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किसाना वास्तें सिर्फ दावे हूंदे ने, इक वी अफ्सर ते मंत्री वेक्खन नहीं आया

तरूण जैन, फिरोजपुर
    दरिया किनारे गांवो में आएं पानी के कारण जहां किसानो की 5 हजार एकड़ से ज्यादा फसल खराब हो गई है, वहीं ग्रामीणो के लिए राशन, स्वास्थ्य सुविधाएं ना पहुंचने के कारण ग्रामीणों में प्रशासन व सरकार के प्रति काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है। गांवो में 5 फीट तक पानी खड़ा हुआ है और हर तरफ बदबू के अलावा नलो में गंदा पानी आना शुरू हो गया है। लोग अपनी बाईक व ट्रालियों में जाकर घरो के लिए खाने-पीने का समान ला रहे है तो वहीं ग्रामीणों के रिश्तेदार उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए पहुंच गए है ताकि कोई अनहोनी ना हो। माझा के गांव लद्दूवाला से पहुंचे गुरवीर सिंह ने कहा कि वह अपनी बेटी व दमाद को लेने पहुंचा है।
    मंगलवार को गांव धीरां घारा, निहाला लवेरा, मुठियावाली, बागेवाली, बंडाला में जाकर दौरा कर ग्रामीणों की मुश्किले जानी तो बोहड़ ङ्क्षसह, सविन्द्र सिंह ने कहा कि गांव में ना तो कोई मंत्री आया है और ना ही कोई अफसर। अगर सरकार को बाढ़ आने के बाद ही रूपएं रिलीज करने की याद आती है तो  चुनावो के दिनो में क्यों दावे करती है। उन्होंने कहा कि अभी तक ना तो कोई राहत सामग्री पहुंची है और ना ही पशुओ को ले जाने के लिए कोई व्हीकल। सिर्फ एनडीआरएफ और सेना के जवान ही ग्रामीणों को  घरो से बाहर निकालने का कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि कैप्टन सरकार के 100 करोड़ रूपएं अब किसी काम नहीं आने जब उनके द्वारा रोपी गई फसल ही पानी में डूब गई हो।
    वहीं कंतो बाई, कुलवंत कौर, हरन्द्रि सिंह, कुलदीप ङ्क्षसह ने कहा वर्ष 1988 में जब बाढ़ आई थी तो उस वक्त भी काफी परेशानी उठानी पड़ी थी, लेकिन यहां पर तो हर दो साल बाद ही पानी ज्यादा आ जाता है। धुस्सी बांध के नजदीक बने इस गांवो में सरकार हर बार बांध पक्का करने की ग्रांट जारी करती है, लेकिन वह ग्रांट किधर जाती है, इस बारे में किसी को कोई पता नहीं।
    वहीं एनडीआरएफ के कामंडर अनिल कुमार यादव ने कहा कि अभी तक उनकी कंपनी तथा फौज द्वारा 90 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित घरों से बाहर निकालने के अलावा उन्हें बोट के माध्यम से बाहर लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी भी कई लोग घरो में दुबके है ओर उनका यहीं कहना है कि ज्यादा पानी आने पर ही बाहर जाएंगे।

 

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