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आखिर अपने स्थान पर ही आ विराते अष्टधातु के कान्हा -राम बाग रोड़ पर स्थित प्राचीन श्री राधा-कृष्ण मन्दिर में है विराजमान-

आखिर अपने स्थान पर ही आ विराते अष्टधातु के कान्हा

-राम बाग रोड़ पर स्थित प्राचीन श्री राधा-कृष्ण मन्दिर में है विराजमान-

आखिर अपने स्थान पर ही आ विराते अष्टधातु के कान्हा -राम बाग रोड़ पर स्थित प्राचीन श्री राधा-कृष्ण मन्दिर में है विराजमान-

फिरोजपुर, 25.8.2024:राम बाग रोड़ पर स्थित प्राचीन श्री राधा-कृष्ण मन्दिर का इतिहास स्वयं में साक्षी है। देर ही सहीं लेकिन कान्हा वहीं विराजे जो उनका असली स्थान था। मन्दिर के सुशील गुप्ता ने बताया कि जिस जगह पर अब मन्दिर है ये बड़ी हवेली होती थी जोकि ब्राहृणो के पास थी। जिसमें एक किनारे पर भगवान का मन्दिर था, जिसमें अष्टधातु के काले रंग के कान्हा व उनके साथ राधा जी की पावन प्रतिमा विराजमान थी। हवेली बिकने के बाद सभी कमरो के ताले तोडऩे पड़े, लेकिन जिस कमरे में भगवान की प्रतिमा विराजमान थी, वहां का ताला चाबी से ही खुला और पूरा कमरा सालो बाद भी बिल्कुल साफ था, जो कि अपने आप में एक चमत्कार था। उन्होनें बताया कि उसके बाद उन्होनें एक मरला भूमि पर बिल्डिंग के साथ मन्दिर बनवाया। जहां पर उन राधा-कृष्ण जी को विराजमान किया था, लेकिन संयोग यह रहा कि हवेली वाली भूमि जिस ने खरीदी वह आगे बेचता चला गया और आखिर में यहां पर भव्य मन्दिर बनाने का विचार आया। जिसे स्वर्गीय एडवोकेट योगेश कुमार ने सभी के सहयोग से बनवाया और जिस स्थान पर कान्हा की प्रतिमा पहले विराजमान थी, वहीं पर भगवान को राधा के साथ स्थापित किया। सुनील जैन सोनू ने बताया कि यहां पर कई बार चमत्कार भी हो चुके है। अक्सर ही पहले राधा की पायलो की आवाज रात्रि के वक्त सुनाई देती थी। मन्दिर में जन्माष्टमी उपलक्ष्य में श्रद्धालूओ का तांता लगता है और सैंकड़ो की संख्या में बच्चे कान्हा का रूप धारकर यहां खेलते है। उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण जी रोजाना बृजवासी ब्राह्मण द्वारा विशेष आरती की जाती है और यहां पर कृष्ण जी काफी चमत्कार दिखाते है। उन्होंने बताया कि प्रेमी यहां अपने प्रेम की सलामती की दुआ करने भी आते है।

दीपक अग्रवाल ने कहा कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर यहां पर हर साल बाल कृष्ण सज्जा प्रतियोगिता करवाई जाती है और सैंकड़ो की संख्या में यहां कृष्ण व राधा के स्वरूप में सजकर बच्चे तैयार होकर आते है और उनके द्वारा आकर्षक नृत्य कर सभी का मन मोहा जाता है। उन्होंने कहा कि इस बार भी मन्दिर में 0 से 5 तथा 6 से 10 वर्ष के बच्चो के मध्य प्रतियोगिता होगी और विजेताओ को 1500, 1000 तथा 500 के नकद पुरस्कार के अलावा अन्य उपहार भेंट किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यहां पर भगवान को विभिन्न पकवानो का भोग भी लगाया जाता है।

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