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राजेश गुप्ता ने पर्स लौटाकर दिया ईमानदारी का परिचय
लुटेरों ने दिन दिहाड़े किसान की कुर्ते की जेब उखाड़ कर पर्स छीन लिया और नकदी निकाल कर दस्तावेजों सहित पर्स कहीं फेंक दिया
राजेश गुप्ता ने पर्स लौटाकर दिया ईमानदारी का परिचय
लुटेरों ने दिन दिहाड़े किसान की कुर्ते की जेब उखाड़ कर पर्स छीन लिया और नकदी निकाल कर दस्तावेजों सहित पर्स कहीं फेंक दिया।
अबोहर 28 नवंबर 2024 : महज कुछ पैसों के लिए जहां भ्रष्ट लोग लोगों के निजी कागजातों का दुर्प्रयोग करते हैं वहीं समाज में कुछ ऐसे लोग अभी भी हैं जो दूसरों के कागजातों को अमानत समझकर उन्हें उसके असली मालिक तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। ऐसे लोगों की बदौलत आज भी ईमानदारी जिंदा है। ऐसी ही ईमानदारी की एक मिसाल पेश की है नई आबादी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राजेश गुप्ता ने। श्री गुप्ता ने गांव माहनी खेड़ा निवासी किसान हरभजन सिंह का निजी कागजातों ( आई डी ) से भरा पर्स लौटाकर समाज के लिए एक उदाहरण पेश किया है।
दरअसल हुआ यूं कि पेशे से किसान गांव माहनी खेड़ा निवासी हरभजन सिंह 22 नवंबर को शहर में बीज लेने आया हुआ था। मोटर साइकिल पर बीज के गट्टे लाद कर सीतो चौंक से होकर गांव जा रहा था कि कुछ लुटेरों ने दिन दिहाड़े उसके कुर्ते की जेब उखाड़ कर उसका पर्स छीन लिया और नकदी निकाल कर दस्तावेजों सहित पर्स कहीं फेंक दिया। हरभजन के शोर मचाने पर कोई सहायता के लिए नहीं आया। उसने पीछा भी किया लेकिन मोटर साइकिल पर गट्टे लदे होने के कारण वह ज्यादा दूर तक पीछा नहीं कर सका।
राजेश गुप्ता ने बताया कि वे गौशाला रोड से होकर नई आबादी की तरफ आ रहे थे तो फाटक के पास उनकी नजर एक तरफ पड़े पर्स पर पड़ी। उन्होंने पर्स उठाया तो उसमें नकदी न होकर कुछ दस्तावेज थे। पर्स में रखे किसान हरभजन सिंह के किसान यूनियन के कार्ड पर दिए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया तो किसान ने बताया कि उसके साथ ऐसा हादसा हुआ है और उसने इसकी सूचना थाना सिटी एक को उसी दिन कर दी थी। उसने अपने स्तर पर पर्स की खूब तलाश की लेकिन कहीं पर भी उसे अपना पर्स नहीं मिला। हरभजन ने बताया कि उसके पर्स में पेन कार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आर सी व अन्य पहचान पत्र इत्यादि जरूरी कागजात थे।
कल हरभजन सिंह ने श्री गुप्ता के प्रतिष्ठान पर पहुंच कर पर्स को पूरे दस्तावेजों सहित प्राप्त किया। हरभजन सिंह ने श्री गुप्ता का आभार जताते हुए कहा कि यदि उसके कागजात किसी और के हाथ लग जाते तो वह इनका दुरूपयोग भी कर सकता था। इसके अलावा उक्त सभी दस्तावेज दोबारा बनवाने के लिए उसे भी विभागों के कई दिनों तक चक्कर काटने पड़ते और पैसे भी खर्च करने पड़ते।