मयंक फाउंडेशन ने हुसैनी वाला वेटलैंड पर 3 -दिवसीय नेचर कैंप सफलतापूर्वक किया आयोजित
50 से अधिक छात्रों ने पर्यावरण शिक्षा, वन्यजीव संरक्षण और हाथों से सीखने वाली गतिविधियों में भाग लिया
मयंक फाउंडेशन ने हुसैनी वाला वेटलैंड पर 3 -दिवसीय नेचर कैंप सफलतापूर्वक किया आयोजित
50 से अधिक छात्रों ने पर्यावरण शिक्षा, वन्यजीव संरक्षण और हाथों से सीखने वाली गतिविधियों में भाग लिया
फिरोज़पुर, 19 नवम्बर – मयंक फाउंडेशन ने 15-17 नवम्बर तक फिरोज़पुर स्थित हुसैनी वाला वेटलैंड में तीन दिवसीय प्रकृति शिविर का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस शिविर में सरकारी स्कूलों, निजी स्कूलों, कॉलेजों और शहीद भगत सिंह विश्वविद्यालय के 50 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। यह शिविर पंजाब राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद व पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित किया गया। शिविर का उद्देश्य छात्रों को वन्यजीव संरक्षण, पर्यावरण शिक्षा और व्यक्तिगत विकास के माध्यम से प्रकृति से जुड़ने का एक अवसर प्रदान करना था।
शिविर की शुरुआत मयंक फाउंडेशन के संस्थापक दीपक शर्मा और प्रोजेक्ट को-कोरडीनेटर अश्वनी शर्मा द्वारा एक स्वागत सत्र के साथ हुई। उन्होंने शिविर के मुख्य उद्देश्यों को साझा किया, जिसमें सतत जीवनशैली, पर्यावरण के प्रति जागरूकता और इको-फ्रेंडली प्रथाओं पर जोर दिया गया। इस सत्र ने आगामी शैक्षिक सत्रों और हाथों से गतिविधियों के लिए आधार तैयार किया।
पहले दिन की शुरुआत डॉ. वंदना नैथानी द्वारा वन्यजीव संरक्षण और प्राकृतिक इतिहास पर एक विस्तृत सत्र से हुई, जिसमें उन्होंने भारत के विभिन्न वन प्रकार, आवास और संरक्षित क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी। बाद में, इतिहासकार डॉ. रमेश्वर सिंह ने सुतलज नदी और हुसैनी वाला वेटलैंड के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर चर्चा की, जिससे छात्रों को प्रकृति और इतिहास के बीच गहरा संबंध समझने को मिला।
दूसरे दिन नेचर वॉक में एक रोमांचक पक्षी देखने का सत्र हुआ, जिसे पक्षी विज्ञानी श्री मनीष आहुजा ने संचालित किया। उन्होंने छात्रों को हुसैनी वाला वेटलैंड में स्थानीय और प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन बाइनोकुलर का उपयोग कराया और पक्षियों के व्यवहार और पारिस्थितिकी पर जानकारी दी। उसी दिन बाद में आहूजा ने एक वन्यजीव फोटोग्राफी कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने छात्रों को प्रकृति की सुंदरता को कैमरे में कैद करने की कला सिखाई।
दिन का एक और सत्र “फ्लोरल वेस्ट मैनेजमेंट” था, जिसमें डॉ. राजन शर्मा और प्रो. मिनी शर्मा ने फूलों के कचरे से इको-फ्रेंडली अगरबत्तियां बनाने की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया, जो पर्यावरण संरक्षण और कचरा कम करने के लिए प्रेरणादायक था।
प्रवासी और स्थायी कचरे से निपटने के लिए वर्मी-कम्पोस्टिंग और किचन गार्डनिंग पर आधारित एक सत्र भी हुआ। डॉ. स्वर्णदीप सिंह हुंदल ने वर्मी-कम्पोस्टिंग के विज्ञान को समझाया और रिसर्च स्कॉलर अजय ने इसमें भाग लेने वालों को इसके निर्माण और किचन गार्डन में उपयोग के बारे में सिखाया।
परौजैकट कोरडीनेटर गुरपरीत सिंह ने पराली जलाने के पर्यावरणीय प्रभावों पर प्रकाश डाला और श्री चरणजीत सिंह चहल ने राष्ट्रीय एकता एवं स्काउटिंग पर एक सशक्त सत्र का संचालन किया।
शाम को, छात्रों ने बीएसएफ द्वारा आयोजित रिट्रीट समारोह देखा और म्यूजियम का दौरा किया। फिर उन्होंने हुसैनी वाला राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर जाकर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित की।
देर शाम का सत्र सबसे रोमांचक और चमत्कृत करने वाला अनुभव था। इसे डॉ. जसविंदर सिंह, राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त और प्रसिद्ध खगोलशास्त्री द्वारा संचालित किया गया, जिन्होंने प्रतिभागियों को रात के आकाश के माध्यम से एक दिलचस्प यात्रा पर ले जाया और खगोलशास्त्र और आकाश निरीक्षण के अद्भुत रहस्यों का परिचय दिया।
दूसरे दिन की समाप्ति एक कैम्पफायर सत्र के साथ हुई, जिसे श्री तुषार अग्रवाल और श्री विकास गंबर द्वारा समन्वित किया गया। यह सत्र रात्रि भोजन के बाद हुआ, जहाँ छात्रों और आयोजन टीम ने संगीत, नृत्य और गायन का आनंद लिया, और तारों से सजे आकाश के नीचे यादें बनाईं और मित्रता को बढ़ावा दिया।
तीसरे दिन की शुरुआत योग सत्र से हुई, जिसमें राजीव सेतिया और दीपक माथपाल ने छात्रों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योगाभ्यास कराया। इसके बाद सभी छात्रों ने एक स्वच्छता अभियान में भाग लिया और हुसैनी वाला वेटलैंड के आसपास सफाई की।
दिन की शैक्षिक गतिविधियों में डॉ. जसविंदर सिंह द्वारा विज्ञान प्रयोगों का प्रदर्शन किया गया, जिसमें आयन एक्सचेंज, घर्षण, और वायुदाब जैसे सिद्धांतों को सरल और रोचक तरीके से समझाया गया।
अश्वनी शर्मा ने आत्मविश्वास निर्माण और व्यक्तित्व विकास पर कार्यशाला आयोजित की, जिसमें छात्रों को संचार, नेतृत्व और अन्य जीवन कौशल सिखाए गए।पक्षी प्रेमी बूटी लेहरी ने छात्रों को पक्षी घोंसले बनाने की कार्यशाला दी और बताया कि कैसे प्राकृतिक सामग्रियों से कृत्रिम घोंसले बनाए जा सकते हैं।
डॉ . अविनाश सिंह सबरवाल द्वारा “अपने पेड़ों को जानें, वृक्ष की व्यास मापना और पत्तियों के प्रकारों की खोज” पर एक अत्यंत ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र का उद्देश्य छात्रों को पेड़ों की महत्ता और उनके विभिन्न पहलुओं को समझाना था, ताकि वे पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी और जागरूकता को बढ़ा सकें।
समापन सत्र में मयंक फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. अनिरुद्ध गुप्ता ने छात्रों को उनके सक्रिय भागीदारी के लिए बधाई दी और यह प्रोत्साहित किया कि वे इस शिविर में सीखी गई जानकारी को अपने जीवन में लागू करें, ताकि वे पर्यावरण और समाज के लिए योगदान दे सकें।
मयंक फाउंडेशन आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के प्रति जागरूक करने के लिए प्रतिबद्ध है।
नेचर कैंप को सफल बनाने में डॉ ग़ज़ल प्रीत अरनेजा,गुरप्रीत सिंह ,अश्विनी शर्मा, राजीव सेतिया,चरणजीत सिंह, तुषार अग्रवाल,दीपक मठपाल,कमल शर्मा, संदीप सहगल, योगेश तलवार, राकेश माहर , हरिंदर भुललर, विकास गुंभर , रूपिंदर सिंह, अमित आनंद की विशेष सहयोग रहा।