आध्यात्मिक चिकित्सा – आत्म चिकित्सा — योगी अश्विनी
हमारा शरीर अनगिनत रंगों से निर्मित है, इन रंगों की सूक्ष्मता ही शरीर के स्वास्थ्य को परिभाषित करती है। योग के अनुसार , किसी भी प्रकार का रोग शरीर के सूक्ष्म कोशों में उत्पन्न हुए एक असंतुलन का ही लक्षण है जो एक क्लैरवॉयन्ट को गाढ़े रंगों के रूप में दिखाई देता है। सनातन क्रिया में कुछ एसी तकनीकों का उल्लेख है जिनका अभ्यास कर आप अपनी सूक्ष्म कोश में प्रवेश कर किसी भी असंतुलन को संतुलन में लाकर रोग के लक्षणों को शरीर में प्रकट होने से पूर्व ही उसे दूर कर सकते हैं।
पिछले लेख में आध्यात्मिक चिकित्सा के मूलभूत सिद्धांतों पर चर्चा करने के बाद, हम अब चिकित्सा की तकनीकों को समझते हैं । आध्यात्मिक चिकित्सा की तकनीक दो प्रकार की होते हैं: आत्म चिकित्सा तथा किसी दूसरे की चिकित्सा ।
इन दोनों में से किसी भी चिकित्सा को प्रारम्भ करने से पूर्व आध्यात्मिक चिकित्सक को कुछ तैयारियाँ करना आवश्यक होता है। आध्याम्तिक चिकित्सा या अन्य किसी भी साधना के लिए गुरु का होना अनिवार्य है, क्योंकि शक्ति का सञ्चालन वहीँ से होता है । चिकित्सा आरम्भ करने से पूर्व गुरु से संपर्क बनाएं । इसके लिए, गुरु स्मरण करते हुए एक आरामदायक आसन में बैठ जाएं । अपनी आँखें बंद कर शीश से छ: इंच ऊपर, गुरु की छवि का ध्यान करें । ( यदि आपके गुरु नहीं हैं तो आप www.dhyanfoundation.com पर दी गई फोटो का ध्यान कर सकते हैं ) फिर अपना ध्यान छाती के मध्य में स्थित एक हलके गुलाबी रंग के कमल रुपी अनाहद चक्र पर ले जाएं । धीरे से, श्वास को धीमा और लंबा करते हुए, इस हलके गुलाबी रंग के कमल के फूल को धीरे धीरे ऊपर की ओर उठाते हुए एक हलके गुलाबी रंग के प्रकाश पुंज के साथ, अपने गुरु के अनाहद चक्र में विलीन कर दीजिए ।
आत्म चिकित्सा की क्रिया के लिए, पूर्ण ध्यान इस हलके गुलाबी रंग की रौशनी के असीम विस्तार पर रखें, जिसे आपने अपने गुरु के अनाहद में विलीन होने के बाद अनुभव किया होगा । जब तक आपका शरीर स्थिर रहे तब तक आसन बनाए रखें ।कुछ समय बाद, अपने गुरु से अनुमति लेते हुए, अपना ध्यान शरीर में वापिस ले आएं, अपने अाज्ञा चक्र (भौंहों के मध्य में) पर । और यहां से धीमें धीमें अपने ध्यान को पूरे शरीर में ले जाएं, प्रत्येक कोशिका को हलके बैंगनी रंग से धोएँ।शरीर के उन क्षेत्रों/हिस्सों पर अधिक समय व्यतीत करें जिन्हें मजबूत बनाने की अथवा चिकित्सा की अवश्कयता है, यह प्रार्थना करते हुए कि शरीर का वह अंग अापकी इच्छा के अनुसार स्वरूप धारण करें।
यह सरल तकनीक अापके स्थूल शरीर की मौलिक समस्याअों को सहज करने के लिए अत्यंत प्रभावी है।
योगी अश्विनी ध्यान फाउंडेशन मार्गदर्शक तथा वैदिक विज्ञान के विशेषज्ञ हैं । ' सनातन क्रिया – डी एसेंस ऑफ़ योग' में उन्होंने आज के मानव के लिए अष्टांग योग के विज्ञान का सम्पूर्णता से उल्लेख किया है । अधिक जानकारी के लिए www.dhyanfoundation.com या dhyan@dhyanfoundation.com पर संपर्क करें