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ऐडिड स्कूलां दा इक्को ही नारा सरकारी स्कूलां विच्च मर्ज किते बिना नहीं गुजारा:ठकराल

फाजिल्का, 21 मई : पंजाब सरकार विकास के दावे करके यह साबित कर रही है कि राज्य का चहुमुखी विकास हो रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री माननीय कैप्टन अमरिंदर सिंह राज्य का चहुंमुखी विकास करके यह साबित करना चाहते हैं कि विकास की गंगा बह रही है। लेकिन इस विकास की गंगा में ऐडिड स्कूलों का नाम ही नहीं है। सरकार सिर्फ सरकारी स्कूलों तक ही सीमित है चाहे वो मुलभूत सुविधाएं देनी हों, बिल्डिंग बनाना, बच्चों के लिए साइकिल, वर्दियां व अन्य सुविधाएं इसके साथ-साथ सरकारी अध्यापकों को तरक्की देना व ग्रांटें बांटना यह सिर्फ सरकारी स्कूलों तक ही सीमित हो जाता है जब ऐडिड स्कूलों की बारी आती है तो सरकार के पास कोई संतोषजनक उत्तर नहीं होता। ऐडिड स्कूलों को आस्तित्व खतरे में है। कई स्कूल बंद हो चुके हैं तथा कई बंद होने की कगार पर हैँ। दिसंबर 1967 में राज्य में 484 स्कूलों को राज्य सरकार ने ग्रांट इन एड लिस्ट पर दिल्ली ग्रांट इन एड प्रणाली के तहत लिस्ट पर लिया था तब लगभग 10 हजार पद स्वीकृत किए थे लेकिन धीरे-धीरे समय अनुसार अध्यापक व कर्मचारी सेवानिवृत हो गए जिनकी वर्तमान में संख्या लगभग 3000 के करीब रह गई उनमें भी अगले पांच साल में कई अध्यापक सेवानिवृत हो जाएंगे और ऐडिड स्कूलों का नाम सुनना भी एक स्वपन बन जाएगा यदि सरकार इस तरफ ध्यान नहीं देगी तो 100-100 वर्ष पुराने चल रहे यह स्कूल बंद हो जाएंगे जिसका ताजा उदाहरण फाजिल्का नगर की बात की जाए तो स्थानीय आर्य पुत्री पाठशाला को 1904 में स्थापित हुआ था जिसमें अध्यापकों के पद स्वीकृत किए गए थे लेकिन धीरे-धीरे समय अनुसार सभी अध्यापक सेवानिवृत हो गए अब इस स्कूल में कोई भी अध्यापक सरकारी तौर पर कार्य नहीं कर रहा सिर्फ प्राइवेट अध्यापकों के सहारे स्कूल की प्रबंधक कमेटी दान इत्यादि इकट्ठा करके स्कूल को चला रही है। एक तरफ सरकार ऐतिहासिक धरोहरों को सुंदर बनाने में लगी है दूसरी तरफ यह ऐतिहासिक धरोहरें बंद हो चुकी है व कुछ बंद होने की कगार पर हैं। यह उदगार प्रकट करते हुए पंजाब गवर्नमेंट ऐडिड स्कूल अध्यापक एवं अन्य कर्मचारी यूनियन के पूर्व महासचिव अजय ठकराल ने बताया कि इन स्कूलों से शिक्षा ग्रहण करके कई मंत्री व विधायक उच्च पदों पर आसीन हैं यदि इन स्कूलों के कर्मचारियों को सरकारी स्कूलों में शिफ्ट कर दिया जाए तो इस समस्या से निदान पाया जा सकता है जिससे बच्चों का भविष्य भी अंधकारमय होने से बच जाएगा व अध्यापक भी अपने आप को सुरक्षित समझेंगे। सरकार को इस बारे में कोई लंबी प्रक्रिया नहीं अपनानी पड़ेगी क्योंकि इन स्कूलों को सरकार 95 प्रतिशत अनुदान राशि दे रही है सिर्फ 5 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान राशि देकर इस समस्या से निदान पाया जा सकता है। श्री ठकराल ने पंजाब सरकार से पुरजोर अपील की है कि इसके लिए जल्द से जल्द प्रक्रिया शुरू की जाए। 

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