कश्मीर से कन्याकुमारी तक साईकिल पर भ्रमण करने के बाद फिरोजपुर पहुंचे पदमश्री डा. किरण सेठ
कश्मीर से कन्याकुमारी तक साईकिल पर भ्रमण करने के बाद फिरोजपुर पहुंचे पदमश्री डा. किरण सेठ
-शास्त्रीय संगीत से जुडऩे की दे रहे सलाह, देश में बढ़ रही आत्महत्याओ को बताया गंभीर मुद्दा-
-आईआईटी दिल्ली में प्रो. रह चुके है डा. किरण सेठी, 1977 से चला रहे स्पिक मैके संस्था, देश-विदेश में कर रहे प्रचार-
-फिरोजपुर के दास एंड ब्राऊन स्कूल पहुंचने पर हुआ भव्य स्वागत, अभिभावको व अध्यापको को भी किया सम्बोधित-
फिरोजपुर, 7 सितम्बर, 2023
ध्यान व एकाग्रता का संदेश देने के मनोरथ से पूरे देश का भ्रमण कर रहे पदमश्री डा. किरण सेठ ने कहा कि वर्तमान में बढ़ रहा तनाव और विद्यार्थियो द्वारा आत्महत्याएं की घटनाए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि समाज को तनाव से बाहर निकालने के लिए प्रत्येक नागरिक का अपनी संस्कृति, कला सहित शास्त्रीय संगीत से जुडऩा समय की मांग है ताकि वह नकरात्मकता से अपना ध्यान हटाकर संगीत सहित सकरात्मकता की तरफ अपने ध्यान को एकाग्र कर सके।
दास एंड ब्राऊन वल्र्ड स्कूल में सोसायटी फॉर प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिक म्यूजिक एंड कल्चर अमंग यूथ -स्पिक मैके- के संस्थापक तथा आईआईटी दिल्ली के पूर्व प्रो. डा. किरण सेठ पहुंचे, जबकि उनके साथ पंजाब हैड डा. संगीता खुशवाहा भी कथक का ज्ञान देने के मनोरथ से आए। स्कूल प्रिंसिपल डा. राजेश चंदेल द्वारा उनका अभिवादन किया और विद्यार्थियो को शिक्षा के अतिरिक्त मुहैया करवाई जाने वाली सुविधाओ के बारे में परिचित करवाया। डा. किरण सेठ द्वारा स्कूल अध्यापको व अभिभावको के मध्य एक सैशन भी आयोजित किया गया।
उनके द्वारा संस्कृति व कला का संदेश देने के लिए पूरे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक 15 अगस्त 2022 से 14 फरवरी 2023 तक 13500 किलोमीटर साईकिल पर सफर तय किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि स्पिक मैके द्वारा हर साल देश में पांच हजार से ज्यादा कार्यक्रम स्कूल, कॉलेजो व विश्वविद्यालयो में आयोजित किए जाते है। संस्था के करीब एक हजार वालंटियर बिना किसी शुल्क के कार्य कर रहे है और विदेशो में भी हर साल 50 से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा जापान, कनाड़ा, आस्ट्रेलिया, आमेरिका, लंदन, यूरोप, दुबई, पाकिस्तान, नेपाल में भी कार्यक्रम करवाए जा चुके है। उनके द्वारा प्लेवे के बच्चो से यह शास्त्रीय संगीत कला देने का कार्यक्रम शुरू किया जाता है।
उनके कार्यो को देखते हुए 2009 में केन्द्र सरकार द्वारा उन्हें पदमश्री अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। उनके द्वारा रोजाना किसी ना किसी जिले में जाकर स्कूलो में विद्यार्थियो, अभिभावको तथा अध्यापको से सम्पर्क साधा जाता है। उन्होंने बताया कि देश में लोगो को जोडऩे का संस्कृति एक माध्यम है, जबकि कला का हमारे नागरिको में होना समय की मांग है।
डा. किरण सेठ ने कहा कि एक समय था जब लोग कला के दीवाने होते थे, लेकिन वर्तमान में भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग आमदनी के पीछे भागने लगे है। उन्होंने कहा कि पहले लक्ष्मी सरस्वति के पीछे भागती थी, लेकिन वर्तामन में सरस्वति को लक्ष्मी के पीछे भागना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हर इंसान को समस्या की मूल जड़ को खत्म करने की तरफ ध्यान देना चाहिए और तनाव से निकलने का मूल साधन योग, ध्यान तथा संगीत है।