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5 वर्ष की आयु में रामलीला के मंच पर गाया था पहला भजन, हौंसला अफजाई हुई तो संगीत की दुनिया में रखा कदम

डीसीएम इंटनैशनल स्कूल का विद्यार्थी है चांद बजाज

5 वर्ष की आयु में रामलीला के मंच पर गाया था पहला भजन, हौंसला अफजाई हुई तो संगीत की दुनिया में रखा कदम
-20 वर्ष की आयु में चांद ने निकाली पहली कैसेट तेरा नाम दाता-
-डीसीएम इंटनैशनल स्कूल का विद्यार्थी है चांद बजाज-

5 वर्ष की आयु में रामलीला के मंच पर गाया था पहला भजन, हौंसला अफजाई हुई तो संगीत की दुनिया में रखा कदम
फिरोजपुर, 1.6.2020:
कहते है पूत के पांव पालने में नजर आते है। अगर किसी को बुलंदियों को छूने का जनून लग जाएं तो मंजिल खुद ब खुद उसकी तरफ दौड़ी चली आती है। ऐसा ही जनून 5 वर्ष की आयु में चांद बजाज के सिर पर चढ़ा था कि उसने रामलीला के मंच से एक भजन के साथ अपने म्यूजिक कैरियर की शुरूआत की। क्योंकि जब उसने गीत सुनाया था तो उसकी सभी ने खूब हौंसला अफजाई की थी और तभी से उसके अभिभावकों ने ठान ली थी कि बेटे को संगीत की दुनिया से जोड़ेंगे। संगीत को सीखने सहित गायन-वादन का ऐसा जनून था कि उसने हरेक समारोह में गाना शुरू किया और स्कूल में होने वाले हर कार्यक्रम में चांद के गीत गूंजा करते थे। 20 वर्षीय चांद ने लॉकडाऊन के दौरान एक कैसेट रिलीज की है, जिसका नाम -तेरा नाम दाता- है। उसमें चांद ने गुरूओं की महिमा का अपनी सरीली आवाज में गुणगान किया है।
डीसीएम इंटरनैशनल स्कूल से बारहवीं कक्षा पास करने के बाद मशहूर गायक बनने के सपने को साकार करने के लिए चांद इन दिनों मुम्बई के विस्लिंग वूड्स इंटरनैशनल में संगीत की डिग्री की पढ़ाई कर रहा है। चांद का कहना है कि जब वह बचपन में भजन या गीत गाया करता था तो उसकी माता को बहुत अच्छा लगता था। उसने कहा कि उसके माता कविता बजाज व पिता दविन्द्र बजाज दोनो ही संगीत प्रेमी है और पिता मन्दिरों में होने वाले कीर्तण में भेजन सुनाया करते है।

5 वर्ष की आयु में रामलीला के मंच पर गाया था पहला भजन, हौंसला अफजाई हुई तो संगीत की दुनिया में रखा कदम
उसने कहा कि स्कूल में संगीत अध्यापकों ने उसे सुर-ताल में गाना, हरमोनियम बजाना, स्वर के साथ अपनी आवाज को मिलाकर स्वर निकालना इत्यादि सीखा और उसने स्कूली शिक्षा के अलावा संगीत को अपनी साधना का हिस्सा बनाते हुए दिन-रात एक कर दी ताकि संगीत को सीख सके। बजाज ने कहा कि बेशक संगीत एक समुंद्र है, लेकिन उसे लगता है कि वह जरूर संगीत सीखने में कामयाब होगा। चांद पिछलें 4 साल से मुम्बई में है। उसने कहा कि जल्द ही वह अपनी नई एल्बम भी निकालेंगे।
प्रिंसिपल संगीता निस्तेन्द्रा ने कहा कि वाकई चांद बजाज स्कूल का होनहान विद्यार्थी था। उन्होंने कहा कि स्कूल में होने वाले हर कार्यक्रम में चांद गीतों के माध्यम से अपना समय बांधा करता था और आज भी स्कूल में वह हमेशा कार्यक्रम में हिस्सा लेता है। उन्होंने कहा कि वह डीसीएमआई स्कूल का एल्यूमनी व स्टॉर विद्यार्थी है।

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