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उत्तर  रेलवे ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पी.पी.पी.) मॉडल के आधार पर फरीदाबाद और जम्मूतवी रेलवे स्टेशनों के कायाकल्प की परियोजना का शुभारंभ किया

Ferozepur, February 8, 2017 : अपनी तरह के पहले मेगा डिजिटल लॉन्च द्वारा माननीय रेलमंत्री, श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने आज नई दिल्ली में एक महत्वाकांक्षी योजना की शुरूआत की । इस योजना के अंतर्गत भारतीय रेलवे तीन चरणों में 400 प्रमुख रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास पर कार्य करेगी । समूचे भारतीय रेलवे पर एक साथ शुरू किए गए इस डिजिटल लॉन्च में, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक श्री आर. के. कुलश्रेष्ठ ने उत्तर रेलवे, प्रधान कार्यालय, बड़ौदा हाउस, कॉपरनिक्स मार्ग, नई दिल्ली में फरीदाबाद रेलवे स्टेशन से संबंधित पारगमनोन्मुखी परियोजना की शुरूआत की । इस अवसर पर उत्तर रेलवे के सभी प्रमुख विभागाध्यक्ष, दिल्ली मंडल के मंडल रेल प्रबंधक तथा वरिष्ठ रेल अधिकारी उपस्थित थे । इस कार्यक्रम में कुछ परियोजना डेवलपर भी उपस्थित थे । इसी तरह का एक कार्यक्रम फिरोज़पुर मंडल में मंडल रेल प्रबंधक द्वारा भी मंडल मुख्यालय, फिरोज़पुर में आयोजित किया गया। इस परियोजना को तीव्रता से पूरा करने के लिए रेलवे ने अगले ही दिन अर्थात् 9 फरवरी, 2017 को ही निविदा आमंत्रित करने के लिए निविदा सूचना जारी कर दी है । इस परियोजना के अंतर्गत प्रत्येक रेलवे स्टेशन पर मौजूद खाली ज़मीन और ठीक उसके ऊपर के हवाई क्षेत्र के वाणिज्यिक उपयोग से रेलवे स्टेशनों का विकास किया जाएगा । इस परियोजना की सांकेतिक लागत जम्मूतवी के लिए 75 करोड़ रुपए तथा फरीदाबाद के लिए 70 करोड़ रुपए होगी । 
नई तरह से विकसित किए जाने वाले इन रेलवे स्टेशनों पर रेलयात्रियों को विश्व-स्तर के रेलवे स्टेशनों वाली सुविधाएं प्रदान की जायेंगी । ये स्टेशन पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी (पी.पी.पी.) मॉडल के आधार पर विकसित किए जायेंगे । इनके विकास के लिए रेलवे पर वित्तीय रूप से कोई दबाव नहीं होगा । पुनर्विकसित किए जाने वाले ये रेलवे स्टेशन डिजिटल साइन बोर्ड, एस्केलेटर/एलीवेटर सेल्फ टिकटिंग काउंटर, एग्जीक्यूटिव लाउंज, लगेज स्क्रीन मशीन, पैदल रास्ते, रेलयात्रियों के लिए हॉल्डिंग एरिया, बड़ी और नई तरह की छत एवं फर्श, नि:शुल्क व भुगतान वाले वाई-फाई इत्यादि की सुविधाएं रेलयात्रियों को प्रदान करेंगे। इस कार्यक्रम से देश के 100 शहरों और 16 मिलियन रेलयात्रियों को लाभ पहुँचेगा ।
रेलवे बोर्ड ने ये यात्री सुविधाएं प्रदान करने के लिए रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध भूमि को पीपीपी मॉडल के जरिए देने की लिए एक नई योजना बनाई है । कुल 1 लाख करोड़ रूपये की यह योजना देश की सबसे बड़ी पीपीपी योजना होगी । इस कार्यक्रम के अंतर्गत 2200 एकड़ की प्रमुख भूमि 45 वर्ष की अवधि के लिए निजी डेवलेपरों को दी जायेगी । रेलवे स्टेशनों पर/के निकट इस खाली भूमि के वाणिज्यिक उपयोग द्वारा रेलवे से बिना कोई अतिरिक्त निधि लिए विश्व-स्तर के रेलवे स्टेशनों का विकास किया जायेगा । इस कार्यक्रम से भारतीय रेलवे को अतिरिक्त आय भी होगी जिसे अन्य आधुनिकीकरण परियोजनाओं में लगाया जायेगा । चुने गए रेलवे स्टेशनों को उच्च वैश्विक मानकों और डिजाइन के आधार पर उत्कृष्ट स्टेशनों के रूप में विकसित किया जायेगा । 
सार्वजनिक सम्पत्ति के अधिकाधिक वाणिज्यिक उपयोग के लिए भारतीय रेलवे एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी पद्धति द्वारा परियोजनाओं की निविदा आमंत्रित करने की योजना बना रही है। विश्व में प्रयुक्त बेहतरीय उपायों में भारतीय रेलवे ने निविदा प्रक्रिया के लिए ‘मॉडिफाइड स्विस चैलेंज’ के नाम विख्यात पद्धति को अपनाया है । इसके अंतर्गत क्षेत्रीय रेलें चरणबद्ध तरीके से 400 रेलवे स्टेशनों के विकास के लिए योजना और वित्त हेतु बाजार का रूख करेंगी । कड़े तकनीकी और वित्तीय मूल्यांकन पर आधारित बेहतर प्रस्तावों को परियोजना क्रियान्वयन के लिए चुना जायेगा । इसके बाद इसे और बेहतर बनाने के उद्देश्य से एक बार फिर से खुले बाजार में लाया जायेगा । यदि पहले से चुने गये प्रस्ताव से कोई ओर बेहतर कोई प्रस्ताव नहीं आता है तो पहले प्रस्ताव देने वाले डेवलेपर को ठेका दे दिया जायेगा । इस प्रक्रिया के दौरान यदि कोई अन्य प्रस्ताव उसके समकक्ष प्राप्त होता है तो डेवलेपर को उसे अस्वीकृत करने का पहला अधिकार होगा । यदि बाजार से कोई और अधिक बेहतर प्रस्ताव आता है तो रेलवे उसे स्वीकार करने के लिए स्वतंत्र होगी । पारदर्शिता के लिहाज से प्रत्येक क्षेत्रीय रेलवे प्रस्ताव का मूल्यांकन करने के लिए विशेषज्ञों का पैनल तैयार करेगी । इस पद्धति को वर्ष 2015 में यूनियन केबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है ।
चरणबद्ध रूप में आगे के कार्यक्रम पूरे करने के लिए रेलवे ने बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) को परियोजना के रणनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है । सभी 400 रेलवे स्टेशनों का वाणिज्यिक व्यवहार्यता आकलन पूरा कर लिया गया है । भारतीय रेलवे निविदा प्रक्रिया पर बाजार के रूख को आकर्षित करने और उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए दिल्ली, मुम्बई, कोलकत्ता और अबूधाबी में रोड शो के जरिए निजी डेवलेपरों और निवेशकर्ताओं तक पहुँची है । रेलवे बोर्ड ने भी भूमि की उपलब्धता का सही-सही आकलन करने के लिए विभिन्न कार्याशालाओं द्वारा क्षेत्रीय रेलों से सम्पर्क किया है । भारतीय रेलवे ने स्टेशनों पर प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के आधार पर सभी 400 रेलवे स्टेशनों के लिए लागत आकलन भी तैयार किया है । 
विस्तृत आकलन और बाजार की प्रक्रिया के आधार पर भारतीय रेलवे ने पहले चरण के लिए 23 रेलवे स्टेशनों को प्राथमिकता सूची में रखा है । माननीय रेलमंत्री श्री सुरेश प्रभु 9 जनवरी, 2017 को गांधीनगर स्टेशन पुनर्विकास समारोह की शुरूआत के मौके पर की गई घोषणा के अनुरूप, भारतीय रेलवे इन 23 बड़े रेलवे स्टेश्नों का पुनर्विकास कार्य शुरू करने के लिए तैयार है । इनमें से 23 बड़े स्टेशनों के पुनर्विकास की शुरूआत आज अर्थात 8 फरवरी, 2017 को की जायेगी । इन स्टेशनों में बांद्रा टर्मिनस, बंगलौर छावनी, भोपाल, बोरीवली, चैन्नई सेन्ट्रल, फरीदाबाद, हावड़ा, इंदौर, जम्मूतवी, कामाख्या, कोजीकोड, लोकमान्य तिलक टर्मिनस, मुम्बई सेन्ट्रल (मेन), पुणे, रॉंची, सिकन्दराबाद, ठाणे, उदयपुर सिटी, विजयवाड़ा, विशाखापट्टनम और यशवंतपुर रेलवे स्टेशन शामिल हैं । रेलवे डेवलेपरों को अतिक्रमण मुक्त 145 एकड भूमि इन स्टेशनों पर उपलब्ध करायेगी । भारतीय रेलवे ने डेवलेपरों के साथ परस्पर बातचीत को बेहतर बनाने के लिए प्रत्येक जोन में नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं । इस चरण का आकार 13 हजार करोड़ रूपये का होने का अनुमान है । आयोजित किए गए वाणिज्यिक आकलनों और डेवलेपरों व क्षेत्रीय रेलों के साथ कई चरणों के विचार-विमर्श के बाद, भारतीय रेलवे टीम इस बात के प्रति आश्वस्त है कि इस चरण को बाजार की बेहतर प्रतिक्रिया मिलेगी । ये रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम द्वारा अन्य माध्यमों से विकसित किए जाने वाले रेलवे स्टेशनों से अलग हैं । पीपीपी कार्यक्रम के अंतर्गत बंसल पाथवेज द्वारा विकसित किए जाने वाले हबीबगंज रेलवे स्टेशन के अलावा भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम ने गुजरात राज्य सरकार की साझेदारी में गॉंधीनगर रेलवे स्टेशन के कार्य का शुभारम्भ किया है और बिजवासन रेलवे स्टेशन के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं ।
भारतीय रेलवे बोली प्रक्रिया के इस पहले राउण्ड से अर्जित अनुभवों को आत्मसात करते हुए जुलाई, 2017 और दिसम्बर, 2017 के लिए नियोजित आगामी चरणों में इनका उपयोग करेगी । भारतीय रेलवे अपने संगठनात्मक ढॉंचे और कार्यक्रम को क्रियान्वित करने की प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के लिए भी बीसीजी से परामर्श कर रही है । ये सिफारिशें रेलवे बोर्ड तथा क्षेत्रीय रेलों पर संगठन को तथा स्टेशन पुनर्विकास की इस प्रक्रिया को और मजबूत करने पर केन्द्रित रहेंगी । 
 

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