डीसी मॉडल सीनियर सैकेंडरी स्कूल के है छात्र, अटल टिंकरिंग लैब में सामाजिक बुराइयों को रोकने के लिए करते है रिसर्च
विद्यार्थियों ने तैयार किया मॉडल: कार में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढऩे से सैंसर के माध्यम से ऑटोमैटिक खुलेंगे शीशे
विद्यार्थियों ने तैयार किया मॉडल: कार में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढऩे से सैंसर के माध्यम से ऑटोमैटिक खुलेंगे शीशे
-चमकौर साहिब में तीन मासूम बेटियों की मौत के बाद विद्यार्थियों ने अध्यापकों की मदद से तैयार किया मॉडल-
-डीसी मॉडल सीनियर सैकेंडरी स्कूल के है छात्र, अटल टिंकरिंग लैब में सामाजिक बुराइयों को रोकने के लिए करते है रिसर्च-
फिरोजपुर, 4 जुलाई, 2020
पिछलें दिनो कार में दम घुटने से हुई तीन मासूम लड़कियों की मौत से आहत होकर डीसी मॉडल सीनियर सैकेंडरी स्कूल के विद्यार्थियों ने घर पर सुरक्षित बैठकर अध्यापक की मदद से एक मॉडल तैयार किया है। इस मॉडल के मुताबिक कार बंद होने पर बढ़ रही कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा को सैंसर के माध्यम से डिटैक्ट करने के बाद ऑटोमैटिक ही कार के शीशे खुल जाएंगे।
विद्यार्थियों के इस प्रोजैक्ट की हर जगह सराहना हो रही है। साइंस मैंटर साहिल अरोड़ा ने बताया कि जैसे ही 27 जून को रोपड़ के चमकौर साहिब में 5 व 3 वर्ष की तीन मासूम बेटियों के कार में दम घुटने का समाचार मिला तो उनके व विद्यार्थियों के दिल में आया कि क्यों ना इस तरह से जा रही कीमती जान को बचाने के लिए प्रयास किया जाएं। उसके बाद विद्यार्थियों ने गहनता के साथ रिसर्च शुरू की। अरोड़ा ने कहा कि अक्सर ही खड़ी कार में एयर कंडीशनर ऑन होने पर हवा के साथ-साथ कार्बन मोनोऑक्साइड कार में इक_ी होने के कारण घुटन महसूस होती है व इसी कारण लोगो की मौत हो जाती है। इस मॉडल का विद्यार्थियों ने अपने अभिभावकों के साथ कार में परीक्षण करके देखा और उसका सही परिणाम देखने में आया है।
ऐसे बनाया मॉडल
मॉडल में विद्यार्थियों ने माइक्रो कंट्रोलर व कार्डन मोनोऑक्साइड सैंसर लगाया गया है। जिसमें शीशे खोलने वाले बटनों को माइक्रो कंट्रोलर के साथ अटैच किया गया है ताकि कार में गैस की मात्रा बढऩे पर कंट्रोलर स्वयं ही कार के शीशे खोलने में मदद करेगा। बच्चों मुताबिक इनपुट यूनिट में कार्बन मोनोऑक्साइड का सैंसर है तो प्रोसैसिंग माइक्रो कंट्रोलर करेगा और उसके बाद कार के शीशे स्वयं खुल जाएंगे।
विद्यार्थियों रिया, तुषार व श्रुति ने कहा कि इसका इस्तेमाल घरो में बाथरूम व रूम में भी किया जाता है, क्योंकि गीजर चलने के कारण बाथरूम में तथा सर्दीयों में अंगीठी के साथ कमरों में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। इस पूरे मॉडल को तैयार करने में विद्यार्थियों को तीन दिन लगे और करीब 3 हजार रूपएं में ये मॉडल तैयार हुआ है।
प्रिंसिपल राखी ठाकुर ने कहा कि स्कूल में स्थित अटल टिंकरिंग लैब में विद्यार्थियों द्वारा सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए आएं दिन रिसर्च की जाती है और इससे पहले स्ट्रीट लाइट में बढ़ रही विद्युत खपत पर रोक के लिए भी विद्यार्थियों ने रिसर्च की थी।