ऐडिड स्कूलां दा इक्को नारा सरकारी स्कूलां विच मर्ज किते बिना नहीं गुजारा
ऐडिड स्कूलां दा इक्को नारा सरकारी स्कूलां विच मर्ज किते बिना नहीं गुजारा
ऐडिड स्कूलों को सरकारी स्कूलों में मर्ज करने संबंधी सरकार ने दिया लॉलीपाप: ठकराल
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फाजिल्का, 31 दिसंबर(): वर्ष 2015 के कुछ कटू अनुभव के साथ वर्ष की विदायगी हो रही है तथा नया वर्ष 2016 कई सपनों को लेकर आगाज हो रहा है। पंजाब सरकार वर्ष 2015 में शिक्षा के प्रति लुभावने वायदे करती रही जिसमें ऐडिड स्कूलों को सरकारी स्कूलों में मर्ज करना, ऐडिड स्कूलों के कर्मचारियों को सरकारी स्कूलों के कर्मचारियों की भांति पूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाना तथा जो सरकारी स्कूलों के बच्चों को उपलब्ध करवाया जा रहा है वहीं ऐडिड स्कूलों के बच्चों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए सरकार वायदे करती रही लेकिन वो वायदे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहे। सरकार ने सिवाए लॉलीपाप देने के कुछ भी नहीं दिया। दिसंबर 24 को पंजाब गवर्नमेंट ऐडिड स्कूल अध्यापक एवं अन्य कर्मचारी यूनियन की राज्य स्तर के नेताओं के साथ शिक्षामंत्री माननीय दलजीत सिंह चीमा, उच्च शिक्षा अधिकारियों के साथ हुई बैठक में शिक्षा मंत्री ने दो टूक शब्दों में यह जवाब दिया कि ऐडिड स्कूलों को सरकारी स्कूलों में मर्ज करना असंभव है। जब इस बारे में ऐडिड स्कूल यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष एनएन सैनी व अन्य नेताओं ने विनम्र निवेदन किया कि आप एक बार इन स्कूलों का सर्वे करवाएं व रिपोर्ट उच्चाधिकारियों से मंगवाएं ततपश्चात इस बारे में कोई निर्णय लें। शिक्षा मंत्री ने कहा कि मेंने पूरा स्टडी कर लिया है। यह स्कूल कभी सरकारी स्कूलों में मर्ज नहीं किए जा सकते। जिससे यूनियन के नेताओं में रोष फैल गया अब हैरानीजनक विषय यह है कि सरकार इन स्कूलों को क्या लॉलीपाप दे रही थी कि आपको जल्द से जल्द मर्ज करने संबंधी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सरकार ने सरकारी स्कूलों को प्रत्येक तरह की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने का हर संभव प्रयास कर रही है। लेकिन ऐडिड स्कूलों की तरफ सरकार ऐसे व्यवहार कर रही है कि यह स्कूल पंजाब सरकार के अधीन न होकर किसी प्राइवेट कंपनी के अधीन चल रहे हों। सरकार इन स्कूलों के साथ ऐसे सौतेला व्यवहार करती है जैसे एक सौतेली मां अपने बच्चे के साथ करती है। यह उदगार प्रकट करते हुए पंजाब गवर्नमेंट ऐडिड स्कूल अध्यापक एवं अन्य कर्मचारी यूनियन के जिला प्रवक्ता अजय ठकराल ने बताया कि सरकार के पास अब भी समय है कि इस बारे में विचार विमर्श करने का क्योंकि राज्य में कुल 484 प्राइमरी व हाई स्कूल चल रहे थे जिनमें कुछ स्कूल बंद हो चुके हैं तथा कई स्कूल बंद होने की कगार पर आ चुके हैं। यदि सरकार ने समय रहते यह निर्णय नहीं लिया तो अब पछताए होत क्या चिडिय़ा चुग गई खेत वाली कहावत चरितार्थ हो जाएगी फिर सरकार के पास हाथ मलने के सिवा कुछ नहीं बाकी रहेगा। श्री ठकराल ने बताया कि यदि सरकार इस बारे में पूरी तरह गंभीर है तो वर्ष 2016 के आगाज में ऐडिड स्कूलों को सरकारी स्कूलों में मर्ज करने सबंधी अधिसूचना जारी करने हेतु प्रक्रिया शुरू करे इसके लिए सरकार को कोई लंबी प्रक्रिया नहीं अपनानी पड़ेगी क्योंकि इन स्कूलों के अध्यापकों को लंबे समय का अनुभव प्राप्त है तथा सरकारी स्कूलों में हजारों पर रिक्त पड़े हैं। सरकार को इस बारे में जल्द से जल्द एक कमेटी का गठन करना चाहिए जो अपनी रिपोर्ट जल्द से जल्द सरकार तक भेजे ताकि सरकार इस बारे में कोई ठोस निर्णय ले सके। उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शिक्षा मंत्री दलजीत सिंह चीमा व प्रमुख शिक्षा सचिव से पुरजोर अपील की है कि इस बारे में एक हाई पावर कमेटी का गठन किया जाए ताकि इन स्कूलों में कार्य कर रहे अध्यापकों को मानसिक परेशानी से बचाया जा सके।