अध्यापक हैं युग निर्माता, छात्र राष्ट्र के भाग्य विधाता
अध्यापक हैं युग निर्माता, छात्र राष्ट्र के भाग्य विधाता
ततकालीन राष्ट्रपति अबदुल कलाम ने दिलाई थी शिक्षकों को 10 सूत्रीय शपथ
छात्रों के सर्वपक्षीय विकास के लिए अध्यापक वर्ग शपथ का करें पालन: कालड़ा
फाजिल्का, 6 अक्तूबर: 10 वर्ष पूर्व 5 सितंबर 2005 को ततकालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अबदुल कलाम ने शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों को 10 सूत्रीय शपथ दिलाई थी। दिलाई गई शपथ संबंधी जानकारी देते हुए शिक्षा शास्त्री राज किशोर कालड़ा ने इस का विवरण इस प्रकार दिया:
* मैं शिक्षण को सब से पहली और सबसे प्रमुख प्राथमिकता दूंगा तथा शिक्षण ही मेरा जीवन होगा। मैं शिक्षण को अपने जीवन का मिशन बनावूंगा।
* मैं समझता हूं कि एक अध्यापक होने के नाते मैं राष्ट्रीय विकास के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा हूं।
* मैं जानता हूं कि मैं केवल विद्यार्थियों के ही नहीं अपितु तेजस्वी युवाओं के निर्माण के लिए उत्तरदायी हूं जो इस धरती के नीचे धरती पर और आकाश में सबसे अमूल्य शक्ति है।
* मैं स्वंय को सर्वश्रेष्ठ अध्यापक तभी मानूंगा जब मैं एक औस्त विद्यार्थी को श्रेष्ठ विद्याथी बना दूंगा और जब मेरा कोई भी विद्यार्थी पढाई में कमजोर नहीं रहेगा।
* मैं अपना जीवन इस प्रकार संचालित और व्यवस्थित करूंगा कि मेरा जीवन मेरे विद्यार्थियों के लिए स्वंय एक प्रेरणा बन जाए।
* मैं अपने विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने और उन्हें जिज्ञासू बनाने के लिए उत्साहित करूंगा ताकि वह रचनातिमक और प्रबुद्ध नागरिक बन सकें।
* मैं अपने सभी विद्यार्थियों के साथ सम्मान व्यवहार रखूंगा और धर्म, जाति तथा भाषा का भेदभाव नहीं करूंगा।
* मैं अपने शिक्षण को निरंतर उन्नत बनाता रहूंगा ताकि मैं अपने विद्यार्थियों को उत्कुष्ट शिक्षा प्रदान कर सकूं।
* मैं अपने मन को महान विचारों को परिपूर्ण रखने के लिए निरंतर प्रयास करता रहूंगा और अपने विद्यार्थियों के विचारों व कार्यो में श्रेष्ठता लावूंगा।
* मैं सदैव अपने विद्यार्थियों की सफलता पर गौरवानित हूंगा।
श्री कालड़ा ने देश के सभी स्तर प्राइमरी, मिडल, हाई, सीनियर सेकेंडरी कालेजस व विश्वविद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों से अनुरोध किया कि राष्ट्र का सर्वक्षीय विकास अध्यापकों के कंधे पर है क्योंकि अध्यापक जैसा विद्यार्थियों को जैसा बनाएंगे वैसा ही राष्ट्र बनेगा। शिक्षा शास्त्री ने सभी अध्यापकों को आह्वान किया कि 10 वर्ष पूर्व जो शपथ स्व. ए.पी.जे. अबदुल कलाम द्वारा जो शपथ शिक्षकों को दिलाई गई थी उसका पालन करते हुए विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण करें और उन्हें देश के जिम्मेदार नागरिक बनाने में कोई कसर न छोड़ें यही हमारी स्व. अबदुल कलाम को श्रद्धांजलि होगी।