हैं ,उसमें विश्वास करते हैं, ईश्वर भी उसकी सहायता हर कदम पर करते हैं और हमारी इच्छा से अधिक हमें देते हैं। परंतु मनुष्य बहुत स्वार्थी है। दुख में ईश्वर को याद करता है, सुख में नहीं। हमें हर समय *वाहेगुरु तेरा शुक्र है* का जाप करना चाहिए। जो मनुष्य शुकराना करना सीख जाता है, उसे जीवन में कभी कोई दुख तकलीफ नहीं होती।
उन्होंने छात्रों से भी ज्ञान से संबंधित प्रश्न पूछे और सही जवाब देने पर उनको पुरस्कार देकर उनका हौसला बढ़ाया। स्कूल के डी.पी सर सरदार गुरसाब सिंह जी ने भाई रंजीत सिंह और भाई राजपाल सिंह जी का इतनी अच्छी और ज्ञानवर्धक बातें बताने के लिए शुक्रिया अदा किया और कहां कि हमें अच्छी संगति में रहना चाहिए ,क्योंकि संगति अपना असर जरूर दिखाती है और ईश्वर का ध्यान करना चाहिए साथ ही मेहनत करनी चाहिए। क्योंकि जितनी हम अपने शरीर से मेहनत करेंगे, उतना ही हमें उसका लाभ होगा।उन्होंने घोड़े का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार घोड़ा दौड़ता है परंतु उसे यह नहीं पता कि वह क्यों दौड़ रहा है?वह तो उस पर सवार को पता है और जब वह थोड़ा रेस जीतता है और घुड़सवार उसे शाबाशी देता है तो उसकी पीठ पर हाथ फैरता है तो उसे पता चलता है कि उसने कुछ अच्छा किया है । इसी प्रकार हम भी इस दुनिया में अपने कर्में की रेस दौड़ते हैं और ईश्वर हमें कर्मों के अनुसार फल जरूर देता है। इसलिए हमें जीवन में हमेशा सत्य कर्म करने चाहिए और सद् मार्ग पर चलना चाहिए।
हमें ईश्वर का सदैव शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उन्होंने हमें इस योग्य बनाया कि हम दूसरों का भला कर सकें।सिंह साहिबान ने स्कूल के छात्रों एवं अध्यापकों को श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी के जीवन से संबंधित पुस्तकें भेंट की। स्कूल की डी.पी सर सरदार गुरसाब सिंह जी ने आए हुए सिंह साहिबान को समृति चिह्न एवं सरोपा भेंट किया और साथ ही उनसे इस प्रकार की ज्ञानवर्धक बातें छात्रों को समय पर आकर बताते रहने के लिए भी प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि हम और हमारे छात्र उनके द्वारा बताई गई सभी बातों को अपने जीवन में अपनाएं गे।