वर्ष 2015: शिक्षा विभाग ने महत्वपूर्ण निर्णयों को नहीं दिया व्यवहारिक रूप
वर्ष 2015: शिक्षा विभाग ने महत्वपूर्ण निर्णयों को नहीं दिया व्यवहारिक रूप
अध्ययनरत विद्यार्थियों की पढाई होती रही प्रभावित
अध्यापकों व प्राध्यापकों के पद भरने में विभाग रहा नाकाम
इस वर्ष बीएड को कोर्स हुआ दो वर्षो का
टैट में बहुत कम प्रत्याशी ही पास हुए
फाजिल्का, 29 दिसंबर: वर्ष 2015 को शिक्षा विभाग द्वारा लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णय व पूर्व में की गई घोषणाओं को व्यवहारिक रूप न दिए जाने का वर्ष कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
इस संबंधी जानकारी देते हुए शिक्षा शास्त्री राज किशोर कालड़ा ने बताया कि सरकार ने इव वर्ष के दौरान निर्णय व घोषणाएं तो बहुत की लेकिन उसे अमली रूप नहीं दिया गया जिस कारण सरकारी व ऐडिड स्कूलों तथा कालेजों में अध्यापकों और प्राध्यापकों के पद बहुत संख्या में खाली होने के कारण सारा वर्ष अध्यापन कार्य प्रभावित होता रहा। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में सरकारी स्कूलों में 30 प्रतिशत व ऐडिड स्कूलों में 60 प्रतिशत अध्यापकों के पद रिक्त पड़े हैं। इसी प्रकार राज्य के सरकारी कालेजों में 60 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त हैं और ऐडिड कालेजों में भी प्रबंधक समितियों द्वारा ही प्राध्यापकों की नियुक्ति कर अध्यापन का कार्य चलाया जा रहा है। श्री कालड़ा ने बताया कि यद्यिप सरकार ने इस वर्ष नवंबर मास में सरकारी स्कूलों में रिक्त पदों को भरने के लिए लगभग 12 हजार अध्यापकों की भर्ती के लिए विज्ञापन दिया। लेकिन इस विषय में सरकार इस वर्ष में कोई कार्य पूर्ण नहीं कर सकी। इसी प्रकार ऐँिडड स्कूलों में सरकार ने 4442 पदों को 4 वर्षो में भरने का निर्णय लिया लेकिन 95 प्रतिशत ग्रांट देने की उपेक्षा यह अनुदान राशि 70 प्रतिशत कर दी गई और 30 प्रतिशत प्रबंधक कमेटियों को देने के लिए कहा गया। इसका दूर्भाग्यपूर्ण पहलू यह भी था कि इन अध्यापकों की ठेके पर भर्ती की जानी थी और इन प्रत्याशियों के लिए टैट पास होना भी आवश्यक करार दिया। सरकार का यह निर्णय भी लागू न हो सका जिस कारण कई स्कूल बंद होने के कगार पर आ गए और इनमें अध्ययनरत विद्यार्थियों की पढाई प्रभावित हुई।
सरकारी कालेजों में भी इस वर्ष उच्च शिक्षा विभाग द्वारा वायदे के अनुसार कोई नई भर्ती नहीं हुई और सारा वर्ष इन कालेजों को पढाने के लिए गेस्ट फेकल्टी के सहारे ही चलाया जाता रहा और इन्हें भी पीटीए फंड में से मात्र 10 हजार रुपए के वेतन पर ही रखा गया।
टैट पास अध्यापकों में भी रोष व्याप्त रहा और वह अपना रोजगार लेने के लिए सारा वर्ष संघर्ष ही करते रहे। इसका दूर्भाग्पूर्ण पहलू यह रहा कि टैट पास प्रत्याशियों को भी निराशा ही हाथ लगी क्योंकि सेकेंडरी विभाग में जो पोस्टें भरी जानी हैं उनको एक और अपने विषय संबंधी जिसमें उसने अध्यापक नियुक्त होना है उसमें उसे एक और परीक्षा पास करनी पड़ेगी। इस वर्ष हुए टैट में दोनों भागों से प्राइमरी व सेकेंडरी में मात्र 6 प्रतिशत प्रत्याशी ही उतीर्ण हुए और अन्य हजारों प्रत्याशियों को निराशा ही हाथ लगी।
इस वर्ष बीएड का कोर्स भी 1 वर्ष के स्थान पर 2 वर्ष कर दिया गया जिस कारण बीएड करने वाले प्रत्याशियों में रूचि कम पाई गई और सारे पंजाब में बीएड कालेजों में बीएड कोर्स करने वाली सीटें रिक्त रहीं।
सेकेंडरी विभाग द्वारा ईटीटी से मास्टर केडर, मास्टर केडर से प्राध्यापक व मुख्याध्यापक तथा प्राध्यापक व मुख्याध्यापक से प्रिंसिपल की पदोन्नति के लिए संबंधित अध्यापकों से केस तो कई बार मंगवाए लेकिन पदोन्नति नहीं की गई। इस कारण लगभग 40 प्रतिशत प्राध्यापकों के और 58 प्रतिशत मुख्याध्यापकों व 600 प्रिंसिपल प्रिंसिपलों के पद रिक्त पड़े हैं।
यद्यिप इस वर्ष विभाग द्वारा अध्यापकों के स्थानांतरण करने के लिए प्रथम बार आनलाइन प्रार्थना पत्र मांगे गए जिससे पारर्दिशता बने लेकिन इसके बावजूद भी स्थानांतरणों में पूर्व वर्षो की भांति राजनीति हस्ताक्षेप का बोलबाला रहा। इस वर्ष सरकार की आर्थिक तंगहाली के चलते अध्यापकों व अन्य कर्मचारियों को कई बार वेतन देरी से मिला वहीं अनेक प्रकार के बकाए के बिल कार्यालयों में कई महीनों तक लंबित पड़े रहे।
इस वर्ष प्रथम बार शिक्षा मंत्री द्वारा जिन अध्यापकों के इंग्लिश विषय में परिणाम बहुत कम थे उनकी एसएएस नगर मोहाली में क्लास लगाई गई जिसमें सीधे तौर पर अध्यापकों से कम परिणामों के संबंधी पूछताछ की गई और जिन अध्यापकों के पिछले 5 वर्षो के नतीजे बहुत कम थे उनके बारे में भी सरकार ने रिपोर्ट मांगी है। इस वर्ष में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में जो विद्यार्थियों को यूनिफार्म दी जाती थी इस बार केन्द्र सरकार की ग्रांट व पंजाब सरकार की अनदेखी के कारण अभी तक यूनिफार्म नहीं दी जा सकी इस कारण सरकार की लापरवाही पर भी सवाल उठे हैं और इस संबंधी एक जनहित याचिका भी पंजाब एंड हरियाणा में दायर की गई।
सर्व शिक्षा अभियान, रमसा व ईजीएस अध्यापक अपने पदों को नियमित करवाने के लिए सारा वर्ष संघर्ष करते रहे। सरकार बार-बार आश्वासन देती रही लेकिन संबंधित अध्यापकों को नियमित करने में सरकार असफल रही।
यद्यिप केन्द्र सरकार द्वारा पांचवीं व आठवीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा लेने संबंधी कोई आज्ञा नहीं दी है फिर भी पंजाब सरकार ने इन कक्षाओं की शिक्षा विभाग के एनसीईआरटी द्वारा परीक्षा लेने संबंधी दिशानिर्देश जारी किए हैं जोकि एक सराहनीय कदम है।