Heart touching story and unstoppable reading by Ferozepur born, Sham Lal Gakhar, IPS, former IG Punjab Police.
Heart touching story and unstoppable reading a gesture of good will – shared by Ferozepur born, Sham Lal Gakhar, IPS, former IG Punjab Police.
मैं आपसे एक बात और साझा करना चाहतीं हूँ ।करीब दस पन्द्रह साल पहले की बात है शाम लाल जी गखड़ (retired IG IPS PUNJAB)इनका ससुराल जोधपुर में है,उस समय पटियाला में थे । उनकी रिहायश भी उस समय पटियाला में ही थी।उन्हें शाम को करीब पांच बजे जोधपुर से फोन आया सुधा भाभी का जो कि उनके सालें सुशील की wife है ।वो उन्हें बोली कि जीजाजी अपने जोधपुर में अपने पड़ोस में एक जोशी family है। उनकी और अपनी दीवार सांझी है। जोशी रेलवे में था जो अब रिटायर्ड है।उसका लड़का बीकानेर में किसी कालेज में MBA कर रहा है।वह और उसका एक दोस्त ट्रेन द्वारा बीकानेर से सहारनपुर में कोई शादी वगैरह attend करने गए थे।वह ट्रेन संगरूर ,नाभा , पटियाला , अंबाला आदि से होकर गुजरती है।जब वो वापिस ट्रेन द्वारा आ रहे थे तो उसके साथ ट्रेन में कोई हादसा हुआ है और अब वह Rajindra Hospital पटियाला में कहीं दाखिल है ।बस इतना ही उनको पता लगा है बाकी आप उनका पता करवा लेना ।गखड़ जी ने कहा ठीक है भाभी जी मैं सारा पता करके आपको बताता हूं। क्योंकि Rajindra Hospital पटियाला का बहुत बड़ा है । वहां बहुत सारी Buildings हैं। जल्दी आदमी का वहां पता नहीं चलता उन्होंने सोचा कि अगर मैं सीधा जाऊंगा तो लड़के को ढूंढने में समय लग सकता है । उतनी देर उन्हें वहां इन्तजार करना पड़ेगा । इसलिए उन्होंने अपने तीन चार गनमैन ओ को राजिंद्रा हस्पताल भेजा कि जाके पहले पता करो कि एक लड़का है जोधपुर राजस्थान का और उसके साथ ट्रेन में कोई हादसा हुआ है ।वह कहा है ।सारा पता करके बता देना फिर वो वहां पहुंच जाएँगे । उन्होंने पता करके उन्हें बता दिया कि sirवो लड़का emergency में admit है
उन्होंने कहा ठीक है मैं आ रहा हूं ।वो और उनकी पत्नी बेबी दोनों हस्पताल पहुंच गए । शामको करीब छे या सात बजे का समय होगा।वे सीधे emergency ward में गए। वहलड़का पड़ा हुआ था । उसके सारे शरीर पर और सिर पर पटि्टयां बांधी हुई थी। लड़का बिल्कुल बेहोश पड़ा था ।कियोकि civil Hospitals में आपको पता है कोई care नहीं करता। उन्होंने वहां जो दो तीन डाक्टर डियूटी पर थे उनको वहां ही लड़के के बैड के पास ही बुला लिया ।और उनसे सारी बात पूछनी शुरु की कि यह सब कैसे हुआ कुछ gunmen भी साथ थे। डाक्टरों ने बताया कि सर यह ट्रेन पीछे सहारनपुर से वाया पटियाला ,नाभा , संगरूर होती हुई बीकानेर जा रही थी ।रात का समय था ।एक रात पहले की बात बता रहे थे ।जब यह ट्रेन नाभा पहुंची तो यह दोनो लड़के पानी वगैरा पीने के लिए ट्रेन से नीचे उतरे। ट्रेन चल पड़ी । इन्होंने भाग कर ट्रेन में चढ़ने कि कोशिश की ।जब यह। लड़का दौड़ती हुई ट्रेन में चढ़ने की कोशिश कर रहा था इसने दोनों हाथों से ट्रेन के डिब्बे के दरवाजे के डंडों को पकड़ कर चढ़ने की कोशिश की । ट्रेन का झटका लगने के कारण इसके दोनों हाथ छूट गए और यह नीचे गिर गया और ट्रेन के नीचे आ गया ।इसका एक पैर बिल्कुल कट के टांग से अलग हो गया। इसका दूसरा साथी किसी और दूसरे डिब्बे में भाग कर चढ़ गया । उसने सोचा कि वो भी ट्रेन में किसी डिब्बे में चढ़ गया होगा।उसको यह नहीं पता कि उसके साथ यह हादसा हो गया है ।रात का समय था। वो लड़का ट्रेन में बैठ कर आगे निकल गया ।यह लड़का रात के अंधेरे में काफी देर पड़ा रहा ।इस लड़के को संभालने वाला कोई वारिस नहीं था। वहां कुछ लड़कों ने इसको बेहोश पड़े हुए ट्रैक पर देखा और इसको civil Hospital नाभा पहुंचा दिया ।नाभा हस्पताल वालों ने इसे यहां पटियाला में रेफर कर दिया है। डाक्टरों ने बताया कि सर इसका एक पैर बिल्कुल अलग हो गया है । उन्होंने पूछा कि इसको और कहीं भी चोटें आईं हैं। डाक्टरों ने कहा कि सर अभी इसकी कोई scanning या xray वगैरा कुछ भी नहीं किया है इसलिए अभी कुछ भी नहीं कह सकते । लड़का इनके सामने बिल्कुल बेहोश पड़ा था। उन्होंने डाक्टरों से पूछा कि इसका कटा हुआ पैर कहां है। उन्होंने कहा कि पैर civil hospital नाभा में ही freezer में ही पड़ा हुआ है । नाभा , पटियाला से करीब 30kms है । उन्होंने डाक्टरों से पूछा कि मैंने सुना है कि कटा हुआ पैर लग भी सकता है । उन्होंने कहा कि हां सर लग भी सकता है । लेकिन इसकी कुछ Time Limitहोती है।और secondlyयह provision हमारे पास राजिंद्रा हस्पताल में नहीं है ।यह या तो PGI CHd में है या DMC Ludhiana में है । गखड़ जी के मन में यह विचार आया कि अभी इसकी उम्र बहुत छोटी है करीब 20,22साल होगी ।अगर कोशिश की जाए और पैरलग जाए तो इसकी यह ज़िन्दगी अच्छी कट जाएगी और अगर पैर न लगा तो सारी उम्र के लिए handicappedहो जाएगा। उन्होंने डाक्टरों से सलाह की कि इसको PGI CHD shift किया जाएया DMC Ludhianaकिया जाए। उन्होंने कहा कि सर रात का समय है पी जी आई govt अदारा है ।इसको रात को को ई संभाले या न संभाले । इसको डी एम सी लुधियाना शिफ्ट करना दो ।
उन्होंने डाक्टरों से पूछा कि अगर मैं इसको डी एम सी लुधियाना शिफ्ट कराता हूं तो रास्ते में इसकी लाइफ को कोई रिस्क तो नहीं है ।वो बोले कि हो भी सकता है। पता नहीं अभी कि क हां कहां चोटें आई हैं। उन्होंने सोचा कि अगर मैं इसको अपने रिस्क पर शिफ्ट करवाता हूं और रास्ते में कोई अनहोनी हो गई । तो सारी उम्र का गिला मेरे उपर और मेरे in laws पर रहेगा क्योंकि वो immediate पड़ोसी हैं ।अगर नहीं शिफ्ट करवाता तो हो सकता है वह पैर लगने वाली सहूलत से वंचित रह जाए।और सारी उम्र लड़खड़ाता रहे। जिसका अफसोस सारी उम्र उसको भी रहे और इन्हें भी रहे । उन्होंने डाक्टरों से सारी बात करके सुधा भाभी को बता दी कि आप उनको यह सारी बात बता दो और जो करना है मुझे बता दो मैं करवा दूंगा । सुधा भाभी ने बोला कि मैं जीजा जी हंसा जो कि लड़के कि cousin sister थी उसको बता देती हूं। सुधा भाभी ने सारी बात हंसा को बता दी और उनके साथ भी उसकी बात करवाई । गखड़ जी और उनकी पत्नी बेबी। हस्पताल से ही बात कर रहे थे ।रात के करीब 11,12बज गए थे। उन्होंने उसकी cousin sister को बता दिया कि यह मेरी डाक्टरों से बात हुई है । अगर इसको शिफ्ट करते हैं तो पैर लग भी सकता है लेकिन रास्ते में life का रिस्क है और यहां यह provision पैर लगाने वाली नहीं है पटियाला में ।उसकी cousin sister बोली कि लड़के का पिता और उसका एक ताया या चाचा दोनों भाई टैक्सी जो कि एक Ambassadorकार है लेकर दुपहर से जोध पुर से पटियाला के लिए निकले हुए हैं Accident एक रात पहले हुआ था ।उन्होंने हंसा को बता दिया कि आप जो कहोगे मैं करवा दूंगा । शिफ्ट करना है या नहीं करना है
यह फैंसला ले के आप मुझे बता दो। उसने कहा मैं सर आपको थोड़ी देर बाद सलाह करके बताती हूं। वो और उनकी पत्नी बेबी । हस्पताल में ही रुके रहे । करीब आधे घंटे बाद सुधा भाभी के फोन से फोन आया और हंसा ने मेरे साथ बात की । उसने कहा कि सर यह आपका ही बेटा है।आप इसे अपना ही बेटा समझ कर जो फैंसला लेना है ले लो ।
उन्होंने कहा कि नहीं आप बताओ । क्योंकि वो यह शिफ्ट करने का फैंसला लेने की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेना चाहते थे क्योंकि वे सोचते थे कि भगवान न करे अगर रास्ते में कोई बात हो गई तो सारी उम्र वो मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे । क्योंकि वो जोध पुर में पड़ोसी थे। लेकिन हंसा ने बहुत जिद की कि नहीं सर आपका बेटा है जो फैंसला लेना है आप लो।तो उन्होंने उसको कहा की ठीक है मैं उसको शिफ्ट कराऊंगा। वो बोली ठीक है सर ।अब सारी जिम्मेदारी इनके ऊपर आ पड़ी । क्योंकि इनके मन में था कि अगर पैर लग गया तो इसकी ज़िन्दगी अच्छी बीत जायेगी । लेकिन रास्ते का रिस्क भी बहुत था जैसे कि डाक्टरों ने साफ साफ बता दिया था। उन्होंने पता करवाया राजिंद्रा हस्पताल में उस समय कोई Ambulance भी available नहीं थी ।रात के करीब 12बज चुके थे। उन्होंने गुरदीप सिंह commandant जो कि ssp लेवल का होता है उसको फोन किया की गुरदीप तेरे पास Ambulance है । उसने कहा हां सर है। उन्होंने कहा कि मुझे अभी इसकी जरूरत है । अभी मेरे पास भेज दो । उसने Ambulance भेज दी। अफसरों को एक एक डॉक्टर भी मिला होता है force के लिए ।
उन्होंने उस Ambulance में एक अपना डाक्टर बिठाया ,एक डॉक्टर राजिंद्रा हस्पताल से लिया साथ में अपने तीन चार gun men और उस लड़के को लिटाया उस Ambulance में ।उनको उन्होंने अपने पास से 3ooooरुपये भी दिए कि यह भी ले जाओ खर्चे के लिए उनको बोला कि आप सीधे डी एम सी लुधियाना पहुंचो उनको बोल दिया कि वहां पहुंच कर पूरी कोशिश करनी है इसका पैर लगवाने कि। वहांज्ञ किसी डॉक्टर से उनकी बात भी करवानी पड़े तो करवा देना।उन्होंने अपनी escort वाली जिप्सी और उसमें अपना personal driver जिसका नाम नसीब सिंह था और तीन चार अपने गन मैन बिठाए।इनको बोला कि आप सीधे नाभा जाओ और वहां से कटा हुआ पैर नाभा में हस्पताल से लेकर सीधे डीएमसी लुधियाना पहुंचो। क्योंकि इससे समय बच बच जाएगा। क्योंकि उन्होंने सोचा कि अगर एम्बुलेंस वाली गाड़ी पहले नाभा जाएगी पैर लेने और फिर लुधियाना जाएगी तो इस से घंटा ढेड़ घंटा खराब हो जाएगा। वो टाइम वेस्ट नहीं करना चाहते थे ।उनकी कोशिश थी कि जल्दी टाइम बाऊनड पीरियड में लुधियाना डी एम सी में पहुंचम जाएं और हो सकता है कि पैर लग जाए। उन्होंने अपने पर्सनल सरकारी ड्राईवर को जो उनकी खुद की सरकारी गाड़ी चलाता था जिसमें वे बैठा करते थे,एएस आई नसीब सिंह को अपनी जिप्सी देकर पैर लेने के लिए नाभा भेजा। और सारे स्टाफ को रवाना होने से पहले बोल दिया कि अगर रात को कोई भी मेरे साथ बात करनी हो तो करते रहना। उन्होंने अपनी कोठी के टैलीफोन आपरेटर को भी बोल दिया कि अगर रात को इस पार्टी का कोई भी फोन आए तो मेरी बात करवा देना ।अगर नींद में मुझे फोन की घंटी का नपता चले तो उनका दरवाजा खड़का के उन्हें उठा देना और उनकी बात करवा देना।जब सुबह हुई तो उन्हें उनका फोन आया।कि सर हम रात को पहुंच गए थे। दोनो गाड़ीयां एक एंबुलेंस जिसमें लड़का था और दूसरी जिप्सी जो नाभा से पैर लेकर आई थी दोनों गाड़ीयां तकरीबन एक ही समय में डीएमसी पहुंच गई थी। लेकिन डीएमसी वालों ने बोला कि हमारे पास यह प्रोवीजन नहीं है । सीएमसी लुधियाना में है आप इसे वहां ले जाओ।हम इनको लेकर सीएमसी पहुंच गए।
उन्होंने लड़के को और उसके कटे हुए पैर को अच्छी तरह चैक किया और कहा कि यह पैर नहीं लग सकता। क्योंकि टांग का वह हिस्सा ज्ञहा से पैर कटा है ट्रेन के नीचे आने के कारण क्रश हो गया है । ठीक इसी प्रकार पैर का हिस्सा भी क्रश हो गया है । अगर यह सीधा किसी तेज हथियार से कटता तो यह लग सकता था । अगर हम पैर और टांग के क्रश हुए हिस्से को काट कर सीधा करते हैं तो इससे टांग छोटी हो जाएगी। इसलिए यह पैर नहीं लग सकता। इनके गनमैनो ने बताया कि सर डाक्टरों ने टांग का क्रश हुआ हिस्सा काट के पट्टी वगैरा बांध दी है । उन्होंने सिर की और सारी बाड़ी की स्कैनिंग वगैरह कर ली है कुछ कुछ सिर में तथा बाड़ी पर चोटें आई हैं। बाकी लड़का ठीक है।गनमैन बोले कि सर उन्होंने ब्लड मांगा था अपने गनमैनो ने ब्लड की 6बोतले दे दी है। पैसे वगैरा सब हमने जमा करवा दिए हैं। उन्होंने पूछा कि लड़का होश में है उन्होंने कहा हां सर अब होश में आ गया है। उन्होंने उनसे पूछा कि पैसे वगैरा कि और जरूरत है तो मैं भेज देता हूं ।
उन्होंने कहा कि सर जो आपने तीस हजार हमको दिए थे उसी से ही काम चल गया है। उन्होंने कहा कि अपना डाक्टर और दो गनमैन वहां छोड़ कर बाकी सब आदमी एम्बुलेंस और जिप्सी वापिस ले कर पटियाला आ जाओ। यह सुबह करीब छे बजे की बात होगी जब उन्होंने मुझे सारी रिपोर्ट दी । वे लगातार लुधियाना में उनके सम्पर्क में रहा। करीब शाम को चार कुछ बजे मुझे सुधा भाभी का फोन आया कि जीजाजी लड़के का पिता और उसका एक चाचा या ताया करीब एक घंटे तक राजिंद्रा हस्पताल पटियाला पहुंच जाएंगे। जब लड़के की कजन सिस्टर का फोन आया था और उसने कहा था कि आप जो फैसला लेना है ले लो यह लोग बिलकुल मेरे टच में नहीं रहे । किसी का मुझे कोई फोन वगैरह नहीं आया कि वहां क्या हो रहा है लड़का कहा दाखिल करवाया है । किसी ने सम्पर्क नहीं किया । उन्होंने अपने एक गनमैन सुच्चा सिंह को राजिंद्रा हस्पताल पटियाला में भेजा कि वहां चले जाओ वहां लड़के का पिता आएगा जोध पुर से उनको बता देना कि आप सीएमसी लुधियाना चले जाओ । लड़के को हमने वहां शिफ्ट करवा दिया था । क्योंकि वो बेचारे तीसरे दिन पटियाला पहुंचे थे। सुच्चे गन मैन ने उनको सारा कुछ समझा दिया । लड़के के पिता ने सुच्चे के फोन से उनके साथ बात की।वे उनका धन्यवाद करने लगा उन्होंने कहा जो किया है ऊपर वाले ने किया है ।आप जल्दी से सीएमसी लुधियाना पहुंच जाओ। उन्होंने कहा सर हम इस सुच्चा सिंह गनमैन को लुधियाना ले जाए । क्योंकि हमें कुछ भी पता नहीं।है । उन्होंने सुच्चा सिंह गनमैन को बोल दिया कि आप इनके साथ चले जाओ इनको वहां इनके लड़के के पास छोड़ के लुधियाना से बस पकडके वापिस पटियाला पहुंच जाना।रात को उन्हें लड़के के पिता का फोन आया कि सर आप एक चक्कर सीएमसी लुधियाना लगा लो इससे डाक्टरों पर अच्छा प्रभाव पड़ जाएगा ।
उन्होंने कहा ठीक है मैं कल को पहुंच जाऊंगा । अगले दिन वो और उनकी पत्नी बेबी करीब 12बजे लड़के के पास लुधियाना पहुंच गए। लड़का होश में था । उन्होंने लड़के से पूछा हां भई क्या हाल चाल है तेरा ।वो बोला ठीक है सर । लड़के के पिता ने लड़के को कहा कि न तेरे को कुछ पता है न हमको कुछ पता है कि क्या हुआ है और क्या हो रहा है यह सब साहिब ने ही सम्हाला है ।उन्होंने कहा कि मैंने कुछ नहीं किया सब ऊपर वाले ने किया है। उन्होंने जो डाक्टर डियूटी पर थे उनको बुला कर लड़के का हाल चाल पूछा और आगे भी लड़के का ध्यान रखने के लिए कहा। लड़के का पिता बोला कि सर हमारी एक रिकुएसट है उन्होंने कहा बताओं । वो बोला कि सर यहां हमारा खर्च बहुत हो रहा है । उन्होंने कहा कितना हो रहा है।। उसने कहा कि सर दवाई और टीके पर रोज का एक हजार के करीब खर्च आ रहा है । हमारे पास पैसे नहीं हैं । यहां दस पन्द्रह दिन हस्पताल में लगने है । गखड़ जी ने कहा कि रोज का एक हजार का खर्च है । अगर पन्द्रह दिन रुकना पड़ेगा तो पन्द्रह हजार का खर्च है ।कल को मैं गनमैन के हाथ आप के पास पन्द्रह हजार रुपए भेज दूंगा । पहले भी जो खर्च हो चुका था मैंने आज तक किसी को नहीं बताया। उसने कहा सर हमारी एक और प्रौब्लम है उन्होंने कहा बोलो। उन्होंने कहा कि सर जब छुट्टी मिलेगी अगर हम ट्रेन द्वारा जोधपुर जाते हैं तो रास्ते में हो सकता है हमें ट्रेन बदलनी पड़े इससे लड़के को दूसरी ट्रेन में शिफ्ट करने में दिक्कत आएगी । इसलिए कोई कार का इंतजाम हो जाए तो । ठीक है आप छुट्टी मिलने के एक दिन पहले बता देना मैं अपनी प्राइवेट कार और ड्राईवर भेज दूंगा ।वो आपको जोधपुर छोडकर वापिस आ जाएगा। अगले दिन उन्होंने गनमैन के हाथ पन्द्रह हजार रुपए लड़के के पिता के पास भेज दिए। यह भी उन्होंने वापिस नहीं लिए । छुट्टी मिलने के एक दिन पहले लड़के के पिता का फोन आया कि सर कल को छुट्टी मिल रही है लेकिन हम ने सोचा है कि लुधियाना से सीधी जोधपुर वाली ट्रेन पकड़ लेंगे ।एक बार उसमे बैठ जाएंगे और आराम से जोधपुर जा कर उतर जाएंगे।अगर कार में जाते हैं तो रास्ते में झटके लगेंगे।
उन्होंने कहा ठीक है जो आपका फैंसला।वो घर पहुंच गए।वे जोधपुर जाते रहते थे छे महीने साल बाद । इसके बाद वे एक बार जोधपुर गए। वहां घर के बाहर खुला मैदान है । वहां गनमैन घर के बाहर कुर्सियां लगा कर बैठ जाते थे । लड़के का घर भी साथ वाला था । उनको गनमैनो ने बताया कि सर वो लड़का जिसका पैर कट गया था वो हमें मिला था और बोल रहा था कि मैंने बीकानेर से आर्टीफिशियल पैर लगवा लिया है और उसका बैंक में बतौर बैंक मैनेजर सिलैक्शन हो गया है । उन्होंने कहा चलो बढ़िया है।ओर आज वह पंजाब नेशनल बैंक में चीफ मेंनेजर है