Ferozepur News

हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा आयोजित बाबा भलकू स्मृति कालका शिमला साहित्य रेल यात्रा 12 और 13 अप्रैल, 2025 को

हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा आयोजित बाबा भलकू स्मृति कालका शिमला साहित्य रेल यात्रा 12 और 13 अप्रैल, 2025 को

देश के विभिन्न भागों से 33 लेखक होंगे शामिल

भलकू के परिजनों को  किया जाएगा सम्मानित

शिमला रेलवे स्टेशन पर सभी लेखकों का हिमाचल की ओर से सम्मान और स्वागत किया जाएगा

हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा आयोजित बाबा भलकू स्मृति कालका शिमला साहित्य रेल यात्रा 12 और 13 अप्रैल, 2025 को

फ़िरोज़पुर, अप्रैल 8, 2025: हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा आयोजित बहु लोकप्रिय बाबा भलकू स्मृति कालका शिमला साहित्य रेल यात्रा इस बार 12 और 13 अप्रैल, 2025 को आयोजित की जा रही है जिसमें देश के विभिन्न भागों से 33 लेखक शामिल हो रहे हैं। इस बार यात्रा के लिए भाषा एवं संस्कृति विभाग भी आंशिक सहयोग दे रहा है। 12 अप्रैल को लेखक शिमला से बड़ोग जाएंगे और शाम को शिमला लौटेंगे। दूसरे दिन बस से यह यात्रा कुफरी चायल से होती हुई भलकू के पुश्तैनी गांव झाझा जाएगी जहां लेखक भलकू के परिजनों को मिलेंगे और उन्हें सम्मानित भी करेंगे। चायल में हिमाचल पर्यटन विकास निगम के हीएरियाज होटल परिसर का भी लेखक भ्रमण करेंगे। यह जानकारी हिमालय साहित्य मंच के अध्यक्ष एस.आर. हरनोट ने आज मीडिया को दी। उन्होंने बताया कि रेल यात्रा के दूसरे दिन झाझा गांव में एक गोष्ठी का आयोजन होगा जिसमें भलकू की स्मृतियों को सहेजने के महत्वपूर्ण कार्य के लिए वरिष्ठ कलाकार लेखक बी आर मेहता के साथ भलकू की छठी पीढ़ी के परिजनों दुर्गा दत्त, कांति ठाकुर, रामस्वरूप ठाकुर और सुशील कुमार ठाकुर को सम्मानित किया जाएगा। यह यात्रा लेखक आपसी सहयोग से ही करते हैं परंतु रेलवे का यात्रा के आयोजन में बड़ा सहयोग रहता है। इस बात उत्तरी रेलवे के डिविजनल रेलवे मैनेजर अंबाला श्री विनोद भाटिया जी का आयोजन में विशेष मार्गदर्शन के साथ रेलवे अधिकारी गौरव सक्सेना और शिमला रेलवे स्टेशन में स्टेशन अधीक्षक संजय गेरा जी तथा स्टेशन मास्टर जोगिंदर सिंह बोहरा जी का सहयोग रहेगा। कालका शिमला रेल वर्ष 9 नवंबर, 1903 को शुरू हुई थी और वर्ष 2008 में इसे यूनेस्को ने धरोहर रेल घोषित किया था। यह 96 किलोमीटर कालका से शिमला तक नैरो गेज लाइन है जो छोटी बड़ी 103 सुरंगों से गुजरती हुई शिमला पहुंचती है। इस पटरी पर 869 पुल और 919 घुमाओ आते हैं। कालका से शिमला तक 12 लोकप्रिय स्टेशन हैं। पहाड़ी गांव और देवदार तथा बान के जंगलों से गुजरती यह खिलौना रेलगाड़ी प्राकृतिक सौंदर्य का अदभुत मिश्रण है।

एस आर हरनोट ने जानकारी दी कि हिमालय मंच इस यात्रा को वर्ष 2017 से प्रतिवर्ष आयोजित कर रहा है जो भलकू मजदूर के साथ हिंदुस्तान तिब्बत रोड में ब्रिटिश काल में काम करने वाले मजदूरों को और धरोहर कालका शिमला रेल को समर्पित है। भलकू एक निरक्षर दिव्य शक्तियों का मालिक मजदूर था जिसने शिमला से किन्नौर तक हिंदुस्तान तिब्बत सड़क के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सतलुज पर कई पुलों के बनाने में मदद की। बाद में जब अंग्रेज कालका शिमला रेल के लिए पटरी के सर्वेक्षण में असफल हुए तो भलकू ने ही परवाणू से शिमला तक न केवल सर्वे किया बल्कि बड़ोग जैसी सर्वाधिक लंबी सुरंग के निर्माण में भी बड़ी भूमिका निभाई। यही कारण रहा कि रेलवे ने ओल्ड बस स्टैंड के साथ भलकू की स्मृति में एक म्यूजियम की स्थापना भी की। मशोबरा के साथ जो लिंक रोड ठियोग की तरफ निकलता है उसका नाम ही भलकू रोड है।
इस यात्रा का मुख्य आकर्षण चलती ट्रेन और बस में साहित्यिक गोष्ठियां रहती हैं।

यात्रा में शामिल होने वाले लेखकों में मुंबई से प्रो.हूबनाथ सिंह, रमण मिश्र, डॉ.अर्जुन परत, डॉ.प्रमोद यादव, डॉ. शशि श्रीवास्तव, बिहार पटना से ई. एस पी सिंह, मध्य प्रदेश गुना से मधुर कुलश्रेष्ठ और नीलम कुलश्रेष्ठ, कानपुर से राजेश आरोड़ा, फिरोजपुर से हरीश मोंगा,  चंडीगढ़ से सुनैनी शर्मा, कीरतपुर पंजाब से सीमा गौतम,  सुंदर नगर से प्रियंवदा शर्मा, कांगड़ा से रचना पठानिया, बिलासपुर से अनिल शर्मा नील, सोलन से अंजू आनंद, कुमारसैन से जगदीश बाली और हितेंद्र शर्मा, शिमला से डॉ.विजय लक्ष्मी नेगी, सलिल शमशेरी, दक्ष शुक्ला, स्नेह नेगी, जगदीश कश्यप, लेखराज चौहान, दीप्ति सारस्वत, डॉ. देव कन्या ठाकुर, वंदना राणा, हेमलता शर्मा, शांति स्वरूप शर्मा, वीरेंद्र कुमार, जगदीश गौतम और यादव चंद शामिल रहेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button