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ऐडिड स्कूलों की एक ही पुकार सरकारी स्कूलों में मर्ज करो पंजाब सरकार: ठकराल

ऐडिड स्कूलों की एक ही पुकार सरकारी स्कूलों में मर्ज करो पंजाब सरकार: ठकराल
बंद होने की कगार पर ऐडिड स्कूलों को बचाने की गुहार

ajay thakral

फाजिल्का, 11 सितम्बर  (Harish Monga) : पंजाब सरकार ने दिसंबर 1967 में दिल्ली ग्रांट इन एड प्रणाली के तहत राज्य के 484 ऐडिड स्कूलों में लगभग 10 हजार पदों को स्वीकृत किया था उस अनुबंध में यह भी लिखा गया था कि स्कूल की प्रबंधक कमेटियां 5 प्रतिशत अपने स्तर पर आय के स्त्रोत पैदा करके स्कूल चलाएंगी तथा सरकार इन स्कूलों को 95 प्रतिशत अनुदान राशि उपलब्ध करवाएगी। बच्चों की गिनती कम हो जाए या बढ जाए यह पद फ्रीज रहेंगे। इनको घटाया या बढाया नहीं जा सकता। समय अनुसार हजारों अध्यापक सेवानिवृत हो गए। अब लगभग पूरे राज्य में 3000 के करीब अध्यापक इन स्कूलों में कार्य कर रहे हैं। सरकार ने 2003 के बाद नई नियुक्ति पर प्रतिबंध लगा दिया, 2003 के बाद कोई भी कर्मचारी इन स्कूलों में भर्ती नहीं हो सका जिससे इन स्कूलों की स्थिति दयनीय हो गई। सरकार इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही। कई स्कूल बंद हो चुके हैं तथा कई बंद होने की कगार पर आ चुके हैं। कई स्कूल तो 100-100 साल पुराने नगर में शिक्षा की अलख जगा रहे थे लेकिन सरकार की लापरवाही से उन स्कूलों में एक भी अध्यापक कार्य नहीं कर रहा। स्थानीय फाजिल्का की बात करें तो आर्य पुत्री पाठशाला 1904 में स्थापित हुआ था। 111 वर्ष शिक्षा की अलख जगाने के पश्चात अब वर्तमान में इस स्कूल में कोई भी सरकारी अध्यापक कार्य नहीं कर रहा। सिर्फ प्राइवेट अध्यापकों के सहारे इस स्कूल को स्कूल की प्रबंधक कमेटी चला रही है। इसी तरह स्थानीय एसडी एलीमेंट्री प्राइमरी स्कूल में भी कोई सरकारी अध्यापक कार्य नहीं कर रहा। सिर्फ प्राइवेट अध्यापकों के सहारे स्कूल को चलाया जा रहा है। जिससे इन स्कूलों का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है। यह उदगार प्रकट करते हुए पंजाब गवर्नमेंट ऐडिड स्कूल अध्यापक एवं अन्य कर्मचारी यूनियन के जिला प्रवक्ता अजय ठकराल ने बताया कि सरकार को ट्रांस्फर नीति पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि काफी देर से मांग की जा रही है कि एक ही मैनेजमेंट के तहत चलने वाले स्कूलों में ट्रांस्फर की बजाए अलग-अलग कमेटियों के तहत चल रहे ऐडिड स्कूलों में ट्रांस्फर का भी प्रबंध हो। उन्होंने कहा कि बहुत ही आश्चार्यजनक बात है कि ऐडिड स्कूलों के स्टाफ को वेतन तो पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों अनुसार मिल रहा है लेकिन मकान किराया भत्ता व मेडिकल भत्ता चौथे वेतन आयोग की सिफारिशों अनुसार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि भत्तों का भुगतान भी पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों अनुसार दिया जाए। श्री ठकराल ने बताया कि अभी तक ऐडिड स्कूलों को 95 प्रतिशत अनुदान राशि ही उपलब्ध करवाती है। पांच प्रतिशत स्कूल प्रबंधन देता है। लेकिन यदि सरकार पांच प्रतिशत का हिस्सा देकर अपने पास से दे दे तो इन अनुभवी अध्यापकों को सरकारी स्कूलों में तैनात करके उनकी सेवाएं ली जा सकती हैं जहां अध्यापकों की समस्याएं दूर होंगी वहीं राज्य में बच्चों में सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा मिल जाएगी। सरकार इसके लिए सभी अध्यापकों से व स्कूल की प्रबंधक कमेटियों से नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट ले जो अध्यापक सरकारी स्कूलों में जाना चाहता है उसके लिए सरकार एक विज्ञापन जारी करे जिसमें कोई आयु की सीमा भी निर्धारित न हो तथा ऐडिड स्कूलों में कार्य कर रहे अध्यापकों को प्राथमिकता के आधार पर सरकारी स्कूलों में ज्वाइन करने की प्रक्रिया शुरू की जाए इसके लिए सरकार को जल्द से जल्द भी एक अधिसूचना जारी करनी चाहिए जिससे इन स्कूलों व अध्यापकों का भविष्य अंधकारमय होने से बचाया जा सके।

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