“भलकू स्मृति यात्रा: झाझा गांव में लेखकों ने की साहित्यिक गोष्ठी, बी आर मेहता को ‘आजीवन उपलब्धि सम्मान'”
कुफरी, चायल और भलकू के पुश्तैनी गांव की लेखकों ने साहित्य गोष्ठियां : बी आर मेहता सहित भलकू के परिजनों को किया सम्मानित
फ़िरोज़पुर, अप्रैल 13, 2025: भलकू स्मृति यात्रा के दूसरे दिन 31 लेखकों ने बस द्वारा शिमला से 8.30 बजे यात्रा शुरू की। पहला पड़ाव हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम का ललित कुफरी था जहां लेखकों ने कवि गोष्ठी की। दूसरा पड़ाव पर्यटन निगम का हेरिटेज होटल पैलेस चायल रहा। लेखकों ने पैलेस परिसर का भ्रमण किया और एक साहित्यिक गोष्ठी भी की। उसके बाद लेखक बाबा भलकू के पुश्तैनी गांव झाझा गए और वहां उनका प्राचीन घर देखा और उनके परिजनों से मिले। गोष्ठी का आकर्षण सम्मान समारोह था जिसमें एक भव्य आयोजन में आकाशवाणी के मशहूर उद्घोषक और रंगकर्मी बी आर मेहता जी को “आजीवन उपलब्धि सम्मान” से सम्मानित किया गया। भलकू की छठी पीढ़ी के वरिष्ठ सदस्य दुर्गा दत्त, राम स्वरूप, कांति स्वरूप और युवा सुशील कुमार को बल्कि स्मृति सम्मान दिया गया। इस सत्र का सुंदर संचालन जगदीश बाली जी ने किया। यह जानकारी हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच के अध्यक्ष एस आर हरनोट ने मीडिया को दी।
सम्मानित होने के बाद बी आर मेहता ने हिमालय मंच का भलकू की स्मृतियों को जिंदा रखने के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भलकू एक बड़ी शख्सियत थे। मेहता जी ने उन पर बहुत शोध किया है और चायल में उनकी समिति के प्रयासों से ही भलकू स्मारक और उनकी प्रतिमा स्थापित हुई। मेहता जी ने दुख व्यक्त किया कि भाजपा और कांग्रेस सरकार ने भलकू पार्क के जीर्णोद्धार की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और पार्क आज उपेक्षित पड़ा है।
हिमालय मंच के सदस्य और पूर्व अतिरिक्त निदेशक राज्य लेखा परीक्षा ने कालका शिमला रेल लाइन का विस्तार झाझा तक बढ़ाने का मुद्दा उठाया। हिमालय मंच ने केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार से कई बार रेल लाइन के विस्तार, भलकू स्मारक को झाझा में निर्मित करने और भलकू के पुश्तैनी घर को महफूज रखने के प्रस्ताव दिए हैं। सरकार और रेलवे से शिमला ओल्ड बस स्टैंड के साथ भलकू म्यूजियम तक कालका शिमला ट्रेनों को बढ़ाने की मांग भी की।
झाझा में लेखकों ने भलकू की स्मृति में काव्य गोष्ठी भी की जिसमें रमन मिश्र, नीलम कुलश्रेष्ठ, जगदीश कश्यप और एस आर हरनोट ने कविता पाठ किया। झाझा में भलकू परिवार ने सभी लेखकों का पुष्प और पुष्प माला भेंट कर स्वागत किया।
इससे पूर्व प्रातः 10 से 11.30 बजे तक लेखकों ने कुफरी ललित कैफे में और चलती बस में भी साहित्यिक, संगीत और व्यंग्य गोष्ठियां की जिसका संचालन दीप्ति सारस्वत प्रतिमा और शांति स्वरूप शर्मा ने की।
झाझा यात्रा में साहित्यिक गोष्ठियां में जो लेखक शामिल रहे उनमें प्रो. हृबनाथ पांडेय, रमण मिश्र, डॉ. अर्जुन घरत, डॉ. प्रमोद यादव, डॉ. शशि श्रीवास्तव, मधुर कुलश्रेष्ठ और नीलम कुलश्रेष्ठ, राजेश आरोड़ा, हरीश मोंगा, सुनैनी शर्मा, सीमा गौतम, प्रियंवदा शर्मा, अनिल शर्मा नील, अंजू आनंद, जगदीश बाली, हितेंद्र शर्मा, डॉ. विजय लक्ष्मी नेगी, सलिल शमशेरी, स्नेह नेगी, जगदीश कश्यप, लेखराज चौहान, दीप्ति सारस्वत प्रतिमा, वंदना राणा, हेमलता शर्मा, शांति स्वरूप शर्मा, जगदीश हरनौत और यादव चंद।