कथा के अंतिम दिवस गोविन्द राम अग्रवाल, बृज भूषण अग्रवाल, वी के वोहरा, ने पूजन कर प्रभु आशीष को प्राप्त किया
Ferozepur, June 17-6-2018: अंतिम दिवस (ब्रह्म ज्ञान से ही समस्त बुराइयों का समाधान संभव)श्री शीतला माता मंदिर में चल रही पांच दिवसीय श्री राम कथा के अंतिम दिवस सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या प्रज्ञाचक्षु साध्वी सुश्री शचि भारती जी ने सूंदर काण्ड प्रसंग सुनाते हुए कहा कि इसमें एक भक्त के भक्ति मार्ग पर किये जा रहे संघर्ष को हनुमान जी के माध्यम से प्रतिपादित किया गया है। इंसान का जीवन नदी की तरह है जिसके मार्ग में चट्टानें एवं पत्थर रूपी अनेक संकट आते है। किन्तु नदी इनकी परवाह किये बिना इन्हें रौंदती हुयी आगे बढ़ती जाती है। इसी प्रकार की बाधाएं हनुमान जी के समक्ष आयी जब वे माता सीता की ख़ोज में लंका हेतु प्रस्थान करते है।
साध्वी जी ने कहा कि हनुमान मैनाक पर्वत, सुरसा, सिंहिका जैसी बाधाओं को पार करते हुए लंका में प्रवेश करते है। जो बाहर से अत्यंत सुंदर किन्तु भीतर से पाप से सनी हुयी है। आज मानव की भी यही दशा है। वह बाहर से साफ़ स्वच्छ नजर आता है किंतु भीतर ईर्ष्या, क्रोध, निंदा, नफ़रत, झूठ छल कपट भरा हुआ है। आज हनुमान भी यही लंका में देख रहे है। इसलिए उन्होंने कहा कि मानव को अपना कल्याण करना है तो खुद को भीतर से बदलना होगा। भीतर से बदलाव ब्रह्म ज्ञान द्वारा ही संभव है। एक पूर्ण गुरु जब जीवन में आता है तो वह हमें अन्तः करण से शुद्ध होने की युक्ति यानि ब्रह्म ज्ञान प्रदान करता है। संस्थान के संस्थापक एवं संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी भी आज ब्रह्म ज्ञान प्रदान कर तिहाड़ जेल एवं भारत की अनेक जेलों के खूंखार कैदियों को बदल रहे है। ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर अनेक क़ैदी आज सुधर चुके है और अपनी बुराइयों को त्याग चुके है। अतः जीवन को सफ़ल बनाने हेतु ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करना ही होगा क्योंकि इसके द्वारा ही समस्त बुराइयों का समाधान संभव है। अतः हमें भी स्वकल्याण हेतु ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करना होगा।
स्वामी शशिशेखरानंद जी ने कथा के अंत में कहा कि कथा नेत्रहीन एवं विकलांग वर्ग की सहायतार्थ की जा रही है कथा प्रांगण में नेत्रहीनों एवं विकलांग वर्ग पर आधारित लघु चलचित्र भी दिखाया गया एवं इनके द्वारा बनाये गए उत्पाद का स्टाल भी लगाया गया है। स्वामी जी ने सभी से इनके द्वारा बनाये गए उत्पाद इस्तेमाल करने का विशेष अनुरोध भी किया।
कथा के अंतिम दिवस मोहित गर्ग (शांति विद्या मंदिर) ने धर्म पत्नी सहित एवं सेवादारों ने साध्वी जी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनका आशीष प्राप्त किया।
कथा में प्रत्येक दिवस की तरह प्रसाद रूप में लंगर का प्रबंध भी रहा जिसमें बड़े-छोटे, ऊंच-नीच के भेद को भुलाकर सभी ने एक पंक्ति में बैठकर भोजन ग्रहण किया।।