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परमत्मा द्वारा सौंपे कार्यों को धरा पर सार्थक कर, श्री रत्न लाल सिंघल (वकील) हुए पंच तत्तव में विलीन

रसम क्रिया पगड़ी एवम उठाला 26 सितम्बर (रविवार) को जेनेसिस इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च फिरोजपुर दोपहर 12 से 2 बजे तक

परमत्मा द्वारा सौंपे कार्यों को धरा पर सार्थक कर, श्री रत्न लाल सिंघल (वकील) हुए पंच तत्तव में विलीन

परमत्मा द्वारा सौंपे कार्यों को धरा पर सार्थक कर, श्री रत्न लाल सिंघल (वकील) हुए पंच तत्तव में विलीन

ईश्वर हर मानव को अपनी जिम्मेदारी को निभाने के लिए धरा पर भेजते है, कुछ लोग उसे भगवान का आशीर्वाद समझकर पूर्ण करने में अपने जीवन तक को दाव पर लगा देते है और कुछ इंसान मोह में पढ़कर ईश्वर के सौंपे उन कार्यो को भूल जाते है किन्तु स्व. रत्न लाल सिंघल ने सदैव अपने जीवन को प्रभु की इच्छा के अनुसार ही जीया था। जिस के कारण वो सदैव अपने परिवार के साथ-साथ समाज के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत रहे है। अपनी 84 वर्षों की लम्बी आयु में स्व. रत्न लाल सिंघल ने हमेशा समाज कल्याण के हित में ही कार्य किया है लेकिन जो भी हो ईश्वर ने हर किसी को एक समय तक की अवधि देकर ही उसे अपने कार्य को पूरा करने लिए पृथ्वी लोक पर भेजा है। स्व. रत्न लाल सिंघल ने अपनी स्वच्छ और प्रेरणा से भरे जीवन की अवधि को पूरा कर, 15 सितंबर दिन बुधवार न केवल स्थानीय सिंघल परिवार बल्कि समस्त फिरोज़पुर निवासियों को भी शोक में डालकर, प्रभु चरणों में जा बिराजे, जिस के चलते क्षेत्र के लोगों ने स्व. रत्न लाल सिंघल के रूप में एक बेमिसाज और बेहतरीन इंसान को खो दिया।
वो याद करेगा जिस दिन मेरी महोब्बत को,
वो रोएगा बहुत फिर से मेरा होने के लिए।
पिता श्री मुंशी राम व माता आद्या देवी के घर 29 मई 1938 को लुधियाना शहर में स्व. रत्न लाल सिंघल का जन्म हुआ, फिरोजपुर में 1967 को आकर इन्होंने आयकर एवं सेल्स टैक्स वकील के पेशे को अपनाया व अपनी अनथक मेहनत व बुद्धिमत्ता से स्व. रत्न लाल सिंघल ने इस शहर में भरपूर नाम कमाया। सदैव दूसरों की मदद के लिए तन, मन व धन से तत्पर रहे। अपनी जीवन संगिनी श्री मति रक्षा सिंघल के सहयोग के साथ से जहां स्व. रत्न लाल सिंघल ने अपने दोनों पुत्रों वरिन्दर मोहन सिंघल एवम् गगनदीप सिंघल और पांचों बेटियां कोमल गुप्ता, कविता गोयल, करुना अग्रवाल, कनिका गोयल एवं शिवाली गुप्ता को अपने-अपने जीवन मे सफल बनाया। इस क्षेत्र की सभी धार्मिक, सामाजिक व खेल संस्थाओं के लिए अपने घर व तिजोरी के दरवाज़े सदैव खुले रखे। यह स्व. रत्न लाल सिंघल का समाज प्रति स्नेह व सत्कार की अटूट भावना ही थी कि उनसे हर निवासी बिना किसी धर्म, जात व किसी प्रकार के संकोच से मदद लेने के लिए पहुंच जात था और स्व. सिंघल ने कभी भी किसी को निराश नहीं किया। स्व. रत्न लाल सिंघल के स्वामित्व में फन आइलैंड एम्यूजमेंट पार्क व जेनेसिस इंस्टिट्यूट आ$ॅफ साइंस एंड रिसर्च, फिरोजपुर ने सफलता के परचम फहराए। स्व. रत्न लाल सिंघल के मार्गदर्शन में ही विवेकानंद वर्ल्ड स्कूल की स्थापना स्थानीय विद्यार्थियों को विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से की गई। स्व. श्री रत्न लाल सिंघल ने अपने जीवन काल में किये गये सराहनीय कार्यो को आगे बढाने के लिए दोनों बेटे वरिन्दर मोहन सिंघल एवम गगनदीप सिंघल, बेटियां कोमल गुप्ता, कविता गोयल, करुना अग्रवाल, कनिका गोयल एवम शिवाली गुप्ता, दामाद केशव गुप्ता, राज कुमार गोयल, संजय अग्रवाल, दीपक गोयल, संजय गुप्ता, बहुएं मिनाक्षी एवम नविता, पौत्र-पौत्रियां, दौतर-दौतरीया नाज़ुुक, मुस्कान, वंशम, अर्श, कीर्ति, प्रेरणा, सार्थिक, चंद्सी, वसुंधरा, सवेरा, सौर, चाहत, सनियम, महक, अनुभव, भाई समान मित्र इंदरजीत कक्कर, जसबीर सिंह आंवला, सुशील मित्तल, समीर मितल एवम डॉ. शील सेठी एवं वीपी सिंह सदैव प्रयासरत रहेगे। स्व. रत्न लाल सिंघल की रसम क्रिया पगड़ी एवम उठाला 26 सितम्बर (रविवार) को जेनेसिस इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च फिरोजपुर दोपहर 12 से 2 बजे तक होगा। स्व. रत्न लाल सिंघल (वकील) ने हमेशा अपने कार्य में पूरी ईमानदारी, लग्न और मेहनत से किया, अपने नींदों को विराम देकर लोगों को दुखों और तकलीफों को से मुक्त करने के लिए हर संभव प्रयास किए। अपने निजि जरूरतों से पहले समाज के लिए जीएं। इनके दिखाएं मार्ग और दी हुई अच्छी शिक्षा से ही आज परिवार का नाम अच्छे लोगों की सूची में सर्वप्रथम लिया जाता है।
कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैं,
कि परेशान लोग उन्हें देख कर खुश हो जाते हैं,
उनकी बातों का अजी क्या कहिये,
अल्फाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं।
नारायण धमीजा
जिला इंचार्ज फिरोज़पुर

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