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आध्यात्मिक चिकित्सा : ज्वर  कम करने की विधि  – योगी अश्विनी

आध्यात्मिक चिकित्सा एक अत्यंत प्रभावशाली प्राचीन विज्ञान है , जो गुरु के सानिध्य में अनासक्त होकर करने से अद्भुत  परिणाम देता है  ।

 

इस श्रृंखला में हमने आत्म-चिकित्सा की सरल परंतु अत्यंत कारगर तकनीक के बारे में जाना।  इस लेख में मैं  आध्यात्मिक चिकित्सा के दूसरे  पहलु, अर्थात, दूसरों की चिकित्सा का उल्लेख कर रहा हूँ  ।  यहां यह समझना अत्यंत आवश्यक है की जिस प्रकार यह संपूर्ण  सृष्टि “कर्म” के नियम पर आधारित है, उसी प्रकार आध्यात्मिक चिकित्सा का आधार भी कर्म ही है।  जब किसी दूसरे  की चिकित्सा की जाती है , उस समय एक आध्यात्मिक चिकित्सक अपनी चेतना द्वारा इस सृष्टि को क्रियाशील कर रही शक्तियों से संपर्क स्थापित कर उसके शरीर में परिवर्तन करता हैं।  इसलिए यह  अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है कि  रोगी आध्यात्मिक चिकित्सा से रोगमुक्त होने के उपरांत सेवा व दान कार्य में लगकर, जो कुछ भी उसने सृष्टि से  प्राप्त किया  है,  उसे  वापिस लौटाए, अन्यथा वह ‘रोग’ पुनः होने की सम्भावना प्रबल हो जाती  है।  

 

दूसरों की आध्यात्मिक चिकित्सा की प्रक्रिया के चार भाग होते हैं –

प्रारंभिक प्रबंध , रोग का मूल्यांकन , शुद्धिकरण , प्रोजेक्शन तथा पुनर्यूवीकरण

 

प्रारंभिक प्रबंध

आध्यात्मिक चिकित्सा करने से पूर्व हमेशा अपने साथ एक कटोरे में पानी और समुद्री नमक रखें।  चिकित्सा करते समय, शुद्धिकरण की प्रक्रिया के दौरान भारी प्राण को अपनी चेतना की सहायता से इस कटोरे में डालें , न कि कहीं   इधर-उधर , समुद्री नमक में नकारात्मक ऊर्जा  को सोख कर उसे परिवर्तित करने की क्षमता होती  है।  

 

आध्यात्मिक चिकित्सा पूर्णतः अनासक्त भाव से करनी चाहिए, ठीक  उसी तरह जैसे आप अपने ड्राइंग रूम में रखी  किसी मूर्ती पर से धुल हटाते हैं , यह विचार रखते हुए कि, करने वाले केवल आपके गुरु हैं, आप मात्र माध्यम हैं।  सनातन क्रिया का नियमित अभ्यास एक आध्यात्मिक चिकित्सक के लिए अनिवार्य होता है क्योंकि यही अनासक्ति और संतुलन लाता है।  

 

विधि

१. अपने गुरु को नमन कर, गुरु शक्ति से कनेक्ट करें

२. ज्वर  को कम करने के लिए अपने हाथों से, या फिर, मुट्ठी भर समुद्री नमक अथवा नीम के पत्तों से, रोगी के शरीर को लगभग १०० स्वीप्स दें  और फिर अपनी चेतना से, शरीर को पूर्ण रूप से हलकी श्वेत बैंगनी रंग की रौशनी  से भर दें, फिर हलकी श्वेत नीली रौशनी से। आप को अचंभा होगा  की कुछ ही क्षणों में ज्वर  कम हो जायेगा

 

अपने अनुभव मुझे लिखें।

 

समुद्री नमक एक अत्यंत कारगर तत्वान्तरण पदार्थ है। अपने घर के फर्श को समय समय पर समुद्री नमक से साफ़ करने से नकारात्मक ऊर्जा अथवा भारी प्राण दूर हो जाता है।  

 

योगी अश्विनी ध्यान फाउंडेशन मार्गदर्शक तथा वैदिक विज्ञान के  विशेषज्ञ हैं । ' सनातन क्रिया – डी एसेंस ऑफ़ योग' में उन्होंने आज के मानव के लिए अष्टांग योग के विज्ञान का सम्पूर्णता से उल्लेख किया है । अधिक जानकारी के लिए www.dhyanfoundation.com या  dhyan@dhyanfoundation.com पर संपर्क करें

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