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गुरु पूर्णिमा एक अत्यधिक शक्तिशाली दिन है

ओम  श्री  गुरुवे  नमः  ओम

ध्यानमूलं गुरुर्मूर्तिः
पूजामूलं गुरुर्पदम् ।
मन्त्रमूलं गुरुर्वाक्यं
मोक्षमूलं गुरूर्कृपा ॥
ओम  श्री  गुरुवे नमः  ओमYogi Ashwini

ध्यान की नींव गुरु की छवि है , पूजा की नींव गुरु के चरण है , गुरु के वाक्य मंत्र के सामान है, मोक्ष  केवल  गुरु कृपा से  ही  संभव है .

गुरु की मान्यता केवल वैदिक  संस्कृति  में  पाई  जाती  है  ,अन्य किसी भी भाषा में गुरु का पर्यायवाची नहीं है| अध्यापक या स्वामी के  पर्याय  तो मिल जाते  हैं  परन्तु गुरु इन दोनों से ऊपर है .

गुरु आपके और दैविक शक्तियों के बीच के  सेतु  और  दैविक शक्तियों से  आदान  प्रदान  का  एक  मात्र माध्यम  होते है. गुरु आपकी क्षमताओ को  समझते  हुए  आपके  लिए  ऐसा   साधना का मार्ग प्रशत् करते है जिसके  आप अधिकारी हो.

गुरु माँ के सामान है और शिष्य शिशु के सामान. गुरु को पता होता है कि शिष्य को क्या एवं कितना चाहिए और गुरु वही शिष्य को प्रदान करते है| गुरु ज्ञान का भंडार एवं  स्तोत्र होते है किन्तु शिष्य में गुरु उतना ही ज्ञान हस्तांतरित करते है जितना कि शिष्य धारण  कर सके|
ज्ञान गरम पानी के समान होता है और शिष्य ठन्डे पत्थर के समान| यदि  आप अत्यधिक गरम पानी को एक  ठन्डे पत्थर पर  डाले तो वह पत्थर टूट जायेगा| गुरु ज्ञान को आहिस्ते से शिष्य की क्षमता के अनुसार शिष्य  को  हस्तांतरित करते है

गुरु का मिलना बहुत दुर्लभ है परन्तु गुरु की खोज में आप दूसरों की सुनी सुनाई बातो पे मत जाइए ,  योग पूर्ण रूप से  अनुभव के विषय में है और ये पूर्तः आपका ही  अनुभउ और अंतरदृस्टि है जो आपको आपके गुरु तक ले जाती है| जब  आप  को  गुरु  संगत की  प्राप्ति  हो  जाती  है  फिर   तब आप अन्य  किसी भी प्रवचन को सुनने या ज्ञानी के पास अपने प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए जाने की आवशयकता नहीं महसूस करते है , जब आप अपने गुरु को पा लेते है  आपकी खोज  समाप्त हो जाती है

, इस दिन गुरु कि उपस्थिति मात्र से ही आपको आंतरिक संसार के अभूतपूर्व अनुभव होते  है एवं आपकी  क्रमागतउन्नति  पर अद्भुत प्रभाव पड़ता है

गुरु पूर्णिमा १९ जुलाई २०१६ को है , योगी अश्विनी जी के साथ ध्यान  आश्रम में  गुरु पूर्णिमा उत्सव का हिस्सा बनने के लिए  www.dhyanfoundation.com.पर संपर्क  करें  .

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