दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पांच दिवसीय शिव कथा का आयोजन श्री नव दुर्गा मंदिर के प्रांगण में
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पांच दिवसीय शिव कथा का आयोजन श्री नव दुर्गा मंदिर के प्रांगण में
फिरोज़पुर, (नाराण धमीजा): दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पांच दिवसीय शिव कथा का आयोजन श्री नव दुर्गा मंदिर के प्रांगण में चल रहा है। जिसके दूसरे दिन के कथा प्रसंग में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या दिल्ली से पहुंची साध्वी सुश्री दिवेशा भारती जी ने बताया हमारी सकारात्मक सोच, सकारात्मक संवाद और सकारात्मक कार्यों का असर हमें सफलता की ओर अग्रसर करते हैं वहीं निराशा तथा नकारात्मक संवाद व्यक्ति को अवसाद में ले जाते हैं योंकि विचारों में बहुत शक्ति होती है। हम या सोचते हैं, इस बात का हमारे जीवन पर बहुत गहरा असर होता है। हमारे सकारात्मक विचार ही मन में उपजे निराशा के अंधकार को दूर करके आशाओं के द्वार खोलते हैं।स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं, हम वो हैं जो हमारी सोच ने हमें बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप या सोचते हैं।
शद गौंण हैं, विचार दूर तक यात्रा करते हैं।भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे.अदुल कलाम, गरीब मछुआरे के बेटे थे। बचपन में अखबार बेचा करते थे। आर्थिक कठनाईंयों के बावजूद वे पढाई करते रहे। सकारात्मक विचारों के कारण ही उन्होने भारत की प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनेक सफलताएं हासिल कीं। अपने आशावदी विचारों से वे आज भारत में ही नही बल्कि पूरे विश्व में वंदनीय हैं। उन्हे मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है। हमारे देश में ही नही अपितु पूरे विश्व में ऐसे अनेक लोग हैं जिन्होने विपरीत परिस्थिति में भी अपनी सकारत्मक वैचारिक शक्ति से इतिहास रचा है।असर देखा जाता है कि, हममें से कई लोग चाहे वो विद्यार्थी हों या नौकरीपेशा या अन्य क्षेत्र से हों काम या पढाई की अधिकता को देखकर कहने लगते हैं कि ये हमसे नहीं होगा या मैं ये नही कर सकता।
यही नकारात्मक विचार उन्हे आगे बढने से रोकते हैं। यदि हम ना की जगह ये कहें कि हम कोशिश करते हैं हम ये कर सकते हैं तो परिस्थिति सकारात्मक संदेश का वातावरण निर्मित करती है। जिस तरह हम जब रास्ते में चलते हैं तो पत्थर या काटोँ पर पैर नही रखते उससे बचकर निकल जाते हैं उसी प्रकार हमें अपने नकारत्मक विचारों से भी बचना चाहिए योंकि जिस प्रकार एक पेङ से माचिस की लाख से भी ज्यादा तीलियाँ बनती है किन्तु लाख पेङ को जलाने के लिए सिर्फ एक तीली ही काफी होती है। उसी प्रकार एक नकारात्मक विचार हमारे हजारों सपनो को जला सकता है।हमारे विचार तो, उस रंगीन चश्में की तरह हैं जिसे पहन कर हर चीज उसी रंग में दिखाई देती है।
यदि हम सकारात्मक विचारों का चश्मा पहनेंगे तो सब कुछ संभव होता नजर आयेगा। भारत की आजादी, विज्ञान की नित नई खोज सकारात्मक विचारों का ही परिणाम है। आज हमारा देश भारत विकासशील से बढकर विकसित राष्ट्र की श्रेणीं में जा रहा है। ये सब सकारात्मक विचारों से ही संभव हो रहा है। अतः हम अपने सपनो और लक्ष्यों को सकारत्मक विचारों से सिचेंगे तो सफलता की फसल अवश्य लहलहायेगी। बस, केवल हमें सकारात्मक विचारों को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा।स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं कि, मन में अच्छे विचार लायें। उसी विचार को अपने जीवन का लक्ष्य बनायें। हमेशा उसी के बारे में सोचे, सपने देखें। यहाँ तक की उसके लिए हर क्षणं जिएं। आप पायेंगे कि सफलता आपके कदम चूम रही है।हम इस अंनत ब्रह्माण्ड की तरह अनंत संभावनाओं से परिपूर्ण हैं। तो ऐसे सकारात्मक विचारों को जीवन में अपनाने से हमारे जीवन में सार्थक और सफल परिवर्तन संभव हो सकेगा जो की अध्यात्म द्वारा ही संभव है ।
कथा के द्रितीय दिवस ज्योति प्रज्वलन की पवन रसम की अदाएगी वे अहेड इमीग्रेशन के संचालक राहुल कक्कड़, सरहद केसरी यूरो चीफ़ फिरोजपुर नारायण धमीजा, डॉ नतिंदर मुखीजा, पण्डित दिलीप तिवारी, रविंदर खन्ना ने ज्योति प्रजलित की एवं आरती में राजेश धवन, छिंदर पाल, बलदेव शर्मा, अमन शर्मा, हरि कृष्ण एवं विनोद कुमार जी शामिल रहे।