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लेखक राकेश कुमार की नई पुस्तक गदर लहर का सफा सका फेरु शहर हुई लोक अर्पित

लेखक राकेश कुमार की नई पुस्तक गदर लहर का सफा सका फेरु शहर हुई लोक अर्पित

पुस्तक में गदर लहर के इतिहास की अहम घटना साका फेरू शहर से संबंधित अह्म जानकारियां मिलेंगी लोगों को:राकेश कुमार
समां का परवाना, बदले तो पार सामाजिक बदलाव नू परनाया सी क्रांतिकारी शहीद ऊधम सिंह तथा ऊधम सिंह संबंधी नाटक इंकलाब-इंकलाब-इंकलाब जैसी पुस्तकें पहले ही लोक अर्पित कर चुके है राकेश कुमार

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फिरोजपुर ( Harish Monga FOB) : 8.11.2015 :मशहूर लेखक जोकि रेलवे विभाग में सीनियर सैक्शन इंजीनियर के पद् पर सेवाऐं अदा कर रहे है राकेश कुमार की नई पुस्तक गदर लहर का सफा साका फेरु शहर रविवार को उतरी रेलवे मजदूर यूनियन के कार्यालय में आयोजित एक समारोह के दौरान लोक अर्पित की गई। मालूम हो कि लेखक राकेश कुमार की उक्त पुस्तक को देसभगत यादगार हाल जालंधर के सभ्याचारक विंग के मुख्य एवं पंजाब लोक सभ्याचारक मंच के अध्यक्ष अमोलक सिंह की ओर से जरी किया गया।
रविवार को लोक अर्पित की गई अपनी नई पुस्तक के संबंध में जानकारी देते हुए लेखक राकेश कुमार ने पत्रकारों को बताया कि गदर पार्टी की स्थापना अप्रैल 1913 में अमेरिका में हुई थी, गदर पार्टी के आह्वान पर हजारों गदरी भारत को अंग्रेजों से आजाद करवाने के लिए विदेशों से अपनी पूंजी को लात मार कर भारत वापिस आए थे।, लेकिन बहुत सारे गदरियों को अंग्रेज सरकार ने पंजाब पहुंचने से पहले ही पकड़ लिया था। परंतु फिर भी बहुत सारे गदरियों ने पंजाब पहुंच कर अपनी गुप्त सरगर्मियां शुरू कर दी थी। उनमें करतार सिंह सराभा भी एक थे। गदरी सोचते थे कि फौजी छावनियों से असलहा लूट कर तथा अंग्रेज सरकार में भारती फौजियों को अपने साथ शामिल कर अंग्रेज सरकार का तख्ता पलटा जा सकता था। मीयां मीर लाहौर छावनी का असलहा लूटने की स्कीम फेल होने के बाद 27 नवंबर 1914 को पंद्रह गदरी तीन टांगों पर बैठ कर फिरोजपुर कैंट से मोगा की तरफ जा रहे थे कि मिसरी वाले पुल के पास गदरियों की पुलिस के साथ झड़प हो गई। जिसमें दो पुलिस वाले मारे गए थे तथा दो गदरी मौके पर शहीद हो गए थे । इसके अलावा सात गदरियों को अंग्रेजों ने पकड़ कर फांसी की सजा दे दी थी। बाकी गदरी मौके से भागने में कामयाब हो गए थे। उन्होंने बताया कि बाद में अंग्रेज सरकार ने इस फेरू शहर के साका से संबंधित और कई गदरियों को पकड़कर सजा दी थी। इनमें गदर पार्टी के कोषाध्यक्ष कांशी राम मड़ोली, रहमत अली वजीदके, गांधा सिंह, जगत सिंह आदि गदरी शामिल थे। जिसके बाद करतार सिंह सराभा ने इन शहीदों के बारे में जानकारी एकत्र कर गदर अंक में प्रकाशित करवाई थी। भगत सिंह ने भी अपने कलमी नाम पर चांदी फांसी अंक में फेरू शहर साका से संबंधित कुछ गदरियों की जीवनी लिखी थी। लेखक कुमार ने बताया कि यह पुस्तक गदर लहर के इतिहास की अहम घटना साका फेरू शहर (जिसे अब फिरोजशाह के नाम से जाना जाता है) से संबंधित अहम दस्तावेज है। जिक्रयोगय है कि राकेश कुमार की शहीद ऊधम सिंह संबंधी तीन किताबें भारत की आजादी की समां का परवाना, बदले तो पार सामाजिक बदलाव नू परनाया सी क्रांतिकारी शहीद ऊधम सिंह तथा ऊधम सिंह संबंधी नाटक इंकलाब-इंकलाब-इंकलाब आदि ही जनता की कचहरी में खरी उतर चुकी है। भगत सिंह तथा उसके क्रांतिकारियों साथियों का फिरोजपुर शहर के तूड़ी बाजार में गुप्त ठिकाने संबंधी दो पुस्तकें और श्री कुमार की दो अन्य पुस्तकें एक अंग्रेजी व एक हिंदी में रेलवे भूमि प्रबंधन पर भी मार्किट में उपलब्ध है। वर्णनीय है कि राकेश कुमार को रेलवे की तरफ से रेलवे के सबसे बड़े ईनाम रेलमंत्री नेशनल पुरस्कार समेत अन्य कई पुरस्कार मिल चुके हैं। बाबा फरीद सोसाइटी फरीदकोट की तरफ से उन्हें साल 2011 में बाबा फरीद ईमानदारी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इस मौके पर लोक सभ्यचारक मंच पंजाब के प्रधान अमोलक सिंह, राकेश अरोड़ा, प्रवीन कुमार, जे.के मित्तल, हरमीत विद्यार्थी
तथा अन्य गणमांय व्यक्ति उपस्थित थे।
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क्या था गदर पार्टी का उद्देश्य
गदर पार्टी की स्थापना अमेरिका में अप्रैल 1913 में हुई, इसमें बाबा सोहन सिंह भकना प्रधान, लाला हरदयाल महासचिव, पंडित कांशी राम मड़ोली कोषाध्यक्ष चुना था। इसका उद्देश्य सभी देश भगत संस्थाओं को एकत्र करके एक झंडे तले लाना था तथा हथियार बंद इंकलाब के साथ अंग्रेजी गुलामी से हिंदुस्तान को छुड़वाना और आजादी की बराबरी की नींव पर कौमी जमुहिरयत स्थापित करना था। वह हिंदू, सिख, मुसलमान, दलित, मजदूरों व किसानों को अपने साथ जोड़ना चाहते थे। जो साम्राजी लूट का शिकार हो रहे थे, इन्होंने धर्म निष्पक्षता को अपनाया तथा धर्म को नीजि मामला ऐलान किया। वह छूत तथा अछूत के भेदभाव को नहीं मानते थे। गदर पार्टी के प्रत्येक सदस्य का फर्ज था कि वह दुनियां के किसी भाग में हो रही गुलामी विरोधी संग्राम में हिस्सा ले, उन्होंने अपने प्रचार के लिए गदर नाम का रसाला, गुरमुखी, बंगाली, हिंदी तथा गुजराती भाषा में छापा। इन्होंने अपना तीन रंग का झंड़ा तैयार किया। महिलाओं ने भी गदर लहर में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। गदर असफल हो गया। करतार सिंह सराभा, पिंगले, जगत राम, सुर सिंह तथा हरनाम सिंह टूड़ी लाट जैसे अनेकों ही गदरी अंग्रेजों ने फांसी चढ़ा दिए। उम्रकैद, जायदाद जब्त, काले पानी की सजा दी, तशद्त किया तथा और अनेक कई प्रकार की सजाएं दी।

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