स्वतंत्रता दिवस पर विशेष : आजादी! केवल 20 प्रतिशत लोगों के लिए ? — शिक्षाविद राज किशोर कालड़ा
स्वतंत्रता दिवस पर विशेष
आजादी! केवल 20 प्रतिशत लोगों के लिए ?
महात्मा गांधी ने देश की आजादी के बाद प्रत्येक निर्धन व पिछड़े भारतीयों की आंखों में आंसु, आॢथक व सामाजिक स्तर पर आधारित नीतियों द्वारा पौंछने का स्वप्र देखा था। उनका निश्चित मत था कि जिस समय तक इस उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर लिया जाता, लोकतंत्र एक उपहास का विषय बना रहेगा। यदि आज हम भारतीय लोकतंत्र का गहराई से निरीक्षण करें तो हमें भारत के 50 प्रतिशत निर्धनों और 30 प्रतिशत मध्य वर्ग के लोगों से हो रहा खिलवाड़ दृष्टिगत होगा। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे 20 प्रतिशत पूंजीपति राजनीतिज्ञों, अपराधियों, उच्चाधिकारियों, प्रभावशालियों और भ्रष्टाचारियों ने लोकतंत्र को अपनी रखैल बना रखा है। ‘शै डसमण्ड’ नामक लेखक ने अपनी पुस्तक ‘वल्र्ड बर्थ’ में लिखा है, ‘घुड़ दौड की भांति राजनीति में भी ऐसा ही कुछ है, जो आदमी को निचले स्तर की ओर धकेलता है। यह अच्छे व्यक्तियों को बुरा ओर बुरों को और बुरा बना देती है।’ यह कथन भारतीय राजनीति पर सौ प्रतिशत सटीक बैठता है। स्वतंत्रता के समय राजनीति और विधान मण्डलों में देश भक्त, देश की उन्नति के लिए वचनबद्ध, सामाजिक व आॢथक न्याय के लिए पक्षधर व उच्च नैतिक मूल्य वाले व्यक्ति आगे आए थे। इनमें से आचार्य कृपलानी, गाविंद वल्लभ पंथ, अशोक मेहता, डा. एस.पी.मुखर्जी, एन.सी. चटर्जी, रेनू चक्रवर्ती, एच.वी. कामित, डा. राम मनोहर लोहिया, मधु लिम्हे, मीनू मसानी, महावीर त्यागी, के.कामराज, पीलू मोदि आदि उल्लेखनीय है, यह लोग जनमत प्रतिनिधियों के रूप में देश के विभिन्न भागों में से क्षेत्रीय व राष्ट्रीय समस्याओं को बड़ी गंभीरता व तर्क से संसद में उठाते थे। लोगों से निचले स्तर तक अपना सम्पर्क बनाए रखते थे। सरकार को उत्तरदायी होने के लिए भ्रष्टाचारी मंत्रियों व अधिकारियों इस्तीफा देने के लिए विवश कर देते थे। ये अपने राजनीतिक जीवन में स्वच्छता को प्राथमिक्ता देते थे। मुद्रा स्कैंडल के कारण नेहरू युग के वित्तमंत्री टी.टी. कृष्णामचारी ओर आई.सी. एस. अधिकारी एच.एम.पटेल को इस्तीफा देना पड़ा था। कैबिनेट मंत्री के.डी. मालवीय को एक कम्पनी से राशि लेने की प्रमाणिकता साबित होने पर इस्तीफा देना पड़ा था। ऐसे ही चीनी हमले के सबंध मेमं विरोध के समय दिल्ली मेमं अमन कानून स्थापित न करने के कारण गृह मंत्री गुलजारी लाल नंदा को इस्तीफा देना पड़ा था। रेल दुर्घटना होने पर रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। समय बीतने पर हमारी संसद व विधानसभाओं में लोगों की समस्याएं अथाह बेरोजगारी, निरक्षरता, पिछड़ापन, भ्रष्टाचार, विकास योजनाएं और प्रगति बजट इत्यादि पर बढिय़ा तर्क करने के स्थान पर हल्लागुल्ला, शोरशराबा और मच्छी बाजार बहस का स्थान बनने आरंभ हो गए हैं। श्रीमति इन्दिरा गांधी को जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दे दिया तो उन्होंने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देने के स्थान पर 25 जून 1975 को देश भर में आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी थी। इस दौर के पश्चात देश में पार्टीय प्रणाली राजनीति पूंजीपतियों, भ्रष्टाचारियों, अपराधियों व बाहुबलियों इत्यादि के पास चली गई। राजनीति में आयाराम-गयाराम अपराधीकरण, लठ्ठमारी व धक्केशाही का बोलबाला हो गया है। स्थिति यहां तक विस्फोटक हो गई है कि 11 सांसदों को लोक सभा में प्रश्र करने के एवज में रिश्वत लेने के कारण उनको बाहर निकालना पड़ा। भूमि सुधार, योग्यता के आधार पर नौकरियां, पब्लिक सैक्टर के अंदर विकास, उच्चस्तरीय शैक्षणिक ढांचे का निर्माण, औद्योगीकरण, तकनीकि और वैज्ञानिक विकास का सामान्य नागरिकों तक पहुंचने की व्यवस्था इत्यादि सभी प्रबंध ठुस होते चले जा रहे हैं। परिणामस्वरूप आज 21वीं शताब्दी में निरक्षरों और बेरोजगारों की सबसे बड़ी सेनाएं भारत में पैदा हो हो चुकी हैं। संसद में सौ से भी अधिक आपराधिक छवि वाले व्यक्ति और इसकी तरह 4200 विधायकों में से 750 के करीब अपराधी पृष्ठभूमि वाले लोग घुस चुके हैं। स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशी चुने जाने चाहिए के बारे चुनाव आयोग द्वारा सुझाए गए उपाय भी निरंतर ठुस होते जा रहे हैं। ऐसी व्यवस्था में साधारण नागरिक की भलाई, शिक्षा रोजगार, विकास सबंधी प्राथमिक ढांचे के बारे कोई नहीं सोचता। आज के इस स्वतंत्रता दिवस पर देश के सभी विशेष कर युवा नागरिकों को उक्त कमियों को दूर करने के लिए संकल्प लेना होगा, तभी सार्थक होगा स्वतंत्रता दिवस का उद्देश्य। इस 69वें स्वतंत्रता दिवस पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
शिक्षाविद राज किशोर कालड़ा
अध्यक्ष सोशल वैल्फेयर सोसायटी बस्ती हजूर ङ्क्षसह फाजिल्का।
मो. 94633-01304