Ferozepur News

देव समाज कॉलेज फॉर वुमेन फिरोजपुर में पद्मश्री डॉ. एस.आर. रंगनाथन की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस मनाया गया

देव समाज कॉलेज फॉर वुमेन फिरोजपुर में पद्मश्री डॉ. एस.आर. रंगनाथन की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस मनाया गया

देव समाज कॉलेज फॉर वुमेन फिरोजपुर में पद्मश्री डॉ. एस.आर. रंगनाथन की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस मनाया गया

फिरोजपुर, 12.8.2024: देव समाज कॉलेज फॉर वुमेन फिरोजपुर शैक्षणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ का ए प्लस ग्रेडेड कॉलेज है। यह संस्था कॉलेज के चेयरमैन श्रीमान निर्मल सिंह ढिल्लों (सचिव, देव समाज) की छत्रछाया एवं कॉलेज प्राचार्य डाॅ. संगीता के उचित मार्गदर्शन में इस संस्थान में छात्राओं के बौद्धिक विकास के लिए शैक्षणिक गतिविधियाँ निरंतर चल रही हैं।

इसी श्रृंखला में, कॉलेज के पुस्तकालय विभाग द्वारा पद्मश्री डॉ. एस.आर. रंगनाथन की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस मनाया गया। उनके द्वारा पुस्तकालय विज्ञान’ में किए गए कार्याे को पुस्तकालय विभाग के अध्यक्ष मैडम अलका एवं मैडम सन्दया द्वारा जानकारी छात्राओं के साथ सांझा की गई। इस प्रोग्राम विशेष तौर पर काॅलेज डीन अकादमिक मैडम डाॅ0 वंदना गुप्ता, डाॅ0 भूमिदा शर्मा, डीन, स्टूडेंट वेलफेयर, डाॅ कुलबीर सिंह, डीन, आउटरीच प्रोग्राम शामिल हुए। पुस्तकालय विभाग एवं उपस्थित शिक्षकों द्वारा डॉ. एस.आर. रंगनाथन को फूलों से श्रद्धाजलि दी गई । पुस्तकाल्य विभाग के शिक्षकों ने बताया छात्राओं को बताया कि डाॅ0 एस.आर. रंगनाथन जिनका जन्म 9 अगस्त, 1892 को शियाली, मद्रास में हुआ था, एक भारतीय लाइब्रेरियन और शिक्षक थे जिन्हें भारत में पुस्तकालय विज्ञान का जनक माना जाता था और जिनके योगदान का दुनिया भर में प्रभाव था।

डाॅ0 संन्दया ने बताया कि पुस्तकालय विज्ञान के 5 नियम 1931 में एस. आर. रंगनाथन द्वारा प्रस्तावित एक सिद्धांत है, जो पुस्तकालय प्रणाली के संचालन के सिद्धांतों का विवरण देता है। पुस्तकालय विज्ञान के पाँच नियमों को पुस्तकालयाध्यक्षता में अच्छे अभ्यास के लिए मानदंडों, धारणाओं और मार्गदर्शकों का समूह कहा जाता है। दुनिया भर में कई पुस्तकालयाध्यक्ष उन्हें अपने दर्शन की नींव के रूप में स्वीकार करते हैं। डॉ. एस.आर. रंगनाथन ने 1924 में लाइब्रेरी साइंस के पांच नियमों की कल्पना की थी। इन कानूनों को शामिल करने वाले कथन 1928 में तैयार किए गए थे। ये कानून पहली बार 1931 में रंगनाथन की क्लासिक पुस्तक फाइव लॉज ऑफ लाइब्रेरी साइंस में प्रकाशित हुए थे।

ठसके बाद छात्राओं द्वारा बताया गया कि डाॅ0 एस.आर. रंगनाथन द्वारा बनाएं पांच नियम पुस्तकालय विज्ञान के मौलिक नियम हैं। ये पुस्तकालय विज्ञान, पुस्तकालय सेवा और पुस्तकालय अभ्यास के क्षेत्रों में किसी भी समस्या पर लागू होते हैं। इन कानूनों ने पुस्तकालय विज्ञान, पुस्तकालयाध्यक्षता के पेशे और पुस्तकालयों के उपयोग के विषय को एक शाश्वत भविष्य की गारंटी देते हुए एक दार्शनिक आधार दिया। इन कानूनों ने पुस्तकालय विज्ञान के विषय में एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान किया है। भले ही एस.आर. रंगनाथन ने डिजिटल युग के आगमन से पहले पुस्तकालय विज्ञान के पांच नियमों का प्रस्ताव रखा था, वे आज भी मान्य और उतने ही प्रासंगिक हैं। डाॅ0 संगीता, प्रिंसिपल द्वारा प्रोग्राम के दौरान छात्राओं को पुस्तकाल्य से निरंतर जुड़ने रहने की प्रेरणा थी एवं प्रोग्राम के सफल आयोजन पर पुस्तकालय विभाग के समूह स्टाॅफ को बधाई दी। काॅलेज चेयरमैन श्रीमान निर्मल सिंह ढिल्लो ने अपनी शुभकामनाएं दी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button