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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने रक्षाबंधन के पावन पर्व संबंधी विशेष धार्मिक समारोह किया आयोजित

फिरोजपुर : 27-8-2018: दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा अपने स्थानीय आश्रम में भाई एवं बहन के प्रेम एवं स्नेह के प्रतीक रक्षाबंधन के पावन पर्व संबंधी विशेष धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया।  का पावन पर्व मनाया गया। जिसमें संस्थान की ओर से श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी ममता भारती  ने बताया कि जगद्गुरु भारत दिव्य पर्वों की दिव्य भूमि है। यहां मनाया जाने वाला प्रत्येक पर्व आध्यात्मिक एवं आत्मिक स्तर की उपज है, परंतु आज भारतवासी प्रत्येक पर्व को भौतिक और बौद्धिक स्तर पर मनाते है फलत:रक्षा बंधन, होली, विजयदशमी, दीपावली, लोहड़ी जैसे प्रत्येक पर्व अपनी गरिमा खोते हुए प्रतीत हो रहे हैं। साध्वी जी ने बताया कि रक्षा बंधन पर्व श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। पौराणिक गाथा के अनुसार जिस दिन वैभव की अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी ने पाताल के राजा बलि के हाथ पर राखी बांधकर उन्हें अपना भाई बनाया एवं नारायण को मुक्त करवाया। वह दिन था श्रावण पूर्णिमा है।

भविष्यपुराण के अनुसार प्राचीन काल में रक्षाबंधन मूलत: राजाओं के लिए था। विकासकाल में राखी की एक नई पद्धति आरंभ हुई। जिसमें राखी बहन द्वारा भाई की कलाई पर बांधी जाती है। जिसके पीछे यह मंतव्य होता है कि ‘भाई का उत्कर्ष हो और भाई बहन का संरक्षण करे, परन्तु विडंबना है आज जिस भारत भूमि से यह पर्व आरंभ हुआ उसी भूमि पर कन्या भ्रूण हत्या के नाम पर बेटियों को गर्भ में ही मरवा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि आज राखी बंधवाने के लिए बहन तो सभी को चाहिए, परंतु बेटी नहीं चाहिये। आज के दिन प्रत्येक भारतवासी को यह संकल्प लेना चाहिए कि कन्या भ्रूण हत्या जैसी व्याधि को खत्म कर बेटियों को जीने का पूरा अधिकार दिया जाये, तभी यह पर्व मनाना सार्थक है। प्रकृति से संस्कृति और संस्कृति से पर्व की महानता सिद्ध करते हुए साध्वी जी ने कहा कि प्रकृति ही सांस्कृतिक विकास का आधार है।

प्रकृति संरक्षण पर बल देते हुए आज संस्थान की ओर से अपने संरक्षण प्रकल्प के अंतर्गत साध्वी बहनों के द्वारा जहां संगत को राखियां बांधी गयीं वहीं उपस्थित संगत को पौधे भी वितरित किये गए। साथ ही साध्वी बहनों के साथ मिलकर उपस्थित संगत ने पौधों पर राखियां बाँध कर प्रकृति संरक्षण का शिवात्मक संकल्प भी लिया।

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