विश्व महिला दिवस पर विशेष महिला दिवस की सार्थिकता: बंद हो भ्रूण हत्या: कालड़ा
विश्व महिला दिवस पर विशेष
महिला दिवस की सार्थिकता: बंद हो भ्रूण हत्या: कालड़ा
फाजिल्का, 7 मार्च: महिला दिवस की सार्थिकता इस बात पर निर्भर करती है कि सरकार व सभी संगठन मिलकर इस बात का प्रण लें कि नित्य प्रति बढ रहे लिंग अनुपात में असमानता को कैसे दूर करें। यह विचार सोशल वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष शिक्षा शास्त्री राज किशोर कालड़ा ने जारी एक व्यक्तव में प्रकट किए।
श्री कालड़ा ने कहा कि टोरांटों स्थित सैंट अस्पताल के डाक्टर प्रभात और पीजीआई चंडीगढ़ के डाक्टर रमेश की 11 लाख परिवारों पर किए गए सर्वेक्षण व लैमसैट पत्रिका में प्रकाशित अनुसंधान रिपोर्ट के आधार पर भारत में प्रतिविर्ष लगभग 5 लाख बालिका भू्रणों का गर्भपात कर इन्हें जन्म से पूर्व ही मार दिया जाता है। गत 20 वर्षो में लगभग 1 करोड़ लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया गया। यह जघन्य अपराध डाक्टर व अभिभावक मिलकर करते हैं जबकि ऐसा करना कानूनी रूप से अपराध माना जाता है। संबंधित रिपोर्ट के अनुसार भारत में मादा भ्रूण हत्या गांवों की तुलना में नगरों के परिवारों में अधिक होती है, क्योंकि आज भी अभिभावकों द्वारा बेटों को अपना वारिस और बेटी को बोझ समझा जाता है। श्री कालड़ा ने कहा कि जैक्सन वैरन द्वारा संपादित जैंडर डिस्क्रिमिनेशन अपंग यंग चिलेडन द्वारा पांच देशों भारत, चीन, कोरिया, पाकिस्तान और ताईवान में किए गए अध्ययन में इन सभी देशों में बेटी की उपेक्षा बेटे को अधिक अधिमान दिया जाता है।
पाकिस्तान में भ्रूण हत्या नहीं की जाती, पर अधिकांश जब तक बेटा नहीं हो जाता महिलाएं बच्चे पैदा करती रहती हैं। अध्ययन के अनुसार इसके विपरीत राजस्थान राज्य में सटे सिंध प्रांत: में लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है। चीन में जनसंख्या को नियंत्रित रखते हुए एक ही बच्चे को जन्म दिया जाता है यद्यिप वह लड़का हो या लड़की।
सोसायटी के अध्यक्ष ने कहा कि भारत में पंजाब की स्थिति दयनीय है। देश के जिन 34 जिलों, जिनमें लिंग अनुपात में असमानता बहुत अधिक है, उसमें पंजाब के सभी जिले सम्मिलित हैं।
इस पर श्री कालड़ा ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस पर नियंत्रण करने हेतु विवाह के उपरांत निकटवर्ती अस्पताल में प्रत्येक दंपति को चिकित्सीय निरीक्षण करवाने व गर्भवती महिलाओं को पंजीकृत कराने का नियम अनिवार्य किया जाए और प्रथम चार माह तक इसका विशेष ध्यान रखा जाए ताकि कोई महिला गर्भपात न कराए। इस समाजिक कुरीति को रोकने के लिए जहां सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे, वहीं सामाजिक, धार्मिक, अध्यापक व महिला संगठनों को इसके लिए आगे आना होगा तभी महिला दिवस मनाने की सार्थिकता सिद्ध हो सकेगी।