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पंजाब सरकार की गलत नीतियों के कारण डाक्टर का सरकारी सेवा में आने का रूझान हुआ कम

पंजाब सरकार की गलत नीतियों के कारण डाक्टर का सरकारी सेवा में आने का रूझान हुआ कम

एमबीबीएस डाक्टर को प्रथम दो वर्ष मात्र 15600 रुपए देने का फैसला बना मुख्य कारण

विशेषज्ञ डाक्टरों का अलग केडर बनाने की मांग पूरी की जाए

फाजिल्का, 8 अक्तूबर: (Raj Kishore Kalra) :  पंजाब सरकार की गलत नीतियों के कारण अधिकांश डाक्टर सरकारी सेवा में आने से कन्नी कतरा रहे हैं। इस कारण सरकारी अस्पतालों में एमबीबीएस विशेषज्ञ डाक्टरों की भारी कमी पाई जा रही है। इससे सरकारी अस्पतालों में आने वाले रोगियों को अनेकों कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार सोशल वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष समाज सास्त्री राज किशोर कालड़ा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से एमबीबीएस डाक्टरों की कमी को दूर करने हेतु 404 डाक्टरों की भर्ती करने का अमल शुरू किया गया था। विभाग की ओर से एमबीबीएस डाक्टरों की भर्ती के लिए पंजाब पंजाब पब्लिक सर्विस आयोग द्वारा 404 डाक्टरों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया था। इसके परिउत्तर में 1300 से अधिक प्रत्याशियों ने अपने प्रार्थना पत्र भेजे थे। लिखती परीक्षा में 1186 प्रत्याशी बैठे थे। लेकिन चुनाव के बाद 125 से अधिक डाक्टरों ने ड्यूटी पर उपस्थित होने से इंकार कर दिया है। श्री कालड़ा  ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सरकार द्वारा डाक्टरों को 2 वर्ष के लिए प्रोबेशनरी पीरियड बेसिक वेतन 15600 पर काम करने के लिए कहा जा रहा है। जिसको प्रत्याशियों ने रद्द कर दिया है। सरकार इनको नौकरी पर उपस्थित होने के लिए बारबार प्रेरित कर रही है। उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार द्वारा पूर्व में ही प्रोबेशनरी पीरियड के समय के दौरान सभी वगो के कर्मचारियों को बेसिक वेतन पर देने का निर्णय ले चुकी है। यद्यिप विशेषज्ञ डाक्टरों को बेसिक पे पर काम करने से बाहर रखा गया है फिर भी 307 विशेषज्ञ डाक्टरों के पदों को भरने के लिए 10 बार साक्षताकार करने पर भी पदों को अभी तक नहीं भरा जा सका। इसका मुख्य कारण यह है कि विशेषज्ञ डाक्टर सरकार से एमबीबीएस से अलग केडर की मांग कर रहे हैं। समाज शास्त्री ने कहा कि विशेषज्ञ डाक्टरों की भर्ती के लिए अन्य राज्य से डाक्टरों की तलाश के लिए दिल्ली में भी इंट्रव्यू करने का तुजुर्बा भी असफल रहा है।

श्री कालड़ा ने इस स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि प्राइवेट अस्पतालों द्वारा डाक्टरों को दिए जा रहे पैकेज भी भर्ती के राह में बड़ी रूकावट हैं। दूसरा विभाग में कार्यरत विशेषज्ञ डाक्टरों को लगभग 25 वर्ष पूर्व अलग केडर देने संबंधी अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी लेकिन इसका दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह रहा कि आज तक इस अधिसूचना को व्यवहारिक रूप नहीं दिया जा सका। इससे पूर्व सेहत मंत्री द्वारा इन विशेषज्ञ डाक्टरों को अलग केडर देने संबंधी आश्वासन दिया गया था लेकिन इस पर भी अमल नहीं हुआ और डाक्टर अपनी मांगों के लिए प्रथम अक्तूबर से मनवाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। श्री कालड़ा ने कहा कि यदि सचमुच सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ एमबीबीएस डाक्टरों के रिक्त पड़े स्थानों को पूरा करना चाहती है तो विशेषज्ञ डाक्टरों के लिए अलग केडर बनाया जाए एमबीबीएस डाक्टरों की नियुक्तियां भी पूरे वेतन पर की जाएं ताकि यह डाक्टर अस्पतालों में तनदेही, समर्पण भावना लगन से कार्य करें और रोगियों को भी राहत मिले। 

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