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दिव्य ज्योति जागृती संस्थान के द्वारा साप्ताहिक सत्संग प्रोग्राम के दौरान महाशिवरात्रि का कार्यक्रम मनाया

दिव्य ज्योति जागृती संस्थान के द्वारा साप्ताहिक सत्संग प्रोग्राम के दौरान महाशिवरात्रि का कार्यक्रम मनाया

दिव्य ज्योति जागृती संस्थान के द्वारा साप्ताहिक सत्संग प्रोग्राम के दौरान महाशिवरात्रि का कार्यक्रम मनाया

फ़िरोज़पुर, फरवरी 23, 2025:  दिव्य ज्योति जागृती संस्थान के द्वारा स्थानीय आश्रम में साप्ताहिक सत्संग प्रोग्राम के दौरान महाशिवरात्रि का कार्यक्रम बड़े ही धूमधाम का शारदा भावना से मनाया गया। कार्यक्रम में उपस्थित संगत को सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्य साध्वी सुश्री दीपिका भारती जी ने बताया कि महाशिवरात्रि का महापर्व एक बार फिर हमारे आस्था के द्वार पर दस्तक देने को है। इस दिन फिर से मंदिरों में जगमग-जगमग सहस्त्रों ज्योतियाँ जलेंगी। अनहद घंटों की ध्वनि गूँजेगी। शिवलिंगों पर जल अर्पित होगा।

वातावरण शिवमय होने लगेगा। किन्तु शिव-भक्तों! भोलेनाथ का यह महापर्व हमें केवल बाहरी ज्योतियाँ दिखाने, बाहरी घंटियाँ सुनाने या केवल बाहरी जलाभिषेक अर्पित करने के लिए नहीं आता; बल्कि हमें देवाधिदेव शंकर की शाश्वत ज्योति, अनहद नाद और भीतरी अमृत के अनुभव से जोड़ने आता है। बाहरी मंदिर की पूजा ही नहीं, अंतर्जगत के अलौकिक मंदिर का साधक बनाने भी आता है। शिव की महिमा ‘मनाने’ ही नहीं; बल्कि शिवत्व को ‘जानने’ और उसमें स्थित तत्त्वज्ञान का बोध कराने भी आता है।

साध्वी जी ने आगे अपने विचारों में बताया कि शिवपुराण में अनेकानेक स्थानों पर ‘ध्यान योग’ की महिमा गाई गई है। पुराण की वायवीय संहिता में वर्णित है- ‘पंच यज्ञों में ध्यान और ज्ञान-यज्ञ ही मुख्य है। जिनको ध्यान अथवा ब्रह्मज्ञान प्राप्त हो गया है, वे काल के चक्रवातों में नहीं उलझते। वे भव-सिंधु से उत्तीर्ण हो जाते हैं।’ यदि शिव जी की बात की जाए तो भगवान शिव तत्त्वतः निराकार ब्रह्म हैं।

दिव्य ज्योति जागृती संस्थान के द्वारा साप्ताहिक सत्संग प्रोग्राम के दौरान महाशिवरात्रि का कार्यक्रम मनाया

साध्वी जी ने अपने विचारों में बताया के भगवान शिव त्रिनेत्रधारी हैं। उनके स्वरूप का यह पहलू हमको गूढ़ संकेत देता है। वह यह कि हम सब भी तीन नेत्रों वाले हैं। हम सबके आज्ञा चक्र पर एक तीसरा नेत्र स्थित है। पर यह नेत्र जन्म से बंद रहता है। इसलिए भगवान शिव का जागृत तीसरा नेत्र प्रेरित करता है कि हम भी पूर्ण गुरु की शरण प्राप्त कर अपना यह शिव-नेत्र जागृत कराएँ। जैसे ही हमारा यह नेत्र खुलेगा, हम अपने भीतर समाई ब्रह्म-सत्ता जो कि प्रकाश स्वरूप में विद्यमान है का साक्षात्कार करेंगे। अंत में साध्वी रमन भारती जी द्वारा शिव महिमा में भजन गायन किए गए।

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